दर्श अमावस्या पर आज पूर्वजों की याद में होगी पूजा, चंद्रदेव से मांगते खुशहाली का वरदान
जिले में रविवार को दर्श अमावस्या मनाई जा रही है। हिंदू धर्म में ऐसे तो सभी अमावस्या महत्वपूर्ण होती है लेकिन दर्श अमावस्या का बेहद खास महत्व है। इस दिन लोग अपने पूर्वजों की याद में पूजा करते हैं। व्रत भी रखने की परंपरा है।
जागरण संवाददाता, धनबादः जिले में रविवार को दर्श अमावस्या मनाई जा रही है। हिंदू धर्म में ऐसे तो सभी अमावस्या महत्वपूर्ण होती है, लेकिन दर्श अमावस्या का बेहद खास महत्व है। इस दिन लोग अपने पूर्वजों की याद में पूजा करते हैं। व्रत भी रखने की परंपरा है।
पंडित मनोज पांडेय के अनुसार, इस रात चांद पूरी रात अदृष्य रहता है। इस दिन सुख समृद्धि और परिवार के कल्याण की कामना के लिए पूजा-अर्चना की जाती है। पूर्वजों की याद में भी पूजा होती है, जिसका बेहद खास महत्व है। मान्यता है कि जो लोग इस दिन सच्चे मन से अपने पूर्वजों को याद कर प्रार्थना करते हैं, चंद्र देव उनकी प्रार्थना अवश्य सुनते हैं। कहा जाता है कि इस दिन चंद्र दर्शन और उपवास करने वाले लोग आध्यात्मिक संवेदनशीलता प्राप्त करते हैं। दर्श अमावस्या को लेकर धनबाद शहर के हीरापुर, बैंक मोड़, सरायढेला, मनईटांड़, धैया समेत अन्य इलाकों में सुबह से ही पूजा-अर्चना की तैयारी की जा रही है। आज के दिन उपवास रखने की भी परंपरा है। कुछ लोग मंदिरों में जाकर पूजा करते है तथा पूर्वजों की याद में दान दक्षिणा भी करते हैं।
शुभ मुहूर्तः
11 अप्रैल 2021 प्रारम्भ: सुबह 06: 03 मिनट से
12 अप्रैल 2021 समाप्त: सुबह 08:00 बजे तक।
दर्श अमावस्या का महत्वः पंडित मनोज पांडेय के अनुसार, दर्श अमावस्या के मौके पर व्रत रखने और चंद्रमा की पूजा करने से चंद्र देवता अपनी कृपा बरसाते हैं और सौभाग्य व समृद्धि का आर्शीवाद देते हैं। उन्होंने बताया कि चंद्र देव भावनाओं और दिव्य अनुग्रह के स्वामी हैं। इसे श्राद्ध की अमावस्या भी कहते हैं, क्योंकि इस दिन अपने पूर्वजों को याद किया जाता है और उनके लिए प्रार्थना की जाती है। ऐसा भी कहा गया है कि इस दिन पूर्वज धरती पर आकर अपने परिवार को आर्शीवाद देते हैं।