खेलोगे-कूदोगे तो होगे खराब... अब इस कहावत का बदल गया अर्थ, खेल से बेटियां बन रही आत्मनिर्भर

वालीबाल खेल के जरिए धनबाद की कई प्रतिभावान महिला खिलाड़ियों ने आत्मनिर्भर बनने में सफलता हासिल की है। इन्होंने राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक अपने खेल के बल पर पहचान ही नहीं बनाई बल्कि अपने पैरों पर खड़ी भी हुई।

By MritunjayEdited By: Publish:Tue, 20 Jul 2021 09:45 AM (IST) Updated:Tue, 20 Jul 2021 09:45 AM (IST)
खेलोगे-कूदोगे तो होगे खराब... अब इस कहावत का बदल गया अर्थ, खेल से बेटियां बन रही आत्मनिर्भर
खेल में पहचान बना रही धनबाद की बेटियां ( फाइल फोटो)।

जागरण संवाददाता, मैथन। खेल से धनबाद की बेटियां मुकाम पा रही हैं। वालीबाल हो या एथलेटिक्स, या फिर मार्शल आर्ट व वुशू बेटियां, अपने प्रदर्शन से धनबाद की बेटियां जिला से लेकर राज्य का नाम रोशन तो कर ही रहीं है, साथ ही आत्मनिर्भर भी बन रही हैं। वालीबाल, योग, मार्शल आर्ट, वुशू जैसे खेल से आगे बढ़ कर धनबाद की कई बेटियां अपने पैरों पर खड़ा होने में कामयाबी हासिल की है। यहां की बेटियां झारखंड पुलिस से लेकर प्रतिष्ठित स्कूलों में सेवा दे रही हैं। राष्ट्रीय स्तर की वालीबाल खिलाड़ी शाल्वी सिन्हा, निशि कुमारी, मौसमी दास, कुमारी प्रीति, स्वीटी कुमारी धनबाद के कई बड़े स्कूलों में स्पोटर्स टीचर बनने में सफलता हासिल की है। इसी तरह सुजापा ठाकुर आइआइटी आइएसएम में एथलेटिक कोच है।

वालीबाल से आत्म निर्भर बनने में मिल रही कामयाबी

वालीबाल खेल के जरिए धनबाद की कई प्रतिभावान महिला खिलाड़ियों ने आत्मनिर्भर बनने में सफलता हासिल की है। इन्होंने राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक अपने खेल के बल पर पहचान ही नहीं बनाई बल्कि अपने पैरों पर खड़ा भी हुई। कई वालीबाल महिला खिलाड़ी जिले के प्रतिष्ठित स्कूलों में खेल शिक्षिका की भूमिका निभा रही हैं । सालवी सिन्हा राजकमल विद्यालय, निशि कुमारी डिनोबिली धनबाद, मौसमी दास डिनोबिली डिगवाडीह, कुमारी प्रीति डिनोबिली कोराडीह में स्पोर्ट्स टीचर हैं । वहीं धनबाद की स्वीटी झा वालीबाल खेल से जोड़ते हुए भागलपुर के एक निजी स्कूल में स्पोर्ट्स टीचर के लिए चयनित हुई। इन सब को बालीबाल में प्रशिक्षित करने वाले कोच एवं धनबाद जिला वॉलीबॉल संघ के महासचिव सूरज प्रकाश लाल बताते हैं कि अब खेल का महत्व काफी बढ़ गया है। खिलाड़ी खेल के क्षेत्र में नाम कमाने के साथ अपने पैरों पर भी खड़ा हो रहे हैं। धनबाद की कई महिला वालीबाल खिलाड़ी आज अपने पैरों पर खड़ी है। वालीबाल की कोचिंग देने के साथ प्राइवेट स्कूलों में भी स्पोर्ट्स टीचर के रूप में बच्चों को प्रशिक्षित करने का काम कर रहे हैं। यह एक अच्छी शुरुआत है। इससे लड़कियों का खेल के प्रति लगाव बढ़ रहा है।

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