Shaharnama Dhanbad: का समझे साहब ! चुपचाप कोयला की काली कमाई का हिस्सा खाइए
Shaharnama Dhanbad धनबाद जिला खनन पदाधिकारी अजीत कुमार को लगा कि कुछ ड्यूटी भी होनी चाहिए। भाजपा नेता मैनेजर राय के कोक भट्ठा में धावा बोल दिए। दामोदर नदी के टुंडी घाट पर भी जब तब पहुंच जा रहे थे।
अश्विनी रघुवंशी, धनबाद। इस नगरी में कोयला है। बालू है। चुपचाप कोयला की काली कमाई का हिस्सा खाइए तो कोई झंझट नहीं है। बालू से निकलने वाले तेल का स्वाद भी लाजवाब लगेगा। जिला खनन पदाधिकारी अजीत कुमार को लगा कि कुछ ड्यूटी भी होनी चाहिए। भाजपा नेता मैनेजर राय के कोक भट्ठा में धावा बोल दिए। दामोदर नदी के टुंडी घाट पर भी जब तब पहुंच जा रहे थे। बिना परिवहन चालान के बीसीसीएल का कोयला भेजा जा रहा था तो वहां भी छापा मार दिए थे। छापा मारने तक बात ठीक है, दनादन प्राथमिकी भी दर्ज करा दी। नियम-कानून का पालन कराने को इतनी खुरपेंच की जाएगी तो किसी का भी मगज खराब हो जाएगा। छोटा प्रदेश है। कही न कही से लकड़ी लग ही जाती है। लग भी गई। जिला खनन पदाधिकारी अजीत कुमार के रुखसत होने का परवाना निकल गया। और मारिए छापा।
सुधर गए तो कांग्रेसी कैसे
कांग्रेसियों की सियासत का तरीका अलहदा है। झारखंड कांग्रेस की कमान संभालने के बाद राजेश ठाकुर पहली बार धनबाद आए। स्वास्थ्य एवं आपदा प्रबंधन मंत्री बन्ना गुप्ता और कृषि मंत्री बादल पत्रलेख भी साथ थे। कांग्रेसी नेता संतोष सिंह और राशिद रजा अंसारी ने चांदी का मुकुट और तलवार भेंट किया। सियासी भक्ति का उपहार था यह। मनोज यादव मंच संभालने में लगे थे। घोषणा थी कि मंत्री, विधायक एवं जिलाध्यक्ष के अलावा कोई मंच पर न होगा। इनसे इतर भी कोई मंच पर था। जिला उपाध्यक्ष मनोज सिंह ताव खा गए। दूसरा ऊपर तो वे कैसे नीचे। धक्कामुक्की के बाद वो भी मंच पर थे। चेहरा दिखाने को बाकी कांग्रेसी भी वो सब किए जो करते रहे हैैं। सबसे अहम। आपदा प्रबंधन मंत्री मंच पर थे। नीचे किसी चेहरे पर कोरोना काल में भी मास्क न था। सैयां भये कोतवाल तब डर काहे का।
इस सियासत में बारुदी गंध
बाघमारा विधानसभा क्षेत्र के भीतर बीसीसीएल की खदानों में अपार कोयला है। यही कोयला बाघमारा की राजनीति में बारुदी गंध घोल रहा है। विधानसभा चुनाव के बाद शायद ही कोई महीना गुजरा हो जब कोयला के कारण स्थानीय भाजपा विधायक ढुलू महतो और कांग्रेसी लीडर जलेश्वर महतो के समर्थकों के बीच खून खराबा, हाथापाई, गाली गलौज नहीं हुई हो। दोनों के समर्थक कोयला कारोबार पर वर्चस्व के लिए हर तरह की रार को सदैव तैयार हैैं। ढुलू महतो की मानिए तो जलेश्वर गुंडई कर रहे हैैं। पूर्व मंत्री जलेश्वर महतो को सुने तो वो ढुलू के इतने किस्से सुना देंगे कि हैरान रह जाएंगे। कनकनी में बीसीसीएल की वेंडर पार्टनर कंपनी का काम शुरू होने पर ङ्क्षहसक टकराव हुआ। पहले ढुलू, फिर जलेश्वर के खिलाफ नामजद प्राथमिकी भी दर्ज हुई। तो क्या? अगले विधानसभा चुनाव तक यह जंग रुकने वाली नहीं है। होता रहे मुकदमा।
बन्ना भइया, हम भी हैं
कुछ दिन पहले भाजपा विधायक सीपी सिंह बोल गए थे कि स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता जमशेदपुर में टेम्पो की लाइनटेकरी करते थे। बन्ना भी क्यों पीछे रहते। टेम्पो की स्टेयङ्क्षरग थाम कर विधानसभा पहुंच गए। सब जानते हैैं कि झारखंड बनने के वक्त से बन्ना गुप्ता टेम्पो चालकों की यूनियन के संरक्षक रहे हैैं। टेम्पो चालकों के लिए बन्ना गुप्ता ने खूब लड़ाइयां लड़ी है। टाटा नगरी के आटो वाले उनके दम पर बमबम हैैं। खैर, अभी कोयला नगरी के आटो वाले तनाव में हैैं। जिलाधिकारी संदीप सिंह ने आदेश निकाल दिया कि शहर में सात हजार की जगह सिर्फ डेढ़ हजार आटो चलेंगे। बाकी सब बाहर। सभी टेम्पो का रुट तय होगा। इधर-उधर गए तो शामत आ जाएगी। आटो वाले चाहते हैैं कि बन्ना भइया दुख दर्द दूर कर दें। देखिए, प्रभारी मंत्री बन्ना यहां के आटो वालों की पुकार सुनते हैैं या नहीं।