Jharkhand Unlock 02: छूट मिलते ही धनबाद के सड़को पर उमड़ी बेतहाशा भीड़; सभी हुए अनलॉक
धनबाद में कोरोना की रफ्तार पहले से धीमी पड़ गई है। ऐसे में धनबाद के लोगों को सरकार से कुछ राहत की उम्मीद है। सरकार 10 जून को इस मसले पर बड़ा फैसला सुना सकती है। अब आम जनों सहित व्यवसायियों की भी टक-टकी नजर इस पर लगी हुई है।
धनबाद, जेएनएन। भले ही धनबाद में कोरोना की रफ्तार सुस्त पड़ गई हो किंंतु इसका कतई यह मतलब नहीं कि इससे कोरोना का खतरा टल गया है। संक्रमित की संख्या में कमी का अर्थ कोरोना का जाना नहीं है। सरकार की ओर से अभी धनबाद में छूट की घोषणा हो गई है। घरों से लोग ऐसे बाहर निकल रहे हो जैसे किसी जेल से रिहाई हुई हो।
आज गुरुवार से अनलॉक टू धनबाद में शुरू हो गया है। लोग बेखाफ सड़कों पर निकलने लगे है। धनबाद स्टील गेट, पुराना बाजार, बैंक मोड़, बिग बाजार एरिया, सिटी सेंटर आदि की सड़के अपने पुराने रुबाब में दिखने लगी है। सरकार का अनलॉक करने का फैसला लोगों व व्यवसायियों के हित को देखकर लिया गया था। लोगों को यह समझना होगा कि अगर धनबाद को रियायतें मिलती है तो उसके साथ उनकी जिम्मेवारियां भी बढ़ गई है। अनलॉक, रियायत या छूट का कतई मतलब यह नहीं है कि लोग बिना मतलब के सड़कों पर निकलना शुरू कर दें। बेवजह घूमने फिरने लगे।
कोरोना की दूसरी लहर जिस तहर से धनबाद के लिए खतरनाक रही लोगों को यह बात नहीं भूलनी चाहिए। इसमें न जाने कितने लोगों की जान चली गई। कई बच्चे अनाथ हो गए तो किसी का सुहाग छिन गया तो किसी के बच्चे। हर तरफ ऑक्सीजन के लिए मारामारी देखी गई। देखते ही देखते धनबाद के श्मसान में भी जगह मुश्किल हो गया था। धनबाद में कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण ही झारखंड सरकार अपने पहले अनलॉक में धनबाद को छूट नहीं दी थी। लेकिन अब जब कोरोना की दूसरी लहर कमजोर पड़ रही है तब सकरार से राहत व रियायतें की उम्मीद भी जगी हुई है। साथ ही जिम्मेवारी भी।
इधर झामुमो व्यवसायिक प्रकोष्ठ के केंद्रीय अध्यक्ष अमितेश सहाय के वायदों की पोल खुलती दिख रही है। सरकार ने तो उनकी बात सुन ली। किंंतु अमितेश के वायदे झूठे हो गए। जिसमें उन्होंने कहा था सरकार सभी दुकानों को खोलने का परमिशन देंं। कोरोना गाडलाइन्स के तहत ही दुकानदार व व्यवसायी दुकान खोलेंगे व सभी सरकारी नियमों का पालन करेंगे। बाकी सच्चाई तस्वीरें बयां कर रही है।