Bilapur Circle, Dhanbad: उपायुक्त ने की सीओ और राजस्व निरीक्षक के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा, जानें कारण

राजस्व निरीक्षक रमेश सिंह का पैसा लेते एक विडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुआ। इस विडियो में सिंह को पैसा देनेवाला व्यक्ति तीन लाख रूपये देने की बात कहता सुनाई दे रहा है। साथ ही पूरे मामले में पंद्रह लाख रूपये के लेन देन की बात भी कह रहा है।

By MritunjayEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 10:04 AM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 10:04 AM (IST)
Bilapur Circle, Dhanbad: उपायुक्त ने की सीओ और राजस्व निरीक्षक के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा, जानें कारण
बलियापुर सीओ रामप्रवेश और धनबाद डीसी संदीप सिंह ( फाइल फोटो)।

जागरण संवाददाता, धनबाद। जमीन के दस्तावेजों में आन लाइन इंट्री के दौरान गड़बड़ी करने और फिर सुधार करने के नाम पर रिश्वत मांगने वाले बलियापुर अंचलाधिकारी और राजस्व निरीक्षक पर आखिर गाज गिर ही गई। प्रशासनिक जांच में दोनों की भूमिका और उन पर लगे आरोपों की पुष्टि होने के बाद उपायुक्त संदीप सिंह ने राज्य मुख्यालय को विभागीय कारवाई शुरू करने के लिए संस्तुति कर दी है। इसके पहले सिंह ने अंचलाधिकारी राम प्रवेश कुमार और राजस्व निरीक्षक रमेश सिंह के विरूद्ध लगे आरोपों की जांच के दिए एडीएम ला एंड आर्डर कुमार ताराचंद के नेतृत्व में दो सदस्यी कमिटी का गठन किया था। जिसने सामान्य और तकनीकी जांच के आधार पर दोनाें पर लगे आरोपों को सत्य पाया था। और इसकी रिर्पोट इस महीने के शुरूआत में ही उपायुक्त कार्यालय को उपलब्ध करा दिया था।

उपायुक्त ने रिर्पोट की समीक्षा करने के बाद दोनाें के विरूद्ध विभागीय कारवाई करने के लिए रांची स्थित मुख्यालय को अनुशंसा पत्र भेज दिया है। इसी बीच इस मामले की छपी खबरों पर संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री सचिवालय ने भी पूरे मामले की विस्तृत रिर्पोट तलब की है। उसे भी जांच रिर्पोट की एक कापी भेजते हुए पूरे मामले से अवगत करा दिया गया है। घूस मांगने का मामला उस समय उजागर हुआ जब एक राजस्व निरीक्षक रमेश सिंह का पैसा लेते एक विडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुआ। इस विडियो में सिंह को पैसा देनेवाला व्यक्ति तीन लाख रूपये देने की बात कहता सुनाई दे रहा है। साथ ही पूरे मामले में पंद्रह लाख रूपये के लेन देन की बात भी कह रहा है। जबकि सिंह अपने पूराने संबंधों का हवाला देते हुए काम किए जाने की पुष्टि कर रहा है। जांच में यह बात समाने आई कि दोनों अधिकारियों ने दाखिल खारिज का रिकार्ड आन लाइन करने के नाम पर पहले रिकार्ड से छेड़छाड़ की थी। जिसकी पुष्टि तकनीकी जांच में हुई थी। फिर उसे सुधारने के नाम 21 लाख रुपये की रिश्वत मांग रहे थे।

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