सरकारी उपेक्षा से धोखरा औषधालय सह उप स्वास्थ्य केंद्र हुआ बंद; ग्रामीण परेशान Dhanbad News

एकीकृत बिहार राज्य के समय वर्ष 1965 में लाखों रुपये की लागत से बना धोखरा औषधालय सह उप स्वास्थ्य केंद्र सरकारी उपेक्षा के कारण अपनी बदहाली पर इनदिनों आंसू बहा रहा है। सात हजार आबादी को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने वाला यह प्रमुख केन्द्र हुआ करता था।

By Atul SinghEdited By: Publish:Wed, 05 May 2021 05:47 PM (IST) Updated:Thu, 06 May 2021 09:56 AM (IST)
सरकारी उपेक्षा से धोखरा औषधालय सह उप स्वास्थ्य केंद्र हुआ बंद;  ग्रामीण परेशान Dhanbad News
सात हजार आबादी को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने वाला यह प्रमुख केन्द्र हुआ करता था। (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

झरिया, जेएनएन : एकीकृत बिहार राज्य के समय वर्ष 1965 में लाखों रुपये की लागत से बना धोखरा औषधालय सह उप स्वास्थ्य केंद्र सरकारी उपेक्षा के कारण अपनी बदहाली पर इनदिनों आंसू बहा रहा है। कभी सुदूर ग्रामीण क्षेत्र की करीब सात हजार आबादी को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने वाला यह प्रमुख केन्द्र हुआ करता था।

आज विभागीय व जनप्रतिनिधियों की उदासीनता की भेंट चढ गया है। स्वास्थ्य केंद्र खंडहर मे तब्दील हो गया है। ग्रामीण बेहतर इलाज के लिए परेशान हैं। एक समय धोखरा स्वास्थ्य केंद्र में जिला परिषद से एक डॉक्टर व तीन सह कर्मी यहां प्रतिनियुक्त थे।

रोज सैकड़ों ग्रामीणों का इलाज होता था। अब यह केंद्र निशानी भर रह गई है।केन्द्र परिसर में ही डॉक्टर व कर्मियों के रहने के लिए आवासीय व्यवस्था थी। वर्षों से आवास के खंडहर होने के कारण यह इन दिनों चोरों का बसेरा बन गया है। आवास में लगे ईट को उखाड़कर लोग ले जा रहे हैं।

हालांकि स्वास्थ्य केंद्र के अगल-बगल कई घर हैं।  फिर भी निडर होकर चोर ईट को चुराकर ले जा रहे हैं। यहां बसे लोग भी मामले में कुछ कहने से इंकार किया। गांव के भुनेश्वर महतो, अधिवक्ता रंजीत कुमार, शांति राम, रतन महतो, नरेश महतो, मुखिया शत्रुघन महतो ने कोरोना महामारी को देखते हुए प्रशासन से जल्द उप स्वास्थ्य केंद्र को फिर से नियमित करने की मांग की है।

सात लाख की लागत से बनी दीवार भी हुआ बेकार :

वर्ष 2010 -11 मे स्वास्थ्य केंद्र के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से साढे सात लाख रुपये की लागत से स्वास्थ्य केंद्र के चारों ओर दीवार बनाई गई। लेकिन यह बेकार साबित हुई। स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी से आज हजारों ग्रामीण कोरोना जैसे महामारी से जूझ रहे हैं। माहामारी से बचाने के लिए ग्रामीण मजबूर होकर झोलाछाप डॉक्टर से घर में ही इलाज करा रहे हैं।   कई ग्रामीण मौत के मुंह में जा रहे हैं। केंद्र की हालत जर्जर होने के बाद वर्षों तक केंद्र में प्रतिनियुक्त डॉक्टर आमटाल मोड़ के एक कमरे में बैठकर  ग्रामीणों का इलाज करते रहे। अब वह भी बंद हो गया है।

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