Dhanbad Flash Back: आज ही के दिन पूरे देश में लगा था आपातकाल; झरिया से गिरफ्तार हुए थे डेढ़ दर्जन से अधिक जेपी आंदोलनकारी
देशव्यापी जेपी आंदोलन के बीच 25 जून 1975 को तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने देश में आपातकाल लागू कर दिया था। इसके बाद देश के प्राचीन झरिया में भी सरकार और प्रशासन के निर्देश पर पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों ने जेपी आंदोलनकारियों पर अनेक जुल्म ढाए।
गोविन्द नाथ शर्मा, झरिया : देशव्यापी जेपी आंदोलन के बीच 25 जून 1975 को तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने देश में आपातकाल लागू कर दिया था। इसके बाद देश के प्राचीन झरिया में भी सरकार और प्रशासन के निर्देश पर पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों ने जेपी आंदोलनकारियों पर अनेक जुल्म ढाए। दूसरे दिन यानी 26 जून को झरिया और धनबाद में अनेक आंदोलनकारियों को गिरफ्तार कर लिया था। झरिया से ही डेढ़ दर्जन से अधिक आंदोलनकारी गिरफ्तार किए गए। पुलिस ने सभी को धनबाद जेल में बंद करवा दिया। आपातकाल लागू होने के बाद झरिया व धनबाद के सैकड़ों जेपी आंदोलनकारी भूमिगत हो गए। इसके बाद 21 महीनों तक जेपी आंदोलन चलता रहा। अनेक लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया।
हरीश जोशी को झरिया में रथ यात्रा निकालते समय पुलिस ने किया गिरफ्तार
आपातकाल के दौरान झरिया में लगभग एक सौ वर्षों से निकलने वाली रथ यात्रा पर भी प्रशासन ने रोक लगा दी थी। यह सुनकर भूमिगत चल रहे जेपी आंदोलनकारी हरीश जोशी रथ यात्रा निकलने के दिन झरिया पहुंचे। कुछ लोगों को एकजुट कर पंचदेव मंदिर से प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और माता सुभद्रा की प्रतिमा को थाली में लेकर माथे पर रखकर परंपरा पूरी की। तभी तत्कालीन झरिया थाना के प्रभारी एसएन पाठक, दरोगा मोहन रजक और आदित्य ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
आपातकाल के दौरान झरिया से पकड़ आए थे ये आंदोलनकारी
25 जून 1975 की आधी रात से देश में आपातकाल लागू होने के बाद झरिया थाना पुलिस जेपी आंदोलनकारियों को गिरफ्तार करने के लिए सक्रिय हो गई। पुलिस ने गंगा शरण शर्मा, अशोक भाटिया, शिव नारायण साव, चंद्रिका श्रीवास्तव, श्याम सुंदर स्वर्णकार, श्याम सुंदर अग्रवाल, भूपाल अग्रवाल, हरीश जोशी, रतन चंद्र गुप्ता मानव, हरि प्रकाश लाटा, सुखलाल पंसारी आदि को गिरफ्तार कर जेल भेजा था।
समरेश ने झरिया से की थी जेपी आंदोलन की शुरुआत बोकारो में रहने वाले समरेश सिंह जेपी आंदोलन की शुरुआत अपने साथियों को लेकर झरिया से की थी। झरिया के लोगों ने एकजुट होकर आंदोलन में उनका पूरा साथ दिया था। बाद में पुलिस ने समरेश को भी गिरफ्तार कर लिया। वे 18 महीने तक मीसा में जेल में रहे। बोकारो से निर्दलीय विधानसभा का चुनाव कमल फूल छाप से लड़े। प्रतिद्वंदी प्रत्याशी इमामुल हई खान को हराकर पहली बार विधायक बने।
जेपी के कहने पर एके राय ने विधायक पद से दे दिया था इस्तीफा
जेपी आंदोलन को मार्क्सवादी समन्वय समिति के संस्थापक एके राय ने भी समर्थन किया था। जेपी के कहने पर ही एके राय ने सिन्दरी विधानसभा क्षेत्र से अपने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद जेल में रहकर एके राय ने पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा और भारी मतों से विजय प्राप्त की। चुनाव में जेपी के नेतृत्व में जनता पार्टी ने एके राय को समर्थन किया था।