आन साइड काम्पेक्टर स्टेशन से हर दिन 200 किलो खाद बनाएगा निगम
नगर निगम क्षेत्र से हर दिन 400 टन कचरा निकलता है। इसमें गीला-सूखा समेत सभी तरह का कचरा शामिल होता है। एक हजार किलो से अधिक गीला कचरा निकलता है। नगर निगम अब इस गीले कचरे का उपयोग करने जा रहा है।
आशीष सिंह, धनबाद : नगर निगम क्षेत्र से हर दिन 400 टन कचरा निकलता है। इसमें गीला-सूखा समेत सभी तरह का कचरा शामिल होता है। एक हजार किलो से अधिक गीला कचरा निकलता है। नगर निगम अब इस गीले कचरे का उपयोग करने जा रहा है। गीले कचरे के सही तरीके से निस्तारण के साथ ही इससे आमदनी का जरिया भी निगम ने खोज निकाला है। नगर निगम छह जगह आन साइड काम्पेक्टर स्टेशन बना रहा है। यहां गीले कचरे से जैविक कंपोस्ट (खाद) बनाएगा। एक आन साइड काम्पेक्टर स्टेशन में हर दिन 100 किलो गीला कचरा कंपोस्ट तैयार होगा। इसमें 30 से 35 किलो तक खाद बनेगी। छह आन साइड काम्पेक्टर स्टेशन से हर दिन 200 किलो खाद तैयार होगी। एक काम्पेक्टर स्टेशन पर साढ़े आठ लाख रुपये खर्च किया जा रहा है। नगर निगम की ओर से हीरापुर, स्टील गेट, धनसार समेत छह जगह चिह्नित किए गए हैं। हीरापुर में आन साइड काम्पेक्टर बनकर तैयार हो चुका है। अन्य जगहों पर भी निर्माण जारी है। 10 दिसंबर तक यह काम करने लगेगा। पार्क में खाद के प्रयोग के साथ-साथ बिक्री भी होगी :
नगर निगम घरों से निकलने वाले गीला कचरा जैसे अंडे के छिलके, हड्डियां, फूल, माला, फल, सब्जियों के छिलके और बेकार सब्जियां, जूस, भोजन व शौचालय के लिए इस्तेमाल किया जाना वाला टिश्यू, टायलेट पेपर, चाय के बैग, काफी पाउडर, पत्ते की प्लेट, घरेलू बगीचे और पौधों का कचरा, चिकन-मीट आदि से जैविक खाद का बनाएगा। अपने पार्क में इस खाद का प्रयोग होगा। इसके साथ ही इसकी बिक्री भी की जाएगी। इसमें महिला स्वयं सहायता समूहों को भी जोड़ा जाएगा, ताकि इनकी भी आमदनी हो सके। यह है सूखा कचरा :
प्लास्टिक के लिफाफे, कवर, बोतलें, बक्से, टाफी रेफर, कागज के कप-प्लेट, दूध और दही के पैकेट, अखबार, पत्रिका, गत्ता के डिब्बे, कागज का बाक्स, पैकिग, पन्नी, कंटेनर, टिन पैक, जार, बेकार फूलदान, रबड़, चमड़ा, पुराना सामान, थर्मोकोल, प्रसाधन की सामग्री, स्पंज, पुराने कपड़े, ब्रश, रेजर, बैटरियां, ट्यूबलाइट, सीएफएल, एलईडी बल्ब आदि। नगर निगम छह जगह आन साइड काम्पेक्टर स्टेशन बना रहा रहा। यहां गीला कचरा से कंपोस्ट बनेगा। कंपोस्ट का उत्पादन शुरू होने के बाद से गीला और सूखा कचरा अलग-अलग रखने के प्रति लोगों में जागरूकता भी आएगी। इसका असर स्वच्छता पर भी पड़ेगा। अभी अमूमन फल और सब्जी वाले इनके सड़ जाने पर फेंक देते हैं, लेकिन कंपोस्ट खाद बनने लगेगा तो वह फेंकेंगे नहीं, बल्कि सहेजकर रखेंगे।
- सत्येंद्र कुमार, नगर आयुक्त