Shaharnama Dhanbad: चेतन बाबू, सोच समझकर ! इस राजनीति में बड़े कचरे हैं
Shaharnama Dhanbad धनबाद नगर निगम का चुनाव होना है। हालांकि चुनाव कब होगा यह तय नहीं है। कोरोना की तीसरी लहर नहीं उठी तो दिसंबर-जनवरी तक चुनाव हो सकता है। इसे देखकर उम्मीदवारों ने तैयारी शुरू कर दी है। तीन दर्जन से ज्यादा लोग मेयर के लिए उछल रहे हैं।
धनबाद [ अश्विनी रघुवंशी ]। फेडरेशन आफ धनबाद चैंबर आफ कामर्स के अध्यक्ष चेतन गोयनका को वो जख्म याद है जो उन्हें धनबाद नगर निगम से मिला था। पहली बार चैंबर अध्यक्ष चुने गए थे तो व्यापारियों ने धनबाद नगर निगम से जुड़ी दर्जनों समस्याओं के समाधान का अनुरोध किया था। चेतन गोयनका ने नगर आयुक्त से आग्रह किया था कि कुछ वक्त दें। नगर निगम गए तो नगर आयुक्त मौजूद नहीं थे। चेतन ने मौन सत्याग्रह किया था। अब हेमंत सरकार ने नगर निगम का चुनाव कराने की पहल की है। व्यापारियों का बड़ा तबका चाहता है कि महापौर की कुर्सी पर उनका प्रतिनिधि हो। धनबाद, झरिया, बैंक मोड़, कतरास, गोविंदपुर, हीरापुर, पुराना बाजार समेत हरेक इलाके के व्यापारी चेतन गोयनका पर दबाव डाल रहे हैैं कि वे मेयर का चुनाव लड़े। चेतन धर्म संकट में हैैं। चुनावी समर में उतर गए तो वे कतई पीछे नहीं हट सकते।
सावित्री के सत्यवान बनेंगे ढुलू
रघुवर राज था तो बाघमारा के भाजपा विधायक ढुलू महतो के जुबान से निकली बात बह्मï वाक्य होती थी। हेमंत सरकार बनने के बाद तत्कालीन एसएसपी किशोर कौशल ने विधायक की की ऐसी घेराबंदी की कि उनके सियासी किले की दीवारें दरक गईं। ढुलू को जेल यात्रा करनी पड़ी थी। तब पति के लिए सावित्री देवी कड़ी धूप में सड़क पर थी। जल्द धनबाद नगर निगम का चुनाव होना है। सावित्री देवी को मेयर का चुनाव लड़ाने की बात बाहर आ चुकी है। बाघमारा के भाजपाई चाहते हैैं कि अब ढुलू महतो सत्यवान की भूमिका में दिखे। वैसे, ढुलू महतो भी भली-भांति जानते हैैं कि धनबाद नगर निगम पर परिवार का कब्जा हो गया तो भविष्य में सांसद का चुनाव लडऩे का ख्वाब आसानी से देखा जा सकता है। आखिर धनबाद नगर निगम के दायरे में धनबाद संसदीय क्षेत्र का आधा हिस्सा तो है ही।
सियासत तुम्हारी, विरासत हमारी
सूर्यदेव सिंह का ऐसा रसूख था कि दिल्ली में कोयला मंत्रालय उनके नाम पर हिलता था। उनका स्वर्गवास हुआ तो दबंग सियासी परिवार दो घरानों में बंट गया, 'सिंह मेंशन एïवं रघुकुल अब एक-दूसरे के कट्टïर दुश्मन। स्वर्गीय सूर्यदेव सिंह झरिया से लगातार विधायक रहे। पत्नी कुंती देवी एवं पुत्र संजीव सिंह भी विधायक बने। अभी रघुकुल की पूर्णिमा सिंह कांग्रेस विधायक हैैं। चचेरी देवरानी रागिनी सिंह को उन्होंने हराया था। प्रदेश में अपनी सरकार है तो पूर्णिमा का दबदबा भी है। रागिनी भी सूर्यदेव सिंह की बहू हैैं। चुनाव जरूर हारी है। हौसले बुलंद हैैं। झरिया में पूरी मुस्तैदी से विधायक जेठानी से मुकाबिल हैैं। कुछ दिन पहले सूर्यदेव सिंह की पुण्यतिथि पर रागिनी झरिया गई तो ऐसी जय-जयकार हुई कि उनकी आंखें भर आई। रागिनी का अंदाज बिल्कुल गंवई जो लोगों को अपनापन का अहसास कराता है। साफ संदेश है, अगला रण आसान नहीं।
बीबी के आगे दारोगा सरेंडर
साल भर पहले राजगंज के जमीन कारोबारी युगल किशोर सिंह के पुत्र कुणाल कुमार का विवाह कुसुम बिहार के विजय कुमार की पुत्री से हुआ। कुणाल प्रशिक्षु दारोगा हैैं तो ससुर विजय कुमार भी खाकी वाले हैैं। विवाह के बाद दारोगाजी ड्यूटी बजाने पलामू चले गए। पत्नी को छोड़ गए अपने घर। सास-बहू के टीवी धारावाहिक का कमाल कहिए या कुछ और, बात बिगड़ती चली गई। आखिरकार गुस्से में बिना बताए बहू मायके आ गई। तब दारोगाजी शादी के साइड इफेक्ट्स समझ गए। कई बार वर-वधु पक्ष में समझौता हुआ। बात नहीं बनी। कुछ दिन पहले विजय कुमार समधियाने में धमक गए। समधी युगल किशोर ने कप्तान साहब को फोन कर दिया कि घर में गुंंडे धमक गए हैैं। राजगंज पुलिस गई तो सच सामने आया। लंबी जिरह बाद सुलह हुई तो मियां-बीबी मुस्कुराए। चुहलबाजी में महिला सिपाही गुनगुनाई, सजना है मुझे सजना के लिए।