CIMFR: सिंफर में दूसरे दिन भी सीएसआइआर व सीबीआइ की साझा जांच Dhanbad News

केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान (सिंफर) में दूसरे दिन भी सीएसआइआर (वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद) और सीबीआइ के अधिकारियों ने विज्ञानी एवं उनके सहायकों को प्रोत्साहन राशि देने की प्रक्रिया की पड़ताल की।सिंफर मुख्यालय में प्रोत्साहन राशि के भुगतान के तौर तरीके के बाबत कागजात देखे गए।

By Atul SinghEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 08:46 AM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 07:09 PM (IST)
CIMFR: सिंफर में दूसरे दिन भी सीएसआइआर व सीबीआइ की साझा जांच Dhanbad News
प्रोत्साहन राशि के भुगतान के तौर तरीके के बाबत कागजात देखे गए। (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

अश्‍विनी रघुवंशी,धनबाद: केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान (सिंफर) में दूसरे दिन भी सीएसआइआर (वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद) और सीबीआइ के अधिकारियों ने विज्ञानी एवं उनके सहायकों को प्रोत्साहन राशि देने की प्रक्रिया की पड़ताल की। सोमवार को डिगवाडीह में जाकर सारे दस्तावेज देखे गए तो मंगलवार को धैया के सिंफर मुख्यालय में प्रोत्साहन राशि के भुगतान के तौर तरीके के बाबत कागजात देखे गए। सीबीआइ और सीएसआइआर के अधिकारियों ने पिछले पांच सालों में विज्ञानियों को दी गई प्रोत्साहन राशि और इस बाबत अपनाई गई प्रक्रिया के कागजात उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। शाम साढ़े सात बजे जांच पड़ताल पूरी हुई तो सिंफर के प्रशासनिक अधिकारी दशमत मुर्मू और वित्त एवं लेखा अधिकारी दयाकांत एवं अभिमन्यु तिवारी और सीएसआइआर के दिल्ली मुख्यालय से आए वित्त एवं लेखा पदाधिकारी मनीष शर्मा व राकेश बेदालिया ने दिन भर चली जांच प्रक्रिया के मिनट्स (मसौदा) पर साझा दस्तखत किए।

दरअसल, भारत सरकार ने प्रतिभा के पलायन को रोकने के लिए शोध के लिए विज्ञानियों को प्रोत्साहन राशि देने की व्यवस्था की है। संयोग ऐसा रहा कि 25 मार्च को टैक्स कटौती कर सिंफर के 553 विज्ञानियों एवं सहायकों को 12 करोड़ रुपये प्रोत्साहन राशि का वितरण किया गया। ठीक अगले दिन 26 मार्च को वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के दिल्ली मुख्यालय से देश भर की सभी 37 प्रयोगशाला के लिए आदेश आया कि सीएसआइआर टेक्नोलॉजी ट्रांसफर गाइड लाइन में संशोधन किया जाना है। तत्काल प्रभाव से प्रोत्साहन राशि का भुगतान रोक दिया जाय। कई प्रयोगशाला में प्रोत्साहन राशि का भुगतान मार्च में काफी पहले हो चुका था। सिंफर में आदेश आने के ठीक एक दिन पहले यह हुआ। कुछ लोगों ने इस मसले पर भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी से संपर्क किया। बताया कि इसमें गड़बड़ी है। इस पर मरांडी ने भारत सरकार को जांच के लिए पत्र भेज दिया। यही वजह है कि अब प्रोत्साहन राशि के भुगतान की सारी प्रक्रिया की जांच की जा रही है।

::: इस तरह बढ़ा घटनाक्रम :::

ø जनवरी में सभी प्रोजेक्ट लीडर से प्रोत्साहन राशि के भुगतान पर प्रस्ताव मांगा गया। प्रोजेक्ट में शामिल लोगों की जानकारी ली गई।

ø स्टैैंडिंग कमेटी ने सभी प्रस्तावों को देखने के बाद आपत्ति के लिए नोटिस बोर्ड पर प्रकाशन किया। आपत्ति के लिए 15 दिनों का वक्त दिया गया।

ø आपत्ति के निष्पादन के बाद 22 मार्च को मैनेजमेंट काउंसिल की बैठक में प्रोजेक्ट लीडरों के प्रस्तावों के मुताबिक राशि देने को सहमति मिली।

ø कुल प्रोत्साहन राशि 17 करोड़ थी। वित्त एवं लेखा विभाग ने टैक्स कटौती कर 12 करोड़ का भुगतान किया।

ø प्रोत्साहन राशि में गड़बड़ी की सीएसआइआर मुख्यालय को शिकायत गई। राशि वापस लेने का आदेश आया। निदेशक ने सभी विज्ञानियों को राशि वापस करने को आदेश दिया।

ø सेवानिवृत हो चुके कुछ विज्ञानी न्यायालय चले गए। सरकारी गाइड लाइन के मुताबिक सालों से राशि मिलने के दस्तावेज जमा किए। न्यायालय ने राशि वापसी के आदेश पर रोक लगा दिया।

ø न्यायालय के आदेश के बाद सीएसआइआर और सीबीआइ ने मिल कर सारे मसले की पड़ताल शुरू की है कि प्रक्रिया सही थी या गलत। इसके बाद जांच रिपोर्ट मुख्यालय दी जाएगी।

chat bot
आपका साथी