कंपनी तो क्या राजकिशोर महतो ने कई बार सरकार को भी झुकाया था
राजकिशोर महतो न सिर्फ महान आंदोलनकारी बिनोद बिहारी महतो के पुत्र थे बल्कि स्वयं भी बड़े आंदोलनकारी थे। वे झारखंड कोलियरी श्रमिक यूनियन के संस्थापक व अध्यक्ष थे।
जागरण संवाददाता, धनबाद : राजकिशोर महतो न सिर्फ महान आंदोलनकारी बिनोद बिहारी महतो के पुत्र थे बल्कि स्वयं भी बड़े आंदोलनकारी थे। वे झारखंड कोलियरी श्रमिक यूनियन के संस्थापक व अध्यक्ष थे। आजीवन वे झाकोश्रयू के अध्यक्ष रहे। उनके महामंत्री व झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री जलेश्वर महतो बताते हैं कि कई बार जहां एके राय की नहीं चली वहां भी राजकिशोर सफल हुए। जमीन के बदले नौकरी के मामले पर एके राय ने बीसीसीएल के खिलाफ लंबा आंदोलन किया। बीसीसीएल के फंक्शनल डायरेक्टर्स की बैठक में उनकी मांग को अस्वीकार कर दिया गया। बाद में राजकिशोर महतो के नेतृत्व में हमने सात दिन तक कोलियरियों को बंद रखा और समझौता हुआ। धारा-28 हटाया गया और 32 की जगह 64 को नौकरी हुआ। राजकिशोर कानून के बड़े जानकार थे। उनसे बहस में कोई अधिकारी नहीं टिकता था।तेतुलमारी में बीसीसीएल ने 60 एकड़ जमीन अधिग्रहित किया था। तब जमीन के बदले नौकरी का कोई प्रावधान भी नहीं था। बावजूद इसके राजकिशोर लड़े तो 99 लोगों को नौकरी मिली। बाद में जब जमीन के बदले नौकरी का प्रावधान हुआ तो दो एकड़ जमीन पर एक नौकरी दी जाने लगी। इस हिसाब से भी वहां 30 को ही नौकरी मिलता। बीसीसीएल के चंगुल से ग्रामीणों को बचाया :
नगरीकला के नरेश महतो बताते हैं कि वहां बीसीसीएल ने 217 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया था। उसके नीचे कोयला भी नहीं था। 1984 में मात्र आठ रुपये डिसमिल जमीन का अधिग्रहण किया गया और किसी को नौकरी नहीं दी गई। झाकोश्रयू के बैनर तले राजकिशोर बाबू ने आंदोलन किया और जमीन आज तक ग्रामीणों के कब्जे में है। आज वहां की कीमत चार लाख रुपये डिसमिल है।
वे बताते हैं कि रजरप्पा में उस वक्त रिझूनाथ चौधरी की अपील पर वे आंदोलन करने पहुंचे थे। रिझूनाथ आज के गिरिडीह सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी के पिता थे। उनकी जमीन सीसीएल कब्जे में ले रही थी। राजकिशोर के आंदोलन की वजह से ही उनकी व वहां के लोगों की जमीन बची।
भूली डिनोबिली स्कूल ने भी नौ एकड़ गैर आबाद जमीन कब्जा कर रखा है। इसे मुक्त कराने को भी विधानसभा प्रत्यायुक्त समिति के सभापति रहते प्रस्ताव पास कराया। नगरी कला में 3.5 एकड़ जमीन भू-माफिया कब्जा कर रहे थे। राजकिशोर महतो के आंदोलन की वजह से ही वह जमीन बची। ऐसे कई मामलों में राजकिशोर ने आम लोगों की जमीन भू-माफियाओं व कंपनियों के चंगुल में जाने से बचाई है।