Naxal Impact: जंगलवार फेयर के लिए एलडब्ल्यूई एरिया में बनना था सड़क, लेकिन केवल डीपीआर तक ही सिमटी योजना
देश के सभी माओवाद प्रभावित इलाकों में उ्ग्रवादियों पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार ने महत्वकांक्षी योजना रोड कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट फार लेफ्ट विंग एक्सटर्मिजम एरिया बनाई थी। जिसे झारखंड सहित देश के उन सभी राज्यों में लागू करना था जहां नक्सलवाद काफी पांव पसार चुका है।
जागरण संवाददाता, धनबाद: देश के सभी माओवाद प्रभावित इलाकों में उ्ग्रवादियों पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार ने महत्वकांक्षी योजना रोड कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट फार लेफ्ट विंग एक्सटर्मिजम एरिया बनाई थी। जिसे झारखंड सहित देश के उन सभी राज्यों में लागू करना था जहां नक्सलवाद काफी पांव पसार चुका है। वजह थी उन इलाकों में पुलिस और अन्य सुरक्षाबलों का आवागमन आसान करने के साथ विकास के नये योजनाओं को लागू करना। लेकिन झारखंड में यह योजना परवान चढ़ती नहीं दिख रही।
एक साल पहले शुरू की गई इस योजना पर केंद्र सरकार जहां कुल योजना का 60 फीसद रकम देगी तो राज्य सरकार को केवल 40 प्रतिशत राशि ही देनी है। इस योजना के तहत झारखंड के दस जिलों का चयन किया गया है। धनबाद भी उंनमें से एक है। यहां टुंडी और तापचांची प्रखंडों के विभिन्न गांवों में इस योजना से आल वेदर सड़कों को बनाया जाना है। लेकिन ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों की लापरवाही से योजना के तहत महत विस्तृत योजना रिर्पोट बनाने तक ही विकास आकर रूक गई। योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए एक साल में एक इंच भी सड़क का निमार्ण नहीं हो पाया है।
बताते चलें कि इस योजना के अंतर्गत टुंडी और तोपचांची प्रखंडों में कुल 16 सड़कों का चौड़ीकरण कर उन्हें आल वेदर रोड बनानाा था। इनका चयन जिले के उपायुक्त और वरीय आरक्षी अधीक्षक की स्वीकृति के बाद गृह विभाग की अनुसंशा पर की गई थी। धनबाद की 16 सड़कों का चयन इस योजना के लिए हुआ। जिसके तहत 30 करोड़ की लागत से लगभग 31 किलोमीटर सड़कों को बनाया जाना है। इसके लिए 30 करोड़ की डीपीआर बनायी गई है। डीपीआर को मंजूरी देकर सरकार के स्तर से अब इसका टेंडर होना है। लेकिन टेंडर की प्रक्रिया एक साल बाद भी शुरू नहीं हो पाई है।
गौरतलब है कि ग्रामीण विकास विभाग ने 16 सड़कों की सूची बना कर राज्य सरकार के पास भेजा था। उन सड़कों का निरीक्षण करने के लिए केंद्र सरकार की टीम ने गांवों में पहुंच कर निरीक्षण किया। वास्तविकता का आकलन करने के बाद टीम ने इनके निमार्ण पर मुहर लगाई थी।
इसको लेकर विभाग के कार्यपालक अभियंता मनोज कुमार कहते हैं कि संभवत: इस महीने ही इन योजनाओं के लिए निविदा निकाले जाएंगे। जिसके बाद इन सड़कों के निमार्ण का रास्ता खुल जाएगा। रांची स्थित विभागीय अधिकारियों को इसकी जानकारी दे दी गई है। उनका मंतव्य मिलते ही काम शुरू करा दिया जाएगा।