ऐसा भी होता है... CBI के हाथों गिरफ्तारी से बचने के लिए हाई कोर्ट को दिलवाई मृत्यु की झूठी सूचना, माैत आई तो भनक भी नहीं लगी

बीसीसीएल की साउथ गोविंदपुर कोलियरी में कार्यरत दिलीप मुखोपाध्याय सहित तीन लोगों पर सीबीआइ ने वर्ष 1986 में आपराधिक षडय़ंत्र रचकर धोखाधड़ी करने विस्फोटक व भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी। इसके बाद सजा हुई।

By MritunjayEdited By: Publish:Wed, 21 Jul 2021 11:47 AM (IST) Updated:Wed, 21 Jul 2021 05:36 PM (IST)
ऐसा भी होता है... CBI के हाथों गिरफ्तारी से बचने के लिए हाई कोर्ट को दिलवाई मृत्यु की झूठी सूचना, माैत आई तो भनक भी नहीं लगी
धनबाद जेल के अंदर दिलीप मुखोपाध्याय की हो गई माैत।

जागरण संवाददाता, धनबाद। जिस आरोपित ने कभी जेल जाने से बचने के लिए हाई कोर्ट में अपने मरने की झूठी सूचना दी थी, उसकी आखिरकार अब जेल में ही मौत हो गई है। मौत की झूठी सूचना देकर कोर्ट को गुमराह करने के कारण पिछले माह ही गिरफ्तार कर धनबाद जेल भेजे गए 80 वर्षीय सजायाफ्ता बंदी दिलीप कुमार मुखोपाध्याय उर्फ दिलीप कुमार मुखर्जी की मंगलवार को इलाज के दौरान एसएनएमएमसीएच में मौत हो गई। उन्हें 24 जून को सीबीआइ ने गिरफ्तार कर धनबाद जेल भेजा था। वे तब से ही बीमार थे। धनबाद जेल आने के बाद बंदी को दो बार इलाज के लिए अस्पताल भेजा जा चुका था। पहले बंदी को रांची स्थित रिम्स भेजा गया था। स्थिति में सुधार होने के बाद उन्हें वापस जेल ले आया गया था। इस बीच 18 जुलाई को फिर दिलीप की तबीयत खराब हो गई। जेल प्रशासन ने बंदी को एसएनएमएमसीएच में भर्ती कराया, जहां मंगलवार को उनकी मौत हो गई। जेल प्रशासन के मुताबिक दिलीप कई बीमारियों से पीडि़त थे। शव के पोस्टमार्टम के लिए उपायुक्त के आदेश पर मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया है। बुधवार को दंडाधिकारी की मौजूदगी में पोस्टमार्टम होगा।

बीसीसीएल में करते थे काम, 1986 में दर्ज हुआ था मुकदमा

बीसीसीएल की साउथ गोविंदपुर कोलियरी में कार्यरत दिलीप मुखोपाध्याय सहित तीन लोगों पर सीबीआइ ने वर्ष 1986 में आपराधिक षडय़ंत्र रचकर धोखाधड़ी करने, विस्फोटक व भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी। धनबाद सीबीआइ की विशेष अदालत ने 30 जनवरी 2013 को इस मामले में दिलीप समेत तीनों आरोपितों को पांच वर्ष की कैद की सजा सुनाई थी। इसके कुछ दिन बाद आरोपितों की ओर से झारखंड हाईकोर्ट में अपील दाखिल की गई। उच्च न्यायालय से उन्हें जमानत पर मुक्त कर दिया गया था।

जेल जाने से बचने के लिए दिलीप ने खुद को बताया था मृत

जमानत मिलने के बाद दिलीप फिर कभी कोर्ट के समक्ष हाजिर नहीं हुए। हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान दिलीप की ओर से उनके अधिवक्ता ने बताया कि था बीमारी से उनकी मौत हो गई है, ताकि उन्हें दोबारा जेल नहीं जाना पड़े। इसके बाद हाई कोर्ट ने धनबाद सीबीआइ के विशेष अदालत से दिलीप मुखोपाध्याय के मौत के संबंध में रिपोर्ट तलब की थी। तब सीबीआइ ने दिलीप की मौत के संबंध में जांच शुरू की। पता चला कि वे ङ्क्षजदा हैं तथा अपनी पुत्री के साथ बर्णपुुर में रह रहे हैं। सीबीआइ की रिपोर्ट पर हाईकोर्ट ने 10 नंवबर 2020 को दिलीप मुखोपाध्याय का बंधपत्र खारिज कर गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया था। इसके बाद सीबीआइ ने उन्हें गिरफ्तार कर धनबाद जेल भेजा था।

एंबुलेंस से लाया गया था कोर्ट

दिलीप मुखोपाध्याय की जब गिरफ्तारी हुई, तब भी वह बीमार थे। एंबुलेंस से सीबीआइ उन्हें लेकर धनबाद कोर्ट पहुंची थी। पेशी के बाद फिर उन्हें एंबुलेंस से ही जेल भेजा गया था।

दंडाधिकारी की उपस्थिति में हुआ पोस्टमार्टम

खुद को मृत बताकर कोर्ट से पिंड छुड़ाने की कोशिश में जेल गए सजायाफ्ता बंदी दिलीप मुखोपाध्याय का बुधवार को दंडाधिकारी के निगरानी में एसएनएमसीएच में पोस्टमार्टम हुआ। एसडीओ सुरेंद्र कुमार के निगरानी में डॉक्टरों की टीम ने शव का पोस्टमार्टम किया। अब जेल प्रशासन दिलीप मुखोपाध्याय का शव अंतिम संस्कार के लिए उनके परिजनों को सौंपने की तैयारी में जुटी है। दिलीप मुख्य उपाध्याय की पुत्री जो पश्चिम बंगाल के वर्णपुर में रहती थी। प्रशासन ने शव ले जाने के लिए उन्हें भी सूचना दी है। पांच साल के सजायाफ्ता 80 वर्षीय दिलीप कुमार मुखोपाध्याय को 24 जून 2021 को सीबीआई की विशेष अदालत ने न्यायिक हिरासत में जेल भेजा था।

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