अनाथ मासूमों को रेलवे से पावना राशि मिलने का इंतजार
तापस बनर्जी धनबाद वो 15 नवंबर 2020 था। पांच साल की खुशी और तीन साल के प्रिस ने सोचा भी न होग
तापस बनर्जी, धनबाद : वो 15 नवंबर 2020 था। पांच साल की खुशी और तीन साल के प्रिस ने सोचा भी न होगा कि वह दिन उनकी जिदगी का सबसे काला दिन हो जाएगा। मां-बाप के साथ-साथ दादा-दादी का साया भी सिर से छिन जाएगा। पर नियति को यही मंजूर था। कुछ ही पलों में ऐसा तूफान आया कि पूरे परिवार को तिनके की तरह बिखेर कर चला गया। उस हादसे में मारे गए रेलवे कर्मचारी स्व. विश्वनाथ मिश्रा के पोते-पोती को रेलवे से मदद मिलने का इंतजार है। घटना को तकरीबन छह महीने हो चुके हैं। तब से दोनों मासूम अपनी बुआ के पास हैं। रेलवे की मदद वेटिग लिस्ट में है। महीनों इंतजार के बाद भी जब आर्थिक मदद की रकम नहीं पहुंची तो उनके रिश्तेदार पवन कुमार मिश्रा ने डीआरएम को ट्वीट किया है। ट्विटर पर दस्तावेज शेयर कर लिखा है कि मासूमों की देखभाल के लिए मिलने वाली रकम की स्वीकृति मार्च में ही मिल चुकी है। बावजूद उनके अकाउंट में पैसे नहीं पहुंचे हैं।
यह है घटना
रेलकर्मी विश्वनाथ मिश्रा अपने पूरे परिवार के साथ 15 नवंबर को महापर्व छठ मनाने धनबाद से कटिहार के लिए निकले थे। कार में उनके साथ पत्नी, बेटा सुमित, बहू रागिनी के साथ पांच साल की पोती खुशी और तीन साल का पोता प्रिस भी था। परिवार जामताड़ा में सड़क हादसे का शिकार हो गया। सामने से आ रहे वैन से उनकी कार की भिड़ंत हो गई। टक्कर इतनी जोरदार थी कि रेलकर्मी के साथ उनकी पत्नी और बेटा-बहू की मौत हो गई, पर पोते-पोती को खरोंच तक नहीं आई।