अहंकार और दिखावा छोड़ना ही कष्ट का भागी बनने से बचने का उपाय

भूली के सी ब्लॉक दुर्गा मंदिर प्रांगण में सात दिवसीय भागवत कथा के पांचवे दिवस पर कथा वाचक ने श्री कृष्ण के जन्म और उनकी लीलाओं का बखान किया। बताया कि मनुष्य अपने जीवन में मोहमाया दिखावे व अहंकार वश जीवन यापन करता है और भगवान की लीलाओं से विमुख होकर कष्ट का भागी बनता है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 05 Mar 2021 04:38 AM (IST) Updated:Fri, 05 Mar 2021 04:38 AM (IST)
अहंकार और दिखावा छोड़ना ही कष्ट का भागी बनने से    बचने का उपाय
अहंकार और दिखावा छोड़ना ही कष्ट का भागी बनने से बचने का उपाय

संवाद सहयोगी, भूली : भूली के सी ब्लॉक दुर्गा मंदिर प्रांगण में सात दिवसीय भागवत कथा के पांचवे दिवस पर कथा वाचक ने श्री कृष्ण के जन्म और उनकी लीलाओं का बखान किया। बताया कि मनुष्य अपने जीवन में मोहमाया, दिखावे व अहंकार वश जीवन यापन करता है और भगवान की लीलाओं से विमुख होकर कष्ट का भागी बनता है। कहा कि हम अपने जीवन में अहंकार और दूसरे को दुश्मन मान लेते हैं जबकि श्रीकृष्ण अपने दुश्मन व अहंकारी को भी सदगति देते हैं। श्रीकृष्ण लीला के वर्णन में श्रीकृष्ण व बाबा भोलेनाथ के मिलन को भी अपने श्रीमुख से वर्णन किया। कहा कि जब बाबा भोलेनाथ बाल गोपाल से मिलने भस्म लगाकर गए तो उन्हें कोई बाल गोपाल श्री कृष्ण से मिलने नहीं दिया। जबकि श्रीकृष्ण बाबा भोलेनाथ से मिले और खेले भी। यहां वेश भूषा का वर्णन करते हुए कहा कि आज हम अपने रिश्ते में कपड़े, धन - दौलत और ऐश्वर्य देखते हैं जबकि हमारा मुरारी कान्हा सिर्फ प्रेम देखता है। भागवत कथा में भाग लेकर मन आनंदित हो जाता है। श्री कृष्ण के जन्म से लेकर बाल और रासलीला को सुनना अपने आप में अलग अनुभूति है।

पूनम देवी

भागवत कथा से मन को शांति व शक्ति मिली। मानव जीवन की सार्थकता को सिद्ध करने का उपाय मिला। भगवान के शरण में जाकर सुख का मार्ग मिला।

रेणु देवी

भागवत कथा ने जीवन दर्शन का जो रूप दिखाया वो कही और नही मिल सकता था। भागवत कथा सुनना अपने आप में परमात्मा के दर्शन करने जैसा रहा है।

उमासती देवी

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