Shaharnama Dhanbad: वोट नहीं तो विकास काहे का... यही तो राजनीति का गूढ़ राज है

न्यायाधीश उत्तम आनंद की मौत के मालमे में राहुल और लखन वर्मा सीबीआइ की गिरफ्त में हैं। दोनों बेहद गरीब हैं। गुजरात में नार्को टेस्ट होना था। हवाई जहाज में चढऩे का मौका मिल गया। करीबी कह रहे हैं दोनों का गदहा जन्म छूट गया।

By MritunjayEdited By: Publish:Mon, 11 Oct 2021 09:20 AM (IST) Updated:Mon, 11 Oct 2021 09:20 AM (IST)
Shaharnama Dhanbad: वोट नहीं तो विकास काहे का... यही तो राजनीति का गूढ़ राज है
धनबाद के भाजपा विधायक राज सिन्हा ( फाइल फोटो)।

अश्विनी रघुवंशी, धनबाद। भाजपा विधायक राज सिन्हा कोई राज दिल में नहीं रखते। पांडरपाला के भगत चौक पर सड़क के शिलान्यास समारोह में गए तो मन की बात जुबां पर आ गई। मुस्लिम बहुल इलाका है। विधानसभा चुनावों में उन्हें अंगुली पर गिनने लायक वोट मिले थे। आम लोग विधायक को समस्याएं गिना रहे थे। हल्के फुल्के अंदाज में विधायक बड़ी बात बोल गए कि यहां के लोग वोट देते नहीं है तो फिर विकास काहे का होगा। राज सिन्हा की पीड़ा की वजह भी है। वासेपुर को जाने वाली मुख्य सड़क की पुलिया क्षतिग्रस्त हो गई है। भारी वाहन गुजरते हैैं तो पुलिया डोलने लगती है। विधायक तक बात गई तो लिखा पढ़ी कर काम शुरू करा दिया। वासेपुर से पांडरपाला तक लगातार योजनाएं देते रहे हैैं कि कभी तो चुनाव में लोगों का मन बदलेगा। आखिर विधायकजी एक हाथ से कब तक ताली बजाते रहेंगे।

जज हत्याकांड से विषाद में हर्ष

न्यायाधीश उत्तम आनंद की मौत हुई तो देशभर में हलचल हुई। आखिरकार यह मसला सीबीआइ के हवाले हुआ। न्यायाधीश को आटो से ठोकर मारने वाले राहुल और लखन वर्मा सीबीआइ की गिरफ्त में हैैं। दोनों बेहद गरीब हैैं। गुजरात में नार्को टेस्ट होना था। हवाई जहाज में चढऩे का मौका मिल गया। करीबी कह रहे हैैं, दोनों का गदहा जन्म छूट गया। अब साजिशकर्ता की खोज में सीबीआइ ने झरिया की कांग्रेस विधायक पूर्णिमा सिंह के रिश्तेदार हर्ष सिंह को तलब किया। हर्ष पर हत्या का केस है। न्यायाधीश उत्तम आनंद उस केस की सुनवाई कर रहे थे। झरिया से सिंदरी तक कुछ करना है तो लोगों के जेहन में पहला नाम हर्ष का आता है। हर्ष का रुतबा सुपर एमएलए का है, हकीकत चाहे कुछ भी हो। न्यायालय के सख्त अल्फाज से दो-चार सीबीआइ ने हर्ष सिंह को विषाद में डाल दिया है।

बस वालों को मिल गया हमसफर

यात्रीगण, कृपया ध्यान दे। भीड़भाड़ वाले धनबाद स्टेशन की मुख्य सड़क से लंबी दूरी की बसों की जो सेवा बंद हो चुकी थी वो फिर शुरू हो गयी है। एक पखवाड़ा पहले जिलाधिकारी संदीप सिंह ने आदेश निकाला था कि अब रेलवे स्टेशन के सामने संकरे मार्ग पर लंबी दूरी की बसें आएंगी ही नहीं। नाराजगी इस पर भी थी कि यात्री पड़ाव पर बस संचालकों ने कब्जा जमा लिया है। सरकारी पड़ाव से बसों को चलाने का हुक्म हुआ। लोग खुश थे कि अब सड़कजाम से कुछ राहत तो मिलेगी। जिलाधिकारी के आदेश से परेशान बस मालिकों ने पोटली खोलकर जुगाड़ खोजना शुरू कर दिए। सरकार में असरदार एक नेता को धरा गया। कोयला राजधानी से सियासी राजधानी तक तार जुड़ गए। पहले की तुलना में अधिक अवधि तक संकरे मार्ग पर बस चलाने की अनुमति मिल गई। आवाज गूंजने लगी, आइए रांची-रांची।

काला हीरा चाहिए, जीटी रोड जाइए

बिजली का उत्पादन करने वाले पावर प्लांट में कोयला की कमी के कारण देशभर में हाहाकार है। दिल्ली से तेलंगाना तक कोयला उपलब्ध नहीं कराने पर राजनीति भी हो रही है। कोयला ढुलाई के लिए विशेष ट्रेनें भी चलने लगी हैैं। कोल इंडिया की सहयोगी कंपनी बीसीसीएल, ईसीएल, सीसीएल के आला अधिकारी हलकान है। होते रहिए। वैध धंधा में बहुत पंगा है। अवैध कोयला चाहिए तो जीटी रोड जाइए। बेधड़क भारी वाहन गुजरते दिख जाएंगे। कुछ दिन पहले भाजपा नेता मैनेजर राय के कोक भट्ठा में छापा पड़ा था तो लोग मान लिए थे कि कुछ दिन गोरखधंधा बंद रहेगा। मगर कब तक। कोयले का भाव चढ़ा हुआ है तो कितने दिन यूं ही बैठा जाय। दौड़ भाग की गई तो काले धंधा की रुकावट दूर हो गई। बिजली के लिए कोयला चाहिए तो बंगाल सीमा की तरफ से बेहिचक जीटी रोड पर आइए।

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