मिनी बीआइटी बना गोइठा थापने का केंद्र

निरसा बेरोजगार युवाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने को लेकर वर्ष 2003 में निरसा में मिनी बीआइटी भवन का निर्माण किया गया था।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Nov 2019 04:50 AM (IST) Updated:Fri, 22 Nov 2019 06:15 AM (IST)
मिनी बीआइटी बना गोइठा थापने का केंद्र
मिनी बीआइटी बना गोइठा थापने का केंद्र

निरसा : बेरोजगार युवाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने को लेकर वर्ष 2003 में निरसा में मिनी बीआइटी भवन का निर्माण किया गया था। बेरोजगारों को प्रशिक्षण तो नहीं मिला लेकिन महिलाओं के गोइठा (गोबर के उपले) थापने का काम जरूर आ रहा है। मिनी बीआइटी भवन बनाने के बाद चौथी बार विधानसभा का चुनाव संपन्न होने जा रहा है। आज तक किसी भी राजनीतिक दल एवं जनप्रतिनिधियों ने इसकी सुध नहीं ली। लाखों रुपये से निर्मित मिनी बीआइटी भवन में निर्माण के बाद से आज तक कभी भी बेरोजगार युवकों को प्रशिक्षण नहीं मिला।

स्वरोजगार से युवाओं को जोड़ने के लिए बना था मिनी बीआइटी :

राज्य के तत्कालीन सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री समरेश सिंह ने राज्य के युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने को लेकर राज्य के सभी प्रखंड में एक-एक मिनी बीआइटी का निर्माण करवाया था। उद्देश्य था युवाओं को सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, वेल्डिग, इलेक्ट्रिक वायरिग, टोकरी निर्माण, ठोंगा निर्माण, चटाई झाड़ू निर्माण का प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने का था। परंतु मिनी बीआइटी भवन बनने के बाद से आज तक उसमें कभी भी युवाओं को प्रशिक्षण नहीं दिया गया।

एफसीआई के गोदाम के रूप में हो रहा था इस्तेमाल :

वर्ष 2008 से मिनी बीआइटी भवन का इस्तेमाल एफसीआइ गोदाम के रूप में होने लगा। जन वितरण प्रणाली के दुकानदारों के खाद्यान्न का वितरण वहां से होने लगा। वर्ष 2016 तक मिनी बीआइटी भवन एफसीआई का गोदाम बना रहा। बाद में एफसीआइ का अपना गोदाम हरियाजाम में निर्माण होने के बाद एफसीआइ ने भी मिनी बीआइटी भवन को अलविदा कह दिया। उसके बाद से मिनी बीआइटी भवन में ताला लगा रहा। निरसा खटाल के लोग उसकी दीवार पर गोइठा थापने लगे। लाखों खर्च कर जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उस भवन का निर्माण हुआ था आज तक उस उद्देश्य की पूर्ति उससे नहीं हो सकी।

बीए सेमेस्टर सिक्स के छात्र विशाल तिवारी का कहना है कि सरकारी योजनाएं तो बना रही हैं परंतु धरातल पर वह नहीं उतर पा रही। सरकार को योजनाएं बनाने के बाद उसकी मॉनीटरिग भी करनी चाहिए।

1. जब से मिनी बीआइटी बना है तब से अगर युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाता तो ना जाने कितने लोग आज रोजगार से जुड़ जाते। जो भी माननीय लोग हैं उनकी कथनी और करनी में अंतर नहीं होना चाहिए।

राहुल चक्रवर्ती, छात्र पीजी 2. कई सरकारी योजनाएं बन चुकी है। परंतु धरातल पर नहीं उतर पाती। मिनी बीआइटी तो बनाया गया। लेकिन उसका लाभ छात्रों को नहीं मिला।

मकर रविदास, निरसा

3. केंद्र सरकार आज कौशल विकास की बात कर रही है। इसका सही लाभ युवकों को नहीं मिला रहा है। जो मिनी बीआइटी निरसा से अंदाजा लगाया जा सकता है।

श्यामदेव चौरसिया निरसा।

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