बाघमारा कालेज के जमीन घोटाले की होगी जांच : एसडीओ

जागरण संवाददाता धनबाद बाघमारा कालेज के वर्तमान प्रबंधन की शिकायत पर धनबाद सदर अनुमंडल पदाधिकारी प्रेम कुमार तिवारी ने कालेज की जमीन को लेकर हुई अनियमितता की जांच का आदेश दिया है। तिवारी ने पत्र लिखकर बाघमारा सीओ किशोर कुमार को कालेज की जमीन संबंधी सभी दस्तावेजों का गहनता से अध्ययन कर रिपोर्ट बनाने का आदेश दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 07 Sep 2021 09:36 PM (IST) Updated:Tue, 07 Sep 2021 09:36 PM (IST)
बाघमारा कालेज के जमीन घोटाले की होगी जांच : एसडीओ
बाघमारा कालेज के जमीन घोटाले की होगी जांच : एसडीओ

जागरण संवाददाता, धनबाद : बाघमारा कालेज के वर्तमान प्रबंधन की शिकायत पर धनबाद सदर अनुमंडल पदाधिकारी प्रेम कुमार तिवारी ने कालेज की जमीन को लेकर हुई अनियमितता की जांच का आदेश दिया है। तिवारी ने पत्र लिखकर बाघमारा सीओ किशोर कुमार को कालेज की जमीन संबंधी सभी दस्तावेजों का गहनता से अध्ययन कर रिपोर्ट बनाने का आदेश दिया है। तिवारी ने बताया कि कालेज प्रबंधन से जुड़े वर्तमान प्राचार्य सहित अन्य लोगों ने उनसे मुलाकात कर इसकी जांच कराने की मांग की थी। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद दोषियों के विरुद्ध उचित कानूनी कारवाई की जाएगी। इस बीच कालेज के वर्तमान प्राचार्य रंजन कुमार ने फोन पर बताया कि कालेज की जमीन पर अवैध कब्जे का पता उस समय चला जब नेशनल असेसमेंट एंव एक्रेडिटेशन काउंसिल की मान्यता के लिए कालेज के दस्तावेजों को खंगाला जा रहा था। उसी समय जमीन के दस्तावेज हाथ लगने पर उसकी मापी कराई गई, तो तीन एकड़ पच्चीस डिसमिल जमीन का कुछ पता नहीं चल पाया। खोजबीन करने पर पता चला कि पूर्व प्राचार्य ने मिलीभगत कर इन जमीनों की बंदोबस्ती कुछ लोगों के नाम पर करा दी है। जिनलोगों ने कालेज के जमीन के इस हिस्से पर अवैध कब्जा कर रखा है। इसकी शिकायत एसडीओ से कर इस अवैध कब्जे को हटाने की गुहार लगाई गई है।

वहीं पूर्व प्राचार्य अशोक सिंह ने अपने उपर लगे सभी आरोपों को खारिज किया और कहा कि पूर्व मुखिया ने 1979 में कालेज के लिए 11 एकड़ जमीन दो टुकड़ों में दी थी। इस जमीन की रजिस्ट्री उसी साल सरकार के नाम पर करा कर दाखिल खारिज भी करा दिया गया था। साथ ही उसकी लगान की रसीद भी 2014 तक नियमित तौर पर कटाई जाती रही। लेकिन उसी समय कालेज की जमीन पर कुछ लोगों ने जबरदस्ती कब्जा कर घर बनाना शुरू किया। इसकी जानकारी प्रबंधन को देने के साथ कोर्ट में टाइटल केस किया गया। जिसमें कालेज के हक में फैसला आने के बाद प्रशासन से इसे खाली कराने के आग्रह किया गया है। इससे संबंधित सभी कागजात कालेज के रिकार्ड में मौजूद हैं।

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