जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र विकास की पहली कड़ी : डीडीसी

आम आदमी तक सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने में जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र की अहम भूमिका होती है। इसलिए अधिकारियों को इसे निर्गत करने के पहले सभी जरूरी प्रक्रियाओं का पालन अनिवार्य रूप से करना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि उनको इन प्रक्रियाओं की समुचित जानकारी हो। यह बातें डीडीसी दशरथ चंद्र दास ने मंगलवार को डीआरडीए के सभागार में जन्म एवं मृत्यु निबंधन को लेकर एक दिवसीय जिला स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कही।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 06 Oct 2021 06:15 AM (IST) Updated:Wed, 06 Oct 2021 06:15 AM (IST)
जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र विकास की पहली कड़ी : डीडीसी
जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र विकास की पहली कड़ी : डीडीसी

जागरण संवाददाता, धनबाद : आम आदमी तक सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने में जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र की अहम भूमिका होती है। इसलिए अधिकारियों को इसे निर्गत करने के पहले सभी जरूरी प्रक्रियाओं का पालन अनिवार्य रूप से करना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि उनको इन प्रक्रियाओं की समुचित जानकारी हो। यह बातें डीडीसी दशरथ चंद्र दास ने मंगलवार को डीआरडीए के सभागार में जन्म एवं मृत्यु निबंधन को लेकर एक दिवसीय जिला स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कही। प्रशिक्षण में शामिल होने आए कर्मियों और अधिकारियों को संबांधित करते हुए उन्होंने कहा कि ये प्रमाण पत्र सभी के लिए महत्वपूर्ण सर्टिफिकेट है। वहीं जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीओ) महेश भगत ने कहा कि जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने से अधिकारियों और इससे जुड़े कर्मियों को इसे जारी करने की प्रक्रिया की पूरी जानकारी अनिवार्य रूप से होनी चाहिए। प्रक्रिया का पालन करते हुए प्रमाण पत्र जारी करने के पहले सभी तरह की छानबीन कर लेनी चाहिए। यदि किसी प्रकार की परेशानी हो तो वरीय पदाधिकारी से संपर्क करना चाहिए। प्रशिक्षण के दौरान बताया गया कि ग्रामीण क्षेत्र के लिए जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र सभी पंचायत, सीएचसी, पीएचसी तथा एचएससी में बनाया जा सकता है। शहरी क्षेत्र के लिए नगर निगम, एसएनएमएमसीएच, नगर पंचायत, सीएचसी, पीएचसी तथा धनबाद सदर अस्पताल में बनाया जा सकता है।

कार्यक्रम में जन्म एवं मृत्यु रजिस्ट्रेशन अधिनियम, 1969 के तहत 32 धाराओं के बारे में भी विस्तार से बताया गया। साथ ही निर्धारित समय अवधि, आवश्यक प्रपत्रों की जानकारी, विलंब से किए जाने वाले रजिस्ट्रेशन, सरोगेसी, एआरटी और इनविट्रो फर्टिलाइजेशन तकनीक द्वारा जन्मे बच्चों का रजिस्ट्रेशन, खोए हुए व्यक्तियों का मृत्यु रजिस्ट्रेशन, प्राकृतिक आपदा और विपत्तियों में मृत्यु का रजिस्ट्रेशन सहित अन्य विषयों पर प्रशिक्षण दिया गया। कार्यक्रम में सिविल सर्जन डा श्याम किशोर कांत, प्रशिक्षक देवेंद्र कुमार सिंह, सहायक सांख्यिकी पदाधिकारी परशुराम सिंह, अनिल कुमार, मुलिन मरांडी, प्रमोद कुमार, विजय कुमार गोप, सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी, सभी अंचल अधिकारी व अन्य लोग उपस्थित थे।

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