Dhanbad Expert Opinion: बच्‍चों को मोबाइल से बाहर न‍िकाल ऐसे बना सकते राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के ख‍िलाड़ी

जिला खो-खो एसोसिएशन धनबाद के महासचिव व भूतपूर्व राष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी तारकनाथ दास ने कहा क‍ि खेल हम सभी के लिए बेहद जरूरी है। खेल हमारे शारीरिक तथा मानसिक संतुलन को बनाए रखता है। इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण है खेल का मैदान।

By Atul SinghEdited By: Publish:Tue, 23 Feb 2021 11:33 AM (IST) Updated:Tue, 23 Feb 2021 11:33 AM (IST)
Dhanbad Expert Opinion: बच्‍चों को मोबाइल से बाहर न‍िकाल ऐसे बना सकते राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के ख‍िलाड़ी
खेल हमारे शारीरिक तथा मानसिक संतुलन को बनाए रखता है। (जागरण)

धनबाद, जेएनएन:  जिला खो-खो एसोसिएशन धनबाद के महासचिव व भूतपूर्व राष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी तारकनाथ दास ने कहा क‍ि खेल हम सभी के लिए बेहद जरूरी है। खेल हमारे शारीरिक तथा मानसिक संतुलन को बनाए रखता है। इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण है खेल का मैदान।

लेकिन कोयलांचल में खेल के लिए एक भी अच्छा मैदान नहीं है।  जिसमें कोयलांचल के बच्चे, युवा व बड़े खेल सके व टहल सके। कई मैदान ऐसे भी थे, जिसमें बच्चे खेला करते थे। लेकिन जिस प्रकार दिन बीतते गए, अतिक्रमण के कारण ग्राउंड छोटा होता गया। और अब वहां ग्राउंड का नक्शा ही गायब हो गया। जिले में  राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने वाले खिलाडिय़ों की कमी नहीं है।  यहां एक भी स्टेडियम ऐसा नहीं है, जिस पर यहां के खिलाड़ी अभ्यास कर सकें। स्टेडियम की कमी के कारण यहां के खिलाडिय़ों का आगे बढऩे का सपना अधूरा रह जाता है। यदि एक बेहतर स्टेडियम का निर्माण हो जाए और खेल के संसाधन मिले तो यहां के खिलाड़ी भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। एक अदद स्टेडियम न होने के कारण ही आजकल बच्चे मोबाइल पर ही अधिक समय बीता रहे हैं।

उनके लिए मोबाइल ही खेल का मैदान बना लिया है। जिससे उनकी आंखों के साथ-साथ सेहत पर भी बेहद बुरा प्रभाव पड़ रहा है। साथ ही बच्चों का झुकाव ऑनलाइन गेम की तरफ काफी बढ़ रहा है। इससे उनकी पढ़ाई पर भी असर पड़ रहा है। वहीं जो थोड़े बहुत खेल के मैदान बचे हैं वह या तो अतिक्रमण की चपेट में आ गए हैं या उन मैदानों पर शाम होते ही शराबियों का कब्जा हो जाता है। आलम यह है कि अधिकांश माता-पिता इन्हीं कारणों से अपने बच्चों को मैदान में जाने से रोकते हैं।  एक समय था जब मैदान में अलग-अलग टीम बनाकर अभ्यास किया जाता था। अब तक मैदान में एक्का-दूक्का युवक ही खेलते दिखते हैं। कुछ वर्ष पहले बिरसा मुंडा पार्क के पास स्टेडियम का निर्माण शुरू हुआ था। लेकिन थोड़ा सा काम होने के बाद यह भी बंद हो गया। इस स्टेडियम की स्थिति भी अब जर्जर हो गई है। यदि जिला प्रशासन के अधिकारी इस स्टेडियम के निर्माण में चुस्ती दिखाए तो न सिर्फ यहां के खिलाडिय़ों को प्रैक्टिस करने के लिए एक बेहतर जगह मिलेगी बल्कि यह अपनी खेल प्रतिभा के जरिए देश-विदेश में धनबाद का नाम भी रोशन करेंगे।

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