रिक्शा वाला बन साइबर अपराधी खुलवाते है बैंक में खाते; ठगी के लिए ऐसे करते इस्तेमाल Dhanbad Cyber Crime
साइबर अपराधी इन दिनों फर्जी आईडी का इस्तेमाल कर विभिन्न बैंकों में खाता खुलवाते हैं तत्पश्चात उसी बैंक खाता में साबर ठगी के रुपये ट्रांसफर करते हैं। हाल के दिनों में कई मामले ऐसे आए हैं जिसमें पुलिस तकनीकी अनुसंधान के दौरान भी अपराधियों तक नहीं पहुंच पाई है।
धनबाद, जेएनएन : साइबर अपराधी इन दिनों फर्जी आईडी का इस्तेमाल कर विभिन्न बैंकों में खाता खुलवाते हैं तत्पश्चात उसी बैंक खाता में साबर ठगी के रुपये ट्रांसफर करते हैं। हाल के दिनों में कई मामले ऐसे आए हैं जिसमें पुलिस तकनीकी अनुसंधान के दौरान भी अपराधियों तक नहीं पहुंच पाई है।
सबसे बड़ा उदाहरण पूर्व एक्सिस बैंक से उड़ाए गए डेढ़ करोड़ 1.5 करोड़ रुपये का है। उक्त राशि किस - किस के बैंक खाते में ट्रांसफर हुए। इसका पता साइबर थाना की पुलिस अब तक नहीं लगा पाई है। कुछ खाताधारकों का पता लगाने पुलिस बिहार, यूपी व दिल्ली तक गई, पर खाता धारको का सत्यापन नहीं हो पाया।
पुलिस को शक है कि फर्जी नाम पता व अन्य दस्तावेज के आधार पर बैंक में खाता खुलवाया गया और उसी खाता में रकम ट्रांसफर हुए। अभी तक पुलिस बिहार, यूपी, छत्तीसगढ़ दिल्ली समेत कई राज्यों में एक दर्जन से ज्यादा खाताधारियों के नाम पता का सत्यापन की है। बावजूद पुलिस को कोई ठोस जानकारी हासिल नहीं हो पाई। इस मामले में पुलिस को एक बड़े संगठित गिरोह के हाथ होने की आशंका है।
प्रारंभिक जांच में यह पुलिस भी नहीं समझ पा रही है कि बैंक के आरटीजीएस खाते में कैसे सेंधमारी कर इतनी बड़ी रकम को अलग-अलग राज्यों के 19 खातों में भेज दिया गया। धनबाद के साइबर डीएसपी सुमित सौरभ लाकड़ा खुद भी इस मामले की जांच में जुटे हैं।
आखिर किस तरह से बैंक से रुपये ट्रांसफर हुए कहां किससे चूक हुई। इस बिंदु पर साइबर थाना की पुलिस जांच कर रही है। कॉपरेटिव बैंक प्रबंधन मामले में एक्सिस बैंक की लापरवाही बताया है। कॉपरेटिव बैंक प्रबंधन का तर्क है कि 29 और 30 मई को बैंक की ओर से आरटीजीएस करने का कोई भी रिक्वेस्ट एक्सिस बैंक को फॉरवर्ड नहीं किया गया है। इसके बावजूद इतनी भारी रकम विभिन्न खाते में कैसे ट्रांसफर हो गए। एक्सिस बैंक प्रबंधन का तर्क है कि बगैर रिक्वेस्ट फॉरवर्ड के रकम ट्रांसफर नहीं हो सकता। पुलिस अब इन दोनों बैंकों के बीच की कड़ी खंगालने में जुटी है।