पवन ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की लंबी छलांग : के बूपथी
संस सिदरी बीआइटी सिदरी में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिग सोसाइटी के सौजन्य से अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिक
संस, सिदरी : बीआइटी सिदरी में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिग सोसाइटी के सौजन्य से अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकी और इस पर भारत की स्थिति विषय पर शुक्रवार को ऑनलाइन वेबिनार हुआ। राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान के निदेशक अनुसंधान और विकास सह डिवीजनल हेड के बूपथी ने कहा कि भारत ने पवन ऊर्जा के क्षेत्र में लंबी छलांग लगाई है। वर्ष 2005 में देश में पवन ऊर्जा का उत्पादन 49 गिगाबाइट था। वर्ष 2019 में 695 गी डब्ल्यू हो गया है। कहा कि यह साल दर साल हुई प्रगति का परिणाम है।
उन्होंने वायु को ऊर्जा में परिवर्तित करनेवाले संयंत्र पवन टरबाइन पर प्रकाश डाला। कहा कि पवन टरबाइन हवा बनाने के लिए बिजली का उपयोग करने के बजाय बिजली बनाने के लिए हवा का उपयोग करता है। पवन एक रोटर के चारों ओर टरबाइन के प्रोपेलर जैसे ब्लेड को घुमाता है। इससे एक जेनरेटर घूमता है और बिजली पैदा होती है। कहा कि पवन ऊर्जा दो अलग-अलग स्वरूपों में उपलब्ध है। तटवर्ती पवन फॉर्म जो भूमि पर स्थित पवन टरबाइन की बड़ी स्थापना है। दूसरा अपतटीय पवन फॉर्म जो पानी के निकायों में स्थित श्रोत है। तटवर्ती पवन फॉर्म दुनिया की सबसे लोकप्रिय पवन फॉर्म है। विकसित देशों में अपतटीय पवन फार्म के निर्माण में रुचि बढ़ रही है। वेबिनार में इलेक्ट्रिक विभाग के एचओडी डॉ. डीके तांती ने निदेशक के बूपथी का स्वागत किया। पवन ऊर्जा पर उनके व्याख्यान को विद्यार्थियों के लिए लाभदायक बताया।