आग नहीं कोयला डीसी रेल लाइन बंदी की बड़ी वजह
सचिव ने चेयरमैन से आग्रह किया है कि वे जोन और मंडल के अफसरों को जल्द एनओसी देने का निर्देश दें।
धनबाद, मृत्युंजय पाठक। रेल यात्रियों की सुरक्षा की दुहाई देकर बंद की गई धनबाद-चंद्रपुरा (डीसी) रेल लाइन की वजह हैरान करने वाली है। भूमिगत आग से बचाने के लिए रेल लाइन बंद नहीं की गई। अरबों रुपये के बेशकीमती कोयले को निकालने के लिए रेल लाइन बंद की गई। यह कोयला रेल लाइन के नीचे है। केंद्रीय कोयला सचिव इंद्रजीत सिंह द्वारा रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी को लिखे पत्र ने डीसी लाइन की बंदी की सच्चाई से पर्दा उठा दिया है।
रेल लाइन के नीचे कोयला खनन की मांगी अनुमति : 15 जून 2017 को डीसी रेल लाइन बंदी के तुरंत बाद तत्कालीन केंद्रीय कोयला सचिव सुशील कुमार रांची पहुंचे थे। उन्होंने मुख्य सचिव के साथ बैठक कर रेल लाइन के नीचे खनन की रणनीति तैयार की। इसके बाद उनके निर्देश पर बीसीसीएल ने धनबाद रेल मंडल को पत्र लिख डीसी लाइन हस्तांतरित करने की मांग की। तभी से रेल लाइन की जमीन हासिल करने के लिए कोल इंडिया की अनुषंगी इकाई बीसीसीएल की कवायद जारी है। नए कोयला सचिव इंद्रजीत सिंह ने रेल लाइन के नीचे कोयला खनन के लिए रेलवे पर दबाव बढ़ा दिया है। अब तक कोयला खनन के लिए रेल लाइन हैंडओवर नहीं करने पर सचिव ने रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्रि्वनी लोहानी को पत्र लिखकर नाराजगी जाहिर की है। कहा है, दिल्ली में संयुक्त सचिव स्तर की बैठक और धनबाद में एचपीसीसी की बैठक में सब कुछ तय हो जाने के बाद भी स्थानीय स्तर पर रेलवे ने अब तक एनओसी नहीं दिया है। सचिव ने चेयरमैन से आग्रह किया है कि वे जोन और मंडल के अफसरों को जल्द एनओसी देने का निर्देश दें। इसके बाद रेलवे ने एनओसी की प्रक्रिया शुरू कर दी है। धनबाद रेल मंडल के सीनियर डिवीजनल इंजीनियर (स्पेशल) ने बीसीसीएल के सीएमडी से हस्तातरण का प्रारूप मांगा है। इसके बाद बीसीसीएल के सीएमडी के निर्देश पर तकनीकी निदेशक (प्रोजेक्ट एंड प्लानिंग) ने लीज का प्रारूप तैयार करना शुरू कर दिया है। इसमें दर्ज किया जाएगा कि डीसी रेल लाइन की जमीन कितने साल के लिए बीसीसीएल लेगी और कितने साल के अंदर आग बुझाकर लौटा देगी।
कहीं धनबाद-झरिया रेल लाइन जैसा न हो हश्र : डीसी रेल लाइन की तरह वर्ष 2002 में आग से खतरा बताकर धनबाद-झरिया रेल लाइन बंद कर दी गई। बीसीसीएल ने आग बुझाने के नाम पर रेलवे से झरिया रेल लाइन लीज पर प्राप्त की। बीसीसीएल को रेल लाइन के नीचे से आग और कोयला निकाल पहले जैसी स्थिति बहाल करनी थी। बीसीसीएल कोयला निकाल जैसे-तैसे जमीन छोड़ दी है। सोलह साल बीत चुके हैं लेकिन अब तक रेलवे को पहले जैसी स्थिति में जमीन प्राप्त नहीं हुई है। कुछ ऐसा ही हश्र डीसी लाइन का हो सकता है।
2 बिलियन टन कोयले पर नजर : डीसी लाइन पर 26 जोड़ी मेल-एक्सप्रेस ट्रेन चलती थीं। प्रति वर्ष एक करोड़ से ज्यादा यात्री सफर करते थे। रेल बंदी के बाद इस लाइन को चालू करने की लड़ाई लड़ रहे बियाडा के पूर्व चेयरमैन विजय झा कहते हैं-कोयला मंत्रालय की मंशा साफ है। पहले उसने भूमिगत आग का बहाना बना रेल लाइन बंद करवायी। अब रेल लाइन के नीचे से कोयला खनन की तैयारी है। इसके नीचे 2 बिलियन टन कोयला है। इसी पर कोयला मंत्रालय की नजर है। रेल और कोयला मंत्रालय दोनों का प्रभार पीयूष गोयल के पास है। इस मुद्दे पर वह ईमानदार नहीं हैं। वह अपने मंत्रालय के प्रति जरा भी ईमानदार होते तो डीसी लाइन को बचाने की कोशिश करते हैं। रेल लाइन बंद होने के बाद एक साल से ज्यादा का समय गुजर चुका है। अब तक वैकल्पिक व्यवस्था के लिए एक भी कदम नहीं उठाया गया है। डीसी लाइन के नीचे से कोयला निकालने की कोशिश की गई तो इसका केंद्र और राज्य में सत्ताधारी भाजपा को जबरदस्त खामियाजा भुगतान पड़ेगा। डीसी लाइन से प्रभावित लोकसभा क्षेत्र की जनता भाजपा को हराने का काम करेगी।