Weekly News Roundup Dhanbad: जो डर गया, समझो मर गया... जानें काले धंधे में सफलता का मंत्र

Weekly News Roundup Dhanbad भईया कांग्रेस के बड़े नेता हैं। आज भी आंदोलन घेराव प्रदर्शन पर यकीन रखते हैं। हाईटेक हैं सो ट्वीट-ट्वीट भी खेल लेते हैं। खत-ओ-खितावत भी चलता रहता है। उन्होंने सूबे के पुलिस विभाग के हुजूर-ए-आला को खत लिख डाला।

By MritunjayEdited By: Publish:Tue, 23 Feb 2021 04:11 PM (IST) Updated:Tue, 23 Feb 2021 04:11 PM (IST)
Weekly News Roundup Dhanbad: जो डर गया, समझो मर गया... जानें काले धंधे में सफलता का मंत्र
कोलियरी परिसर में कोयला टपाने में के लिए जुटी भीड़ ( फाइल फोटो)।

धनबाद [ रोहित कर्ण ]। शोले का यह डायलॉग इन दिनों जीटी रोड के छुटभैये कोयला कारोबारियों पर खूब फिट बैठ रहा है। कभी एक टन तो कभी दो टन कोयले के साथ वाहन जब्त किए जा रहे हैं। अब यह भी कोई जब्त करने लायक कोयला होता है! बड़े-बड़े ट्रकों को तो कोई पकड़ नहीं रहा। ऊपर के स्तर से लंबे समय तक रेड सिग्नल की वजह से महकमे के अधिकारियों को सुखाड़ जैसी फील्डिंग होने लगी थी। सो कहते हैं कि दूसरी कतार के साहबों ने बागडोर थाम ली है। गोविंदपुर से बरवाअड्डा तक ईंट, बालू से कोयला तक जो पकड़ाए, उसी से कुछ निचोड़ लिया जा रहा। समझदार खुद ले-देकर मामला सलटा रहे तो कुछ नौसिखिये वर्दी देखकर ही भाग खड़े होते हैं और वाहन पकड़ा जाता है। उधर मंझे हुए खिलाड़ी मजे से काम कर रहे। सिखाते भी हैं, जो डर गया, समझो मर गया!

रहम करिये भईया...

भईया कांग्रेस के बड़े नेता हैं। आज भी आंदोलन, घेराव, प्रदर्शन पर यकीन रखते हैं। हाईटेक हैं, सो ट्वीट-ट्वीट भी खेल लेते हैं। खत-ओ-खितावत भी चलता रहता है। उन्होंने सूबे के पुलिस विभाग के हुजूर-ए-आला को खत लिख डाला, पड़ोस के सूबे के आप ही जैसे ओहदेदार के नातेदार कोयले का कारोबार चला रहे हैं। बलियापुर हवाई पट्टी का एक अंसारी भी इसमें शामिल है। नार्थ तिसरा, साउथ तिसरा, भौंरा, लोदना, राजापुर के आउटसोर्सिंग से हर दिन 50 हाइवा कोयला टपाकर हार्डकोक भट्ठों में पहुंचाया जा रहा है, कुछ करिए। हुजूर ने कुछ किया भी। अब हुआ यह कि अगले ही दिन अपने ही दल बंधु पहुंच गए भईया के यहां। हाथ जोड़ कहा, इतने दिनों बाद सत्ता मिली... कुछ हिस्सा भी मिल रहा है, काहे गुड़-गोबर कर रहे हैं। अब भईया समझ नहीं पा रहे कि इन सबको पता कइसे चला कि शिकायत उन्हीं की थी।

कोयला नगर की कीमत पर...

कोयला नगर की सड़कें पिछले चार साल से रो रही हैं। रोड़ा-रोड़ा बिखर गया है। चेहरे पर हर कहीं गड्ढे ही गड्ढे नजर आ रहे। स्थिति ऐसी है कि पुराने बिहार की याद ताजा रही है। पुराने सीएमडी ने भवनों की डेंङ्क्षटग-पेंङ्क्षटग शुरू कराई तो लगा कि सड़कों की भी सुध ली जाएगी। सीएमडी भी क्या थे, राजा ही समझिए। सो राजा साहब ने सुध ली भी। लगभग 2.5 करोड़ की राशि मुकर्रर कर दी सड़कों की सूरत संवारने को। पर राजा तो आखिर राजा ही हैं, कब किस पर मेहरबान हो जाएं। अपने चिटाही वाले विधायक ही न्योता लेकर आए और सारी रकम ले गए। कोयला नगर की सड़कें रोती ही रह गईं और रामराज मंदिर को जाने वाली सड़कें इतराने लगीं और इधर हुआ यह कि मंदिर का समारोह शुरू होने से पहले राज खत्म हो गया, लेकिन राजा कहीं दिखे ही नहीं।

...और अधूरा रह गया सपना

पूर्व सीएमडी का एक सुनहरा सपना टूट गया। बीसीसीएल के परियोजना प्रभावित क्षेत्रों के गरीब बच्चों को कंपनी खेलने का प्रशिक्षण नहीं दे पाएगी। गोपाल सिंह के जाते ही उनकी योजना को कोल इंडिया प्रबंधन ने लाल झंडी दिखा दी। इसे उच्च स्तर पर चर्चा करने के लिए लौटा दिया। दरअसल इस योजना में कंपनी को लगभग दो करोड़ रुपये खर्च करने थे। तकरीबन 60 बच्चों को हॉस्टल में रखकर पढ़ाना-लिखाना, उनका हर खर्च उठाना और छह प्रकार के खेलों में प्रशिक्षण देना कंपनी को भारी बोझ लगा। इन बच्चों को जगजीवन नगर के खाली पड़े भवनों में ही रखकर केंद्रीय अस्पताल के पास वाले मैदान में ट्रेनिंग देनी थी। शुरुआत बच्चियों से की जानी थी। जगह भी तय थी। बीसीसीएल के कल्याण विभाग की ओर से यह पहल की जानी थी, पर अफसोस कि यह सपना सपना ही रह गया... पूरा न हो सका!

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