महफूज नहीं बेट‍ियां: समाज के वहशी दर‍िंंदो की कब खत्‍म होगी दर‍िंंदगी, जान‍िए शहर की युवत‍ियों व मह‍िलाओं का दर्द

हीरापुर की गृहिणी अंजल‍ि बेटियों पर आए दिन हो रहे अत्‍याचार पर बहुत खूब कहती हैं - भारत में अब बेटियां सुरक्षित नहीं हैं। नौ साल की बच्ची भी खुद को असुरक्षित महसूस कर रही है। दोष लड़कियों के पहनावे को दिया जाता है।

By Atul SinghEdited By: Publish:Sat, 16 Jan 2021 02:12 PM (IST) Updated:Sat, 16 Jan 2021 02:12 PM (IST)
महफूज नहीं बेट‍ियां: समाज के वहशी दर‍िंंदो की कब खत्‍म होगी दर‍िंंदगी, जान‍िए शहर की युवत‍ियों व मह‍िलाओं का दर्द
हीरापुर की गृहिणी अंजल‍ि बेटियों पर आए दिन हो रहे अत्‍याचार पर बहुत खूब कहती हैं। (जागरण)

धनबाद, जेएनएन : हीरापुर की गृहिणी अंजल‍ि बेटियों पर आए दिन हो रहे अत्‍याचार पर बहुत खूब कहती हैं - भारत में अब बेटियां सुरक्षित नहीं हैं। नौ साल की बच्ची भी खुद को असुरक्षित महसूस कर रही है। दोष लड़कियों के पहनावे को दिया जाता है। हर परिधान हर, उम्र में डर लगने लगा है। हर रिश्ते में डर लगता है, कहां जाएं। किससे रक्षा की विनती करें। समाज हमें स्वयं सशक्त भी तो नहीं होने दे रहा है।

कानून तो बन रहा है, लेकिन इसका पालन कितनी हो रहा है यह गौर करने वाली बात है। दोष लडकियों के पहनावे में नहीं मर्दों की नजरों में हैं। पाबंदी तो पुरूषों की विकृत सोच एवं वहशी नजरिये पर लगनी चाहिए। जिस दिन समाज का हर एक मर्द अपने अंदर के जानवर पर पाबंदी लगा देगा, उस दिन महिलाओं के फैशन पर पाबंदी का मुद्दा ही खत्म हो जाएगा। 

यह दुष्कर्म केस हर दिन बढ़ता जा रहा है। कौन हैं ये लोग जो निडर होते जा रहे हैं। ऐसे में कानून ही ऐसा सख्त हो जाए कि सजा से डरने लगे ऐसे कुकर्मी लोग। दिल दहल जाता है ऐसी खबरें सुनकर कि उस लड़की ने जान गवां दी है। पुलिस को पहले से अधिक अपनी पेट्रोलिंग बढ़ाने की जरूरत है। पुरूषों की विकृत सोच एवं वहशी नजरिये पर पाबंदी लगनी चाहिए।

- मनप्रीत कौर, कुसुम विहार फेज-2

एक मां और बेटी होने के नाते अभी महाैल को लेकर हमेशा चिंतित रहती हूं। लड़कियां कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। हमें बदलाव करना होगा, लोगों की मानसिकता बदलनी होगी। इसकी शुरुआत घर से होनी चाहिए। पुलिस भी अपनी कार्यशैली मं बदलाव करे। 

- प्रीति करुणेश कौशल, कुसुम विहार

आज के समय में बेटियों को सुरक्षित रखना बहुत मुश्किल हो रहा है। ऐसे में हमारी सरकार को सख्ती के साथ पेश आना चाहिए। ऐसा कदम उठाएं जिससे लोग कुछ भी गलत सोचने से डरें। ऐसे लोगों को सीधे फांसी देनी चाहिए, यह दूसरों के लिए उदाहरण होगा। 

- रिया सिंह, कुंज विहार कोलाकुसमा

बेटियां समाज का आइना हैं। अगर बेटियां आगे बढ़ेंगी तो पूरा समाज आगे बढ़ेगा। आज हर क्षेत्र में बेटियां आगे बढ़ रही हैं। ऐसी बेटियों पर मुझे नाज है। समाज के कुछ कुत्सित मानसिकता के लोग अपनी ओछी हरकतों से बाज नहीं आ रहे। इनका उपाय करना होगा। 

- सुमन मित्तल, मेन रोड सरायढेला

बेटियां घर की लक्ष्मी होती हैं। जिस घर में बेटियां न हों वहां खुशियां नहीं होंगी। आए दिन सामाज के कुछ घिनौने लोगों का चेहरा सामने आता रहता है। ऐसे लोगों को चौराहे पर खड़े करके मारना चाहिए। कानून बनाने से ही काम नहीं चलेगा, बल्कि इसपर काम भी करना होगा। 

- प्रियंका, बसंत विहार

भारत में अब बेटियां सुरक्षित नहीं हैं। नौ साल की बच्ची भी खुद को असुरक्षित महसूस कर रही है। दोष लड़कियों के पहनावे को दिया जाता है। हर परिधान हर उम्र में डर लगने लगा है। हर रिश्ते में डर लगता है, कहां जाएं। किससे रक्षा की विनती करें। समाज हमें स्वयं सशक्त भी तो नहीं होने दे रहा है। सरकार सख्त कानून बनाए। 

 

- अंजलि सिंह, हीरापुर

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