Dumka: डीजल की शतकीय पारी से गीला हो रहा है घर का आटा

डीजल की बढ़ती कीमत से सभी लोग परेशान हो गए हैं। खास करके वैसे लोग चीन का व्यवसाय सीधे डीजल से जुड़ा हो अब इसका असर घर के किचन में भी दिखने लगा है। डीजल की शतकीय पारी से अब आम लोगों की जेब भी ढीली हो रही है।

By Atul SinghEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 04:20 PM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 04:20 PM (IST)
Dumka: डीजल की शतकीय पारी से गीला हो रहा है घर का आटा
डीजल के शानदार शतक ने बिगाड़ा घर का बजट।

राजीव, दुमका: डीजल की शतकीय पारी से अच्छे-अच्छों के छक्के छुट रहे हैं। खास कर वैसे व्यवसायी जो खाद्य सामग्रियां तैयार कर बाजारों में बेचते हैं। इसमें मिल मालिक भी शामिल हैं। डीजल का भाव बढ़ने से धान, आटा, सत्तू, बेसन और मसाला जैसी रोजमर्रा की सामग्रियां तैयार करने वाले मिल मालिकों पर इसका सीधा असर पड़ता है। दुमका शहरी क्षेत्र में खाद्य सामग्री आटा, सत्तू, बेसन व मसाला तैयार करने वाले चार मिल ऐसे हैं जो बिजली संचालित हैं। इसके अलावा अधिकांश मिल डीजल पर ही चलता है जहां सिर्फ आटा व कहीं-कहीं धान की कुटाई होती है। वहीं दुमका जिले में आठ राइस मिल हैं जो बिजली से संचालित हैं लेकिन यहां बैकअप के लिए डीजल इंजन भी है। तकरीबन एक राइस मिल में प्रतिमाह 3000 लीटर डीजल की खपत है। राइस मिल और खाद्य सामग्रियां तैयार करने वाले बड़े मिल मालिकों पर सबसे ज्यादा असर ट्रांसपोर्टेशन से पड़ रहा है। दूसरे प्रदेशों से कच्चा सामग्रियां मंगवाने और फिर तैयार माल को बाजारों तक पहुंचाने में इनका खर्च बढ़ा है। एक अनुमान के मुताबिक एक क्विंटल माल मंगवाने व इसे तैयार कर बाजार तक पहुंचाने में 100 रुपये का अतिरिक्त खर्च बढ़ गया है। यह खर्चा दूरी पर कुछ कम या ज्यादा भी हो सकता है।

डीजल से चलने वाले मिलों पर सीधा असर:

डीजल से चलने वाले आटा मिलों पर डीजल की दाम में बढ़ोत्तरी का सीधा असर पड़ा है। इन मिलों में गेहूं पिसाई का दर चार रुपये के बजाए अब पांच रुपये प्रतिकिलो हो गया है।

जबकि आटा की कीमत में प्रतिकिलो दो रुपये किलो का उछाल है। इन मिलों में अब आटा का थोक भाव 22 से 24 रुपये प्रतिकिलो और खुदरा भाव 26 से 28 रुपये तक पहुंच चुका है। इधर बाजार में डीजल के भाव में बढ़ोत्तरी के कारण गेहूं व चावल के भाव में भी बढ़ोत्तरी हुई है।

आम ग्राहकों के बजट पर कम से कम पांच फीसद का बोझ:

दुमका में विभिन्न माध्यमों को मिलाकर प्रतिदिन आटा की खपत 50 टन के आसपास है। बेसन की खपत 20 टन, सत्तू 10 टन के आसपास और मसाला की खपत प्रतिदिन पांच टन के करीब है। एक अनुमान के मुताबिक एक आम ग्राहकों को अब इन सामग्रियों की आवश्यकता पूर्ति करने के एवज में पहले से पांच फीसद राशि अधिक खर्च करना पड़ सकता है।

वर्जन

डीजल की कीमत बढ़ने से कच्चे माल के आवक और तैयार माल को बाजार तक पहुंचाने में खर्च बढ़ गया है। जाहिर है यह खर्च तैयार सामग्रियों पर अंतिम उपभोक्ता पर ही पड़ेगा। खाद्य सामग्रियों पर कम से कम पांच फीसद तक महंगाई संभावित है।

अजय कुमार मोहनका, अजय उद्योग, बाबूपुर, दुमका

कम पूंजी वाले मिल मालिकों को काफी परेशानी है। डीजल से मिल चलाना दिनोंदिन मुश्किल हो रहा है। लगातार खर्च में बढ़ोत्तरी का असर आमदनी पर पड़ रहा है। सरकार को कम पूंजी वालों को राहत देने पर विचार करनी चाहिए।

सूरज शर्मा, डीजल मिल मालिक, कुमारपाड़ा, दुमका

ऋण लेकर स्वरोजगार के तहत मिल चलाते हैं। रोज-रोज डीजल की कीमत में बढ़ोत्तरी का सीधा असर व्यवसाय पर पड़ रहा है। आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपया वाली स्थिति है। ग्राहकों की जेब पर भी लगातार बोझ बढ़ रहा है। महंगाई बेकाबू है और इससे हर कोई त्रस्त है।

दुबराज मंडल, डीजल मिल मालिक, राखाबनी

घर से आटा गिला हो रहा है। रोज डीजल की कीमत में बढ़ोत्तरी से परेशानी बढ़ गई है। किराया से लेकर रोजमर्रा की सामानों के भाव बढ़ गए हैं और इसकी पूर्ति करने में पसीने छूट रहे हैं। अच्छे दिन तो नहीं बल्कि दिन में तारे जरूर दिख रहे हैं।

यशोदा देवी गृहणी, जिला स्कूल रोड, दुमका

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