गोविदपुर ऊपर बाजार में भव्य पंडाल तो घोड़ा मुर्गा गांव में सबसे कम बजट की पूजा
गोविदपुर पूर्वी गोविदपुर समेत टुंडी का ग्रामीण इलाका आदिशक्ति की आराधना में डूब चुका है। दक्षिणी टुंडी के ओझाडीह में महासप्तमी पर नवपत्रिका का पूजन किया गया। नवपत्रिका के आगमन पर श्रद्धालुओं की अच्छी भीड़ उमड़ी।
गोविदपुर/देवली/टुंडी : गोविदपुर, पूर्वी गोविदपुर समेत टुंडी का ग्रामीण इलाका आदिशक्ति की आराधना में डूब चुका है। दक्षिणी टुंडी के ओझाडीह में महासप्तमी पर नवपत्रिका का पूजन किया गया। नवपत्रिका के आगमन पर श्रद्धालुओं की अच्छी भीड़ उमड़ी। इधर, गोविदपुर क्षेत्र में आकर्षक पंडाल श्रद्धालुओं का मन मोह रहे हैं। गोविदपुर ऊपर बाजार में भव्य पंडाल व प्रतिमा आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। घोड़ा मुर्गा गांव की दुर्गा पूजा भी अपने आप में खास है। यहां 40 हजार में पूजा की सारी व्यवस्था हो जाती है।
तड़क-भड़क से दूर महरा परिवार के लोग पूरी भक्ति और आस्था के साथ दुर्गोत्सव का आयोजन करते हैं। यहां बलदेव महरा, मनोज महरा, सुफल महरा, मोनू महरा, मंटू, अशोक, छोटेलाल, दुर्योधन आदि पूजा में योगदान दे रहे हैं । इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र झिलवा में पूजा होती आ रही है। मिश्रा परिवार की यह पारंपरिक पूजा अब सार्वजनिक पूजा के रूप में बदल गई है। आसना मोड़ में निर्मल कुमार, परेश कुमार, धरनी कुमार, सबलपुर गांव में मुखिया सुभाष गिरी, शिवपूजन गोप, गौतम गोप, धीरेन महतो, महेंद्र कुमार, संतोष गुप्ता, रामपुर पहाड़पुर में दिगंबर मोदी, शंभू महतो, निपू मोदी आदि की अगुवाई में पूजा का आयोजन किया जा रहा है। माचा महुल की पूजा करीब 20 वर्ष पुरानी है। मोरंगा गांव में भी लंबे समय से दुर्गोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। रंगडीह, हरीला जोड़ी मंदिर में लक्ष्मी नारायण पुरी, सूदन चंद्र मंडल, तारक चटर्जी, चंद्रकांत गिरी की देखरेख में पिछले कई वर्षों से दुर्गा पूजा की जा रही है। कौवाबांध, साबलपुर, गोसाईडीह में भी दुर्गा पूजा का आयोजन किया गया है। पूर्वी गोविदपुर क्षेत्र के बागसुमा, देवली, मोरंगा, घोड़ामुर्गा व बरवापूर्व में दुर्गा पूजा का आयोजन किया गया है।