Jharkhand Politics: कोरोना के डर से अब भाजपाई पार्टी के न‍िर्देश की कर रहे अवहेलना; बंगाल छोड़ घर की ओर रवाना

देशभर में कोरोना के बढ़ते संक्रमण से भाजपा कार्यकर्ता भी चिंतित और भयभीत हैं। यह उन कार्यकर्ताओं पर भी तारी है जो पार्टी के निर्देश पर बंगाल चुनाव में ड्यूटी बजा रहे हैं।पार्टी निर्देशों की अवहेलना कर भी वहां से भाग जाने की जुगत भिड़ा रहे हैं।

By Atul SinghEdited By: Publish:Thu, 22 Apr 2021 01:57 PM (IST) Updated:Thu, 22 Apr 2021 06:10 PM (IST)
Jharkhand Politics: कोरोना के डर से अब भाजपाई पार्टी के न‍िर्देश की कर रहे अवहेलना; बंगाल छोड़ घर की ओर रवाना
देशभर में कोरोना के बढ़ते संक्रमण से भाजपा कार्यकर्ता भी चिंतित है। तभी तो बंगाल छोड़ झारखंड लौट रहे। (जागरण)

धनबाद, जेएनएन: देशभर में कोरोना के बढ़ते संक्रमण से भाजपा कार्यकर्ता भी चिंतित और भयभीत हैं। यह उन कार्यकर्ताओं पर भी तारी है जो पार्टी के निर्देश पर बंगाल चुनाव में ड्यूटी बजा रहे हैं। भय का आलम यह है कि अब वह पार्टी निर्देशों की अवहेलना कर भी वहां से भाग जाने की जुगत भिड़ा रहे हैं।

लॉकडाउन के बहाने कुछ कार्यकर्ताओं ने तो बुधवार रात को ही बंगाल को बाय बाय कर दिया। दूसरी तरफ पार्टी है कि उसे चुनाव के अतिरिक्त कुछ और दिखता नहीं। परिणाम यह है बर्दवान, बांकुरा में एक-एक विधानसभा सीट की कमान संभाल चुके एक कार्यकर्ता का काम जब 21 को खत्म हुआ तो उसे तत्काल कुल्टी की जिम्मेदारी थमा दी गई।

लेकिन बढ़ते कोरोना वायरस के संक्रमण के भय से कार्यकर्ता ने साफ मना कर दिया। झारखंड में लग रहे लॉकडाउन का बहाना बनाते हुए कहा कि यदि अभी नहीं निकले तो बाद में नहीं लौट पाएंगे। 29 तक लॉकडाउन  लग जाएगा।  बहाना काम कर गया और वह सीधे धनबाद।

हालांकि सभी इतने भाग्यशाली नहीं रहे। 26 अप्रैल को होने वाले चुनाव की तैयारी कर रहे धनबाद  के एक तेज तर्रार कार्यकर्ता के किसी बहाने ने जब काम नहीं किया तो पार्टी के पेंच  में फंसकर जान गंवाने से बेहतर उन्होंने टीकाकरण करवाना समझा।

धनबाद के इस रसूखदार कार्यकर्ता की कोई पहचान-पहुंच आसनसोल में काम ना आई। टीकाकरण धनबाद में मुफ्त में स्वागत सत्कार के साथ होता। उसके लिए जनाब को 4 घंटे कतार में खड़ा रहना पड़ा।

 झाविमो नेता से भाजपाई बने एक अन्य दिग्गज की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है। नफासत से कोई भी काम करने वाले नेताजी के 45 दिनों में सारी नफासत खत्म हो गया।

अब ऊब गए हैं। कहते हैं अब संभव नहीं काम करना। पहले तृणमूल के कार्यकर्ताओं से निपटने की चुनौती थी और अब कोरोना से बचने की। मन करता है कब भाग जाएं, खैरियत है क्या एक-दो दिन ही बचे हैं।

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