खुली सरकार की पोल! सड़क के अभाव में वज्रपात से झुलसी किशोरी को खाट से ले जाया गया अस्पताल Dumka News
सवाल यह उठता है कि आजादी के इतने समय बाद भी ऐसी स्थिति क्यों है? आज भी बहुत से ऐसे गांव राज्य में है जिनके तार मुख्य मार्ग से नहीं जुड़ पाए है। किसी की मौत के बाद ही सरकारी बाबू या जनप्रतिनिधियों की नींंद खुलती है।
काठीकुंड (दुमका), जेएनएन। दुमका में फिर से खुली सरकार की पोल। यहां की काठीकुंड थाना क्षेत्र के चिचरो गांव में शर्मशार करने वाली घटना सामने आई है। वज्रपात से झुलसी किशोरी को अस्पताल ले जाने में सिर्फ इसलिए देरी हुई कि उस गांव में सड़क की व्यवस्था नहीं थी। लोगों ने उसे खाट पर टांग कर अस्पताल पहुंचा दिया। उसकी हालत गंभीर बनी हुई है।
जेएमएम का गढ़ है दुमका
सवाल यह उठता है कि आजादी के इतने समय बाद भी ऐसी स्थिति क्यों है? आज भी हमारी पहुंच गांव तक नहीं बन पाई है। आज भी बहुत से ऐसे गांव, राज्य में है जिनके तार मुख्य मार्ग से नहीं जुड़ पाए है। ऐसा क्यों होता जब कोई बड़ी घटना या किसी की मौत के बाद ही सरकारी बाबू या जनप्रतिनिधियों की नींंद खुलती है। बता दें यह क्षेत्र उपचुनाव से पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का था। उपचुनाव के बाद भी यह क्षेत्र जेएमएम के खाते में ही है। मुख्यमंत्री के भाई बंसत सोरेन वर्तमान में यहां के विधायक है। लुइस मरांडी भाजपा की ओर से यहां बड़ा चेहरा है।
ऐसे पहुंचाया गया अस्पताल
घटना सोमवार देर शाम की है। जिसमें पिता मंगरू राय की 14 वर्षीय पुत्री रनिया कुमारी झुलस गई। घटना के तुरंत बाद ग्रामीण उसे इलाज के लिए खटिया पर लादकर गांव से मुख्य मार्ग पर लेकर आए जहां से एंबुलेंस से उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया।
कैसे घटी घटना
जानकारी के अनुसार सोमवार को रनिया बारिश के समय अपने घर के पास ही खेल रही थी। उसी दौरान अचानक वज्रपात के आघात से वह बेहोश हो गई। इसके बाद उसके पिता ने ग्रामीणों के साथ मिलकर उसे खटिया पर रखकर चिचरो गांव से मुख्य सड़क तक ले आए जहां से उ से 108 एंबुलेंस के माध्यम से काठीकुंड सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया। यहां इलाज के उपरांत उसे मंगलवार को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
गावं से 15 किलोमीटर दूर है अस्पताल
ग्रामीणों ने बताया कि सड़क जर्जर रहने के कारण कोई भी वाहन गांव तक आने से कतराते हैं। जर्जर सड़क का खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। खासकर बीमार मरीजों को इलाज के लिए ले जाने में काफी मुश्किल होती है। ग्रामीणों ने कहा कि चिचरो से अस्पताल की दूरी 15 किलोमीटर है।