बंदी की कगार तक पहुंचे किराए के भवन में चलने वाले स्कूल

धनबाद छोटे-छोटे निजी विद्यालय अब भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं। किराए के भवनों में चल रहे स्कूल के हालात ऐसे हैं कि किराया नहीं दे पाने के कारण अब स्कूल बंद होने की नौबत आ गई है। ये बात बुधवार को आयोजित झारखंड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के प्रदेश स्तरीय वर्चुअल बैठक में प्रदेश महासचिव राम रंजन कुमार सिंह तथा सचिव इरफान खान ने कही।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 12 May 2021 08:46 PM (IST) Updated:Wed, 12 May 2021 08:46 PM (IST)
बंदी की कगार तक पहुंचे किराए के भवन में चलने वाले स्कूल
बंदी की कगार तक पहुंचे किराए के भवन में चलने वाले स्कूल

जागरण संवाददाता, धनबाद : छोटे-छोटे निजी विद्यालय अब भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं। किराए के भवनों में चल रहे स्कूल के हालात ऐसे हैं कि किराया नहीं दे पाने के कारण अब स्कूल बंद होने की नौबत आ गई है। ये बात बुधवार को आयोजित झारखंड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के प्रदेश स्तरीय वर्चुअल बैठक में प्रदेश महासचिव राम रंजन कुमार सिंह तथा सचिव इरफान खान ने कही। उन्होंने कहा कि पिछले 15 महीने से छोटे-छोटे निजी विद्यालयों में ना ही नामांकन हो रहा है और ना ही मासिक शुल्क अभिभावक जमा कर रहे हैं। किराए के भवन में चल रहे स्कूलों को हर महीने स्कूल प्रशासन को हजारों रुपये किराया देना पड़ रहा है। एसोसिएशन ने कई बार शिक्षक और कर्मियों के राहत पैकेज की मांग की, परंतु झारखंड सरकार ने अभी तक किसी भी तरह का राहत पैकेज शिक्षक और कर्मियों को नहीं दिया। सिर्फ धनबाद जिले में 500 से ज्यादा गैर मान्यता प्राप्त निजी विद्यालय है। जिनकी आमदनी लगभग बंद है। विद्यालय ऑनलाइन क्लास ले रहा है। बावजूद अभिभावक मासिक शुल्क नहीं जमा कर रहे हैं। प्रदेश महासचिव राम रंजन कुमार सिंह ने कहा कि अगर झारखंड सरकार निजी विद्यालयों के शिक्षक और कर्मियों की सुध नहीं लेंगे तो कई विद्यालय बंद हो जाएंगे और बहुत सारे शिक्षक और कर्मी बेरोजगार हो जाएंगे। एसोसिएशन सरकार से मांग करती है कि गैर मान्यता प्राप्त निजी विद्यालय के शिक्षक व कर्मियों को यू डाइस कोड के आधार पर राहत पैकेज देकर सभी को भुखमरी और आत्महत्या करने से भी बचाया जाए।

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