धनबाद का युवक ओटीटीपी पर धमाल मचाने को तैयार

प्रतिभा ना तो उम्र की मोहताज होती है ना ही छोटी जगहों की। बस जरूरत होती है उसे सही समय पर सही मौके की। इसकी एक सफल बानगी है धनबाद के कपूरिया के रहनेवाले रेलवे कर्मचारी महादेव महतो के इकलौते बेटे राकेश कुमार जो मनोरंजन की दुनिया के नए बने प्लेटफार्म ओटीअी पर जल्द ही रीलिज होनेवाली है और सिक्ख दंगों की पृष्ठभूमि पर बनी वेब सीरीज ग्रहण से अपना जलवा बिखेरने को तैयार हैं। अजय कुमार पांडेय धनबाद प्रतिभा ना तो उम्र की मोहताज होती है ना ही छोटी जगहों की। बस जरूरत होती है उसे सही समय पर सही मौके की। जैसे ही वह उसे मिलता है उसकी प्रतिभा निखर कर सामने आ ही जाती है। इसकी एक सफल बानगी है धनबाद के कपूरिया के रहनेवाले रेलवे कर्मचारी महादेव महतो के इकलौते बेटे राकेश कुमार जो मनोरंजन की दुनिया के नए बने प्लेटफार्म ओटीअी पर जल्द ही रीलिज होनेवाली है और सिक्ख दंगों की पृष्ठभूमि पर बनी वेब सीरीज ग्रहण से अपना जलवा बिखेरने को तैयार हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 06:16 AM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 06:16 AM (IST)
धनबाद का युवक ओटीटीपी पर धमाल मचाने को तैयार
धनबाद का युवक ओटीटीपी पर धमाल मचाने को तैयार

अजय कुमार पांडेय, धनबाद : प्रतिभा ना तो उम्र की मोहताज होती है ना ही छोटी जगहों की। बस जरूरत होती है उसे सही समय पर सही मौके की। जैसे ही वह उसे मिलता है उसकी प्रतिभा निखर कर सामने आ ही जाती है।

इसकी एक सफल बानगी है धनबाद के कपूरिया के रहनेवाले रेलवे कर्मचारी महादेव महतो के इकलौते बेटे राकेश कुमार, जो मनोरंजन की दुनिया के नए बने प्लेटफार्म ओटीअी पर जल्द ही रीलिज होनेवाली है और सिक्ख दंगों की पृष्ठभूमि पर बनी वेब सीरीज ग्रहण से अपना जलवा बिखेरने को तैयार हैं।

अपने मां बाप के लाडले और तीन भाई बहनों में सबसे बड़े राकेश का शुरुआती सफर बोकारो से रांची होते धनबाद तक पहुंचा। जहां उनकी प्रारभिंक शिक्षा पूरी हुई। एकबार फिर उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए रांची होते हुए भोपाल की राह पकड़ी, जहां से उन्होंने पत्रकारिता में एमए करने के बाद कुछ दिन अखबारों में काम किया, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था, जिसने उन्हें नौकरी छोड़ शॉर्ट फिल्मों की ओर कदम बढ़ाने के लिए मजबूर कर दिया। कभी अपनी लेखनी से लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रहे राकेश ने कैमरा ओर रील की दुनिया क्यों पकड़ी, पूछने पर कहते हैं कि फोटो मेरा बचपन का क्रश रहा था। भोपाल में पढ़ाई के दौरान यह परवान चढ़ी और अखबारी नौकरी के दौरान यह कब पैशन में बदल गयी पता ही नहीं चला।

ग्रहण में काम मिलने पर खुशी जताते हुए वह कहते हैं कि वे एक शॉर्ट फिल्म की रांची में शूटिग कर रहे थे। इसी बीच रायपुर से किसी अनजान शख्स ने फोन कर ग्रहण की शुटिग के लिए ऑफर किया। जिसकी कहानी सुनने के बाद मैंने हां कर दी। फोन करने वाले व्यक्ति ने झरिया कोल खदानों पर आधारित पर्यावरण पर बनाई मेरी शॉर्ट फिल्म को यू ट्यूब पर देख मेरा चयन करने की बात मुझे बताई।

बताते चलें कि ग्रहण वेब सीरीज का निर्माण झारखंड के बोकारो में रहने वाले सत्या व्यास के उपन्यास चौरासी पर आधारित है। जिसमें 84 सिक्ख दंगों को मुख्य थीम रखा गया है। रंजन चंदेल निर्देशित इस सीरीज की कहानी एक ऐसी लड़की के इर्द गिर्द घुमती है जिसके पिता पर इन दंगों के दौरान सिक्खों के कत्लेआम का आरोप था। और इस केस को फिर से जांच के लिए राज्य सरकार उस समय खोलती है जब वह लड़की आइपीएस बन उसी शहर में बतौर एसपी बहाल होकर आती है। बचपन से बाप को आर्दश माननेवाली इस लड़की के फर्ज और बाप के प्रति अनुराग के बीच उपजे द्वंद्व को दिखाती इस सीरीज की बस इतनी ही जानकारी देकर राकेश सभी से इसे देखने की अपील करते हैं ओर कहते हैं कि परिवार वालों के साथ यार दोस्तों की मदद नहीं मिली होती तो उनका यह सफर शुरुआत में ही दम तोड़ चुका होता।

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