Jail IG Jharkhand की पिटी भद, धनबाद कोर्ट ने पूर्व विधायक संजीव सिंह को दुमका से वापस लाने का दिया आदेश
भाजपा के पूर्व विधायक संजीव सिंह को धनबाद जेल से दुमका सेंट्रल जेल में शिफ्ट करने के मामले की कोर्ट में सुनवाई हुई। धनबाद कोर्ट में खड़े होकर जेल अधीक्षक अजय कुमार ने माफी मांगी। उन्होंने कहा कि वरीय अधिकारियों के कहने पर
धनबाद, जेएनएन। भाजपा के पूर्व विधायक संजीव सिंह को धनबाद से दुमका सेंट्रल जेल में शिफ्ट करने के मामले में झारखंड के जेल आइजी वीरेंद्र भूषण की भद पिट गई है। भूषण के आदेश पर धनबाद जेल प्रशासन ने 21 फरवरी को आनन-फानन में दुमका सेंट्रल जेल में शिफ्ट कर दिया था। इसके विरोध में संजीव ने धनबाद अदालत की शरण ली थी। इस मामले को कोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए संजीव को अविलंब दुमका से धनबाद लाने का आदेश दिया है। इसके साथ ही जिला एवं सत्र न्यायाधीश रवि रंजन की अदालत ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कोई व्यक्ति कानून के ऊपर नही हो सकता।
हुजूर गलती हो गई, माफ किया जाय
पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह हत्याकांड के अभियुक्त पूर्व विधायक संजीव सिंह को धनबाद जेल से दुमका शिफ्ट करने का मामला अदालत में पहुंचा। इस मामले पर 23 फरवरी को धनबाद अदालत ने सुनवाई करते हुए धनबाद जेल के अधीक्षक को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। जेल अधीक्षक अजय कुमार गुरुवार को अदालत में हाजिर हुए। उन्होंने कहा-हुजूर गलती हो गई... भविष्य में ऐसी गलती नहीं होगी। मुझे माफ किया जाए... । वरीय अधिकारियों के आदेश पर बंदी को दुमका जेल शिफ्ट किया गया। बंदी को यहां रखने पर खतरा था। हाथ जोड़े धनबाद जेल अधीक्षक अजय कुमार गुरुवार को अदालत में खड़े थे। लोक अभियोजक बी डी पांडे ने अधीक्षक की ओर से पक्ष रखते हुए कहा कि जेल अधीक्षक का उद्देश्य अदालत का अवमानना करना नहीं था। इसपर अदालत ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कोई व्यक्ति कानून के ऊपर नही हो सकता।
कोर्ट ने भविष्य में ऐसी गलती नहीं करने की दी चेतावनी
अदालत ने जेल अधीक्षक द्वारा दाखिल किए गए जबाव को खारिज करते हुए भविष्य में ऐसी गलती नहीं करने की चेतावनी दी। इसके पूर्व कोर्ट में संजीव की ओर से दलील देते हुए हाईकोर्ट के वरीय अधिवक्ता बीएम त्रिपाठी, मदन मोहन दरियप्पा, मो जावेद, नूतन शर्मा ने कहा कि जेल प्रशासन द्वारा किया गया कार्य क्षमा योग्य नही है। राजनीतिक दबाव में कोई भी व्यक्ति न्यायिक व्यवस्था को धक्का बताकर कोई काम नही कर सकता। दुमका जेल में उनकी जान को खतरा है। प्रशासन विपक्षियों के साथ मिलकर उनकी हत्या दुर्घटना बताकर करना चाहता था। इसी कारण जानबूझकर धनबाद से उन्हें बाहर ले जाया गया ताकि मौका देखकर गाड़ी पलट जाने का बहाना बनाकर उनकी हत्या कर दे। परंतु उनके समर्थकों के कारण प्रशासन ऐसा नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि जेल प्रशासन ने कारा अधिनियम की धारा 29 एवं संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन एवं वैयक्तिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन किया है।
राजनीतिक दबाव में धनबाद से दुमका किया गया शिफ्ट
यूं तो धनबाद जेल प्रशासन ने जेल आइजी के निर्देश पर संजीव सिंह को दुमका शिफ्ट किया। लेकिन कहा जाता है कि झरिया की कांग्रेस विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह के राजनीतिक दबाव में जेल प्रशासन ने यह कदम उठाया। संजीव सिंह की पत्नी झारखंड प्रदेश भाजपा कार्यसमिति सदस्य रागिनी सिंह ने आरोप लगाया है कि जेल प्रशासन विधायक पूर्णिमा के दबाव में दुमका शिफ्ट करने का निर्णय लिया।
दुमका से धनबाद जेल शिफ्ट करने का आदेश
कोर्ट ने जेल प्रशासन द्वारा संजीव सिंह को बिना इजाजत 21 फरवरी को दुमका जेल शिफ्ट करने को अवैध बताते हुए अविलंब उसे दुमका से धनबाद जेल शिफ्ट करने का आदेश दिया। इसके पूर्व लोक अभियोजक बीडी पांडे ने दलील देते हुए कहा कि सुरक्षा कारणों से संजीव सिंह को दुमका भेजा गया है । सरकार ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से बंदियों के अदालत में पेशी का नोटिफिकेशन जारी कर रखा है। जब अदालत बंदी को सशरीर पेशी का आदेश देगा तो उसे पेश कर दिया जाएगा। जिसपर प्रतिउत्तर देते हुए अधिवक्ताद्वय ने कहा कि जेल प्रशासन ने इस मामले में उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश की अवहेलना की है। 16 जनवरी, 18 को हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को रद्द कर संजीव को वापस धनबाद जेल में रखने का आदेश दिया था। अधिवक्ताद्वय ने इस बावत सुप्रीम कोर्ट द्वारा सैयद सोहैल बनाम महाराष्ट्र सरकार एवं सुनील वत्रा बनाम दिल्ली सरकार के मामले में पारित निर्णय का हवाला दिया ।