हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है भूली का सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति, 1949 में तस्वीर रखकर हुई थी पहली बार पूजा

श्री श्री सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति भूली ए ब्लाॅक की दुर्गा पूजा भाईचारे का प्रतीक है। यहां 1949 में पहली बार पूजा शुरू हुई थी। पूजा की शुरुआत मोहम्मद फैज स्व. सुनील कुमार मुखर्जी स्व. अनुरुद्ध पांडेय स्व. ललन सिंह स्व. बाबू लाल पासवान और अन्य समाजसेवियों ने की थी।

By Sagar SinghEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 05:02 PM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 05:02 PM (IST)
हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है भूली का सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति, 1949 में तस्वीर रखकर हुई थी पहली बार पूजा
श्री श्री सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति द्वारा भूली ए ब्लाॅक में स्थापित मां दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती की प्रतिमा।

धनबाद, जेएनएन। श्री श्री सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति भूली ए ब्लाॅक की दुर्गा पूजा भाईचारे का प्रतीक है। यहां 1949 में पहली बार पूजा शुरू हुई थी। पूजा की शुरुआत मोहम्मद फैज, स्व. सुनील कुमार मुखर्जी, स्व. अनुरुद्ध पांडेय, स्व. ललन सिंह, स्व. बाबू लाल पासवान और अन्य समाजसेवियों ने की थी। शुरुआती दौर में यहां मा दुर्गा की पूजा छोटे स्तर पर की जाती थी, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया। वैसे-वैसे पूजा पाठ का स्वरूप भी बदलता गया। शुरुआती दौर में शेर पर सवार मां दुर्गा, भगवान गणेश, मां सरस्वती, मां लक्ष्मी, भगवान कार्तिक, महिषासुर सहित अन्य देवी देवता की प्रतिमा एक ही में हुआ करता था। समय के साथ मां दुर्गा की पूजा का स्वरूप बदल गया।

हालांकि कोरोना वायरस के कारण इस वर्ष भव्य पंडाल का निर्माण के साथ-साथ साज-सज्जा भी बहुत हद तक कम हुई है। यहां की पूजा कमिटी की खास बात है कि यहां हर समुदाय के लोग अपना सहयोग बढ़ चढ कर करते हैं। लोग हर साल पंडाल निर्माण से लेकर दुर्गा पूजा के दशमी तक रात दिन निस्वार्थ भाव से लगे रहते हैं। यहां की विशेषता सप्तमी से दशमी तक होने वाली मां दुर्गा की आरती है जो लगभग एक घंटे की होती है। आरती देखने के लिए स्थानीय श्रद्धालु ही नहीं बल्कि दूर दूर से भक्त जन पहुंचते हैं।

संरक्षक अमर कुमार मित्रा ने बताया कि शुरुआती दौर में सिर्फ मां की पूजा फोटो रखकर होती थी, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया। वैसे-वैसे पूजा पाठ का स्वरूप भी बदलता गया।

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