World Environment Day 2020: लॉकडाउन में 1000 से अधिक पाैधे कर लिए तैयार, मलबे के पहाड़ पर बिछाएंगे हरियाली की चादर

डॉ. मनोज ने लॉकडाउन का सदुपयोग किया है। इस दौरान वे आसपास के घरों की दीवारों में बनी दरारों में उगे पौधे सहेजते रहे। 500 से अधिक पौधे डॉक्टर मनोज अपने घर लाए हैं।

By MritunjayEdited By: Publish:Fri, 05 Jun 2020 10:20 PM (IST) Updated:Fri, 05 Jun 2020 10:20 PM (IST)
World Environment Day 2020: लॉकडाउन में 1000 से अधिक पाैधे कर लिए तैयार, मलबे के पहाड़ पर बिछाएंगे हरियाली की चादर
World Environment Day 2020: लॉकडाउन में 1000 से अधिक पाैधे कर लिए तैयार, मलबे के पहाड़ पर बिछाएंगे हरियाली की चादर

धनबाद [ राजीव शुक्ला ]। डॉ. मनोज सिंह, फिजियोथैरेपिस्ट, आम इंसान के दर्द में संकटमोचक की भूमिका निभाते हैं, लेकिन साथ ही इस चिकित्सक ने पर्यावरण प्रदूषण से कराह रही प्रकृति का भी दर्द महसूस किया है। झरिया में हो रहे कोयला खनन से धरती का कलेजा छलनी हो रहा है। पर्यावरण प्रदूषण चरम पर है, इससे बचने का एक ही उपाय है पौधारोपण।

डॉ. मनोज कोयलांचल में 50,000 से अधिक पौधे विगत 15 वर्षों में लगा चुके हैं। उनकी यह मुहिम निरंतर जारी है। उनके इस कार्य के लिए झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वर्ष 2014 में उनको रांची में सम्मानित किया था। इस पर्यावरण दिवस पर  इन्होंने  संकल्प लिया है कि कोयलांचल में खनन के कारण बन रहे मलबे के पहाड़ों पर हरियाली लाएंगे। इसी क्रम में आने वाले एक वर्ष में बस्ताकोला में बने मलबे के पहाड़ पर 5000 पौधों को रोपने का लक्ष्य रखा है।

दीवारों की दरार में उगे पौधे सहेज रहे

इस चिकित्सक ने लॉकडाउन का सदुपयोग किया है, इस दौरान वे आसपास के घरों की दीवारों में बनी दरारों में उगे पौधे सहेजते रहे। पीपल और बरगद के ऐसे 500 से अधिक पौधे डॉक्टर मनोज अपने घर लाए हैं और उन्हेंं प्लास्टिक में मिट्टी और खाद के मिश्रण में लगा लिया है। इन पौधों को मलबे के पहाड़ पर लगाया जाएगा। डॉ मनोज का कहना है कि पौधों की व्यवस्था करने में सिर्फ श्रम लग रहा है कोई रकम नहीं। पौधों के लिए जरूरी खाद हम खुद ही तैयार करते हैं। किचन से निकला अपशिष्ट और पेड़ पौधों की सूखी पत्तियों से जैविक घोल के माध्यम से घर में ही खाद बना लेते हैं।

कलम तकनीक से भी तैयार किए पौधे

डॉ मनोज ने कलम तकनीक से बरगद पीपल और नीम के 500 से अधिक पौधे लॉकडाउन में तैयार किए हैं। इसके लिए ये वृक्ष की किसी दाल को चयनित करते हैं। उस डाल में मिट्टी और खाद का लेप लगाकर प्लास्टिक से बांध देते हैं । कुछ दिनों में वहां से जड़ें निकल आती हैं। तब उस कलम को काटकर अलग कर लिया जाता है । बस पौधा तैयार हो गया। इसी प्रकार दीवारों की दरारों में उगे पौधे और कलम के माध्यम से तैयार किए गए करीब 1000 से अधिक पौधे उनके पास अभी उपलब्ध हैं। जल्दी उन्हेंं लगाने का काम शुरू कर दिया जाएगा।

ग्रीन लाइफ संस्था सोशल मीडिया पर कर रही जागरूक
डॉ. मनोज ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करने के लिए ग्रीनलाइफ संस्था बनाई है, यह संस्था सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय है। संस्था के माध्यम से डॉ मनोज लोगों को वृक्षों से होने वाले फायदे , पौधों का पर्यावरण के लिए महत्व, आम इंसान के  जीवन में पेड़ पौधों की उपयोगिता के बारे में जानकारी देते हैं। लोगों को जागरूक करते हैं कि पौधारोपण कर रहे हैं तो पौधे को सहेज कर वृक्ष बनने तक उसकी देखभाल करें जिन स्थानों पर इन्होंने पौधारोपण किया है वहां के लोगों को भी पौधों की सुरक्षा के लिए जिम्मा देकर आते हैं। झरिया के 50 स्कूलों में इन्होंने पौधारोपण किया। पौधों की सुरक्षा की जिम्मेदारी वहां के शिक्षकों और बच्चों को सौंपी है। अधिकांश पौधे बड़े होकर पर्यावरण की सुरक्षा भी करने लगे हैं।

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