लाला की हत्या के लिए अमन ने दी थी 15 लाख की सुपारी
धनबाद पूर्व डिप्टी मेयर नीरज हत्याकाड में जेल में बंद अमन सिंह के नाम पर धनबाद में व्यापारी आउटस
धनबाद : पूर्व डिप्टी मेयर नीरज हत्याकाड में जेल में बंद अमन सिंह के नाम पर धनबाद में व्यापारी, आउटसोìसग कंपनी तथा अन्य लोगों से रंगदारी की माग आशीष सिंह उर्फ आशीष रंजन सिंह उर्फ छोटू उर्फ टिल्लू करता है। आशीष सिंह ही छोटू सिंह है। अपराध की दुनिया में उसने अपना नाम बदलकर छोटू सिंह रख लिया है। अमन सिंह ने वासेपुर के जमीन कारोबारी लाला खान से रंगदारी मागी थी परंतु लाला ने रंगदारी नहीं दी। इसी कारण अमन ने लाला का काम तमाम करने का आदेश आशीष को दिया था। अमन सिंह ने आशीष सिंह उर्फ छोटू को लाला खान की हत्या करने के लिए 15 लाख रुपये अपने आदमी से भेजा था। वह रुपया आशीष ने मनीष को रखने को दिया था। हत्या के बाद आशीष, गुड्डू और दानिश बोकारो आया था और सारी बात मनीष को बताई थी। फिर वह आजमगढ़ भाग गया था।
यह खुलासा शूटर आशीष रंजन उर्फ छोटू के फुफेरे भाई मनीष कुमार सिंह एवं उसके साले विवेक कुमार सिंह ने पुलिस को दिए अपने बयान में किया है। सोमवार को पुलिस ने दोनों को बोकारो कोआपरेटिव कालोनी स्थित अशोक सिंह के घर से गिरफ्तार किया था। वहां दोनों किराएदार के रूप में रह रहे थे। मंगलवार को बैंक मोड़ थाने की पुलिस ने मनीष एवं विवेक को अदालत में पेश किया, जहा से उन्हें जेल भेज दिया गया। धंधा नहीं चला तो हो गया गैंग में शामिल
मनीष एवं विवेक ने पुलिस को बताया कि दोनों बोकारो में रितेश सिंह के साथ मिलकर स्क्रैप का काम करते थे। इधर, इन लोगों का काम ठीक से नहीं चल रहा था। जेसी मल्लिक रोड में मनीष की एक फुआ रहती है। जनवरी में एक दिन फुआ का लड़का प्रियरंजन उर्फ गोलू अपने छोटे भाई आशीष रंजन को लेकर आया तथा बताया कि धनबाद में आशीष को पुलिस खोज रही है। अपने पास रख लीजिए। फुआ का लड़का होने के कारण मनीष ने उसे अपने घर के नीचे वाले कमरे में रख लिया था। उसके रहने के एक सप्ताह के बाद ही अपराधी किस्म के लोग उससे मिलने आने लगे। विवेक भी दिन-रात आशीष के साथ रहता था। वह जब किसी से फोन पर बात करता तो विवेक की पत्नी का मोबाइल या फिर शिव शकर राय के मोबाइल फोन के हॉटस्पॉट को यूज करता था। वह अपने मोबाइल में सिम नहीं रखता था। बातचीत के दौरान उसने बताया कि वह नीरज सिंह हत्याकाड में राची की जेल में बंद अमन सिंह के लिए शूटर का काम करता है। रुपया लेकर हत्या करता है। अमन सिंह के लिए रंगदारी मागता है। धनबाद में कई जगहों पर गोली चलाई है। आप लोग भी अमन सिंह गैंग में शामिल हो जाइए, रंगदारी मे वसूल किया हुआ रुपया आपके पास रख दूंगा। विवेक भी बेरोजगार है। मुझे भी पैसे की जरूरत थी। मैं तथा विवेक आशीष रंजन सिंह के कहने पर अमन सिंह गैंग में शामिल हो गए। उसका बड़ा भाई भी फोन पर अपने छोटे भाई के बारे में बताया तथा गैंग में शामिल होने को कहा। उसने बताया कि धनबाद में मैं बाहर से पुलिस पर नजर रखूंगा और आप लोग बोकारो में रहकर आशीष का रुपया रखिए। इसके बाद मैंने आशीष के बड़े भाई प्रियरंजन को अपने साले विवेक कुमार का केनरा बैंक का अकाउंट दे दिया, जिसमें रंगदारी का रुपया आता था। धीरे-धीरे रंगदारी का रुपया इसी अकाउंट में आने लगा। चार मई को राची से भी पचास हजार रंगदारी का रुपया डाला गया। इसके अलावा भी कई बार रुपया डाला गया। भाई की शादी के बाद सिवान से विवेक कुमार तथा आशीष रंजन सिंह 8 मई को बोकारो पहुंचा। आशीष रंजन के पास 15 लाख रुपये था। उसने मुझे देते हुए बताया कि वासेपुर के एक जमीन कारोबारी लाला खान की हत्या करनी है। अमन जेल में बंद है। उसने अपने आदमी से मेरे पास भेजवाया है। इसे आप रख लीजिए तथा अब से सारा खर्चा का काम आप और विवेक द्वारा देखा जाएगा। जहा जरूरत होगी मैं बता दूंगा और आप लोग उसे दे दीजिएगा। आप दोनों का काम में हिस्सा रहेगा। मैसेंजर से फोन करता था आशीष
आशीष रंजन मैसेंजर या वर्चुअल नंबर से मुझसे, विवेक तथा अपने भाई प्रिय रंजन उर्फ गोलू से बात करता था। घर पर उसका दोस्त गुड्डू खान, दानीश, शेरू तथा अमर रवानी आता था, तथा उसके कहने पर मैं विवेक को कहकर रुपया देता था। आशीष सिवान से लौटने के बाद बराबर वासेपुर जमीन कारोबारी की हत्या करने वास्ते जाया करता था। पूछने पर बताया था कि एक बड़ा जमीन कारोबारी लाला खान है। उससे 50 लाख रुपया रंगदारी अमन ने मागा है, परंतु वह कुछ नहीं बोल रहा है। उसकी हत्या की सुपारी मुझे मिली है। रुद्रप्रताप के नाम से चलाता है फेसबुक
आशीष रंजन रुद्रप्रताप के नाम से फेसबुक चलाता है। उससे वह बराबर मैसेंजर से बात करता है। हत्या की योजना के दौरान आशीष के कहने पर मैंने अपने साला को कह कर दानिश के अकाउंट में 15 हजार डलवाया था। लाला खान की हत्या के बाद आशीष अपने साथी गुड्डू खान, दानिश के साथ मेरे घर आया और सारी बात बताई। यहा से वह आजमगढ़ चला गया। आशीष के कहने पर मैंने विवेक से दानिश के अकाउंट में 20 हजार रुपये डलवाया।