National Doctors Day 2021: धनबाद के ये चिकित्सक फरिश्ते से कम नहीं, कोरोना ने जकड़ा लेकिन मरीजों की सेवा नहीं छोड़ी

National Doctors Day 2021 आईएमए धनबाद के जिला सचिव डॉ. सुशील कुमार अपने उल्लेखनीय कार्यों से समाज में विशेष जगह बनाई है। तीन बार महामारी के दौरान कोविड सेंटर में निशुल्क सेवा देकर मानवता का परिचय दिया है। इस दौरान उन्होंने अपने निजी नर्सिंग होम को भी बंद कर दिया।

By MritunjayEdited By: Publish:Thu, 01 Jul 2021 02:31 PM (IST) Updated:Thu, 01 Jul 2021 02:31 PM (IST)
National Doctors Day 2021: धनबाद के ये चिकित्सक फरिश्ते से कम नहीं, कोरोना ने जकड़ा लेकिन मरीजों की सेवा नहीं छोड़ी
1 जुलाई को राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे ( सांकेतिक फोटो)।

मोहन गोप, धनबाद। कोरोना काल में धनबाद में एक ओर जहां 380 लोगों की जान चली गई, वहीं 15,500 से ज्यादा लोग ठीक भी हुए। यह लोग ठीक होकर अपनों के बीच आज ङ्क्षजदगी की सांस ले रहे हैं। इसके पीछे स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। संक्रमण काल में डाक्टरों ने अपने लोगों को भी खोया, खुद भी संक्रमित हुए, बावजूद समाज सेवा का जज्बा बरकरार रहा। धनबाद में संक्रमण का फैलाव होने के बावजूद डाक्टर 24 घंटे मरीजों की जान बचाने में जुटे रहे। लगभग डेढ़ वर्षों से बिना किसी प्रकार की छुट्टी लिए चिकित्सक लगातार मरीजों की जान बचा रहे हैं। आज डाक्टर्स डे है। ऐसे में आइए जानते हैं धनबाद के वैसे चिकित्सक दंपती के बारे में जो अपनी जान की परवाह किए बगैर समाज सेवा में जुटे हुए हैं।

डा. यूके ओझा और डा. श्रावणी ओझा

डा यूके ओझा धनबाद में किसी नाम के मोहताज नहीं है। कोरोना काल में सेवा करने में उनका नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। डा ओझा एसएनएमएमसीएच के कैथ लैब के कोविड सेंटर के प्रभारी भी है और मेडिसन के विभागाध्यक्ष भी हैं। संक्रमण काल में आईसीयू में मरीजों को लगातार संपर्क में रहे कई ऐसे मरीजों की जान बचाई, जिनका ऑक्सीजन लेवल 30 से कम ऐसे कई मरीजों की जान बचाई पत्नी श्रावणी ओझा बीएसएम विभाग में कार्यरत हैं। संक्रमण काल में बिना छुट्टी के विभाग में सेवा दे रहे हैं।

डॉ. राजकुमार और डॉ. सोमा सिंह

जिला महामारी रोग नियंत्रण विभाग के प्रभारी डा राजकुमार सिंह और उनकी पत्नी डा सोमा सिंह कोरोना काल में लगातार मरीजों की सेवा कर रही हैं। इस दौरान डा सोमा ङ्क्षसह कोरोना संक्रमित भी हुई। स्थिति काफी गंभीर हो गई, ठीक होने के बाद फिर से डा सोमा से मरीजों की सेवा में लग गई। वहीं डाक्टर राजकुमार सदर अस्पताल को विकसित करने में लगे रहे। सदर अस्पताल में आईसीयू विकसित करने में उनका महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है। जिससे दर्जनों मरीजों की जान दूसरी लहर ने बचाई जा सकी। दोनों फिलहाल डेढ़ वर्ष से बिना छुट्टी के विभाग में सेवा दे रहे हैं।

डा सुमन और डाक्टर रेणू भारती

डा सीएच सुमन एसएनएमएमसीएच के पैथोलॉजी विभाग में कार्यरत हैं। कोरोना काल में उन्होंने कोविड सेंटर में सेवा देकर कई मरीजों की जान बचाई। उनकी पत्नी रेणू भारती बोकारो सदर अस्पताल में उपाधीक्षक हैं। डा रेणू ने कई मरीजों की जान बचाई। इस दौरान दोनों पति पत्नी बीमार भी हुए। बावजूद इसके दोनों के हौसला बरकरार रहा। समाज सेवा के दौरान कई बार डा रेनू अस्पताल में मरीजों के साथ ही रही।

डा डीपी भूषण और डाक्टर गीता मिश्र

एसएनएमएमसीएच के पीजी ब्लाक के कोविड-19 भारी डॉक्टर डीपी भूषण और उनकी पत्नी डा गीता मिश्र की भूमिका महत्वपूर्ण रही। कोरोना काल में दोनों पति पत्नी ने सेवा दी है। गीता मेडिकल रिकॉर्ड सेक्शन की प्रभारी हैं, कोरोना से मौत के बाद लोगों को जारी करने वाले प्रमाण पत्र सपने में तत्परता दिखाई। फिलहाल दोनों ने दर्जनों मरीजों की जान बचाई है।

तीन बार निशुल्क सेवा दे चुके हैं डाक्टर सुशील कुमार, देश के पहले चिकित्सक

आईएमए के जिला सचिव डा सुशील कुमार अपने उल्लेखनीय कार्यों से समाज में विशेष जगह बनाई है। डा सुशील कुमार ने तीन बार महामारी के दौरान कोविड सेंटर में निशुल्क सेवा देकर मानवता का परिचय दिया है। इस दौरान डा सुशील कुमार अपने निजी नर्सिंग होम को भी बंद कर दिया। सुशील ने एसएनएमएमसीएच के साथ ही सदर अस्पताल में भी निशुल्क सेवा दी है। आइएमए के अनुसार डा सुशील पहले डाक्टर हैं, जिन्होंने तीन बार कोविड-19 में निशुल्क सेवा दी है। इससे पहले जिला प्रशासन ने विशेष कार्यों के लिए उन्हें पुरस्कृत भी किया है। आगे भी डाक्टर सुशील निशुल्क सेवा देने की इच्छा जताई है।

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