हाल-ए-कोरोना फाइटर: अर्थाभाव में चल बसीं सदर अस्पताल की संगीता, धनबाद प्रशासन ने नहीं दिखाई संवेदना
कोरोना संक्रमण की पहली लहर में लैब टेक्नीशियन संगीता कुमारी स्वाब संग्रह करती थी। इसके बाद वह कोरोनावयरस से संक्रमित हो गई थी। कुछ दिनों तक बीमार रही। पेट की समस्या के बाद उसके पेट में स्ट्रेन लगाया गया था।
जागरण संवाददाता, धनबाद। कोरोना संक्रमण के दौरान लोगों के स्वाब सैंपल करने वाली सदर अस्पताल की लैब टेक्नीशियन संगीता कुमारी की आखिर कर व्यवस्था के उदासीनता के कारण मौत हो गई। 24 वर्षीय बलियापुर निवासी संगीता कुमारी पिछले कुछ महीने से हैदराबाद में पेट की गंभीर बीमारी के कारण इलाज करवा रही थी। इलाज का खर्च नहीं होने के कारण स्वास्थ्य विभाग कर्मचारी चंदा करके उनके स्वजन को दे रहे थे। किसी तरह संगीता के स्वजन इलाज करवा रहे थे, आखिर कर हैदराबाद में इलाज के दौरान संगीता ने दम तोड़ दिया। संगीता के मौत के साथ एक ओर स्वजनों में मातम पसर गया है, तो दूसरी ओर कर्मचारियों में बेहद मायूसी है। संगीता डीएमएफटी के तहत सदर अस्पताल में लैब टेक्नीशियन की हैसियत से कार्यरत थी। संगीता को कोरोना योद्धा के तहत सम्मानित भी किया गया था।
पहली लहर में सैंपल संग्रह करने में खुद हुई थी ग्रसित
बताया जाता है कि कोरोना संक्रमण की पहली लहर में लैब टेक्नीशियन संगीता कुमारी स्वाब संग्रह करती थी। इसके बाद वह कोरोनावयरस से संक्रमित हो गई थी। कुछ दिनों तक बीमार रही। पेट की समस्या के बाद उसके पेट में स्ट्रेन लगाया गया था। इसके बाद स्वस्थ होकर वो एक बार फिर अपने काम कर पर लौट आई। वह फिर से सैंपल संग्रह करने में जुट गई। इसके बाद मार्च में फिर से उसकी तबीयत खराब हो गई। किसी तरह से पैसे की जुगाड़ करके सोजन उसे एशियन इंस्टीट्यूट आफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी हैदराबाद में भर्ती कराया। जहां 2 महीने के बाद अगर उसकी जान चली गई।
मदद के लिए नहीं आया जिला प्रशासन, कर्मचारियों के वेतन भी 4 महीने से नहीं
संगीता के बीमार होने के बाद जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के कोई भी अधिकारियों ने उसकी सुधि नहीं ली। इसके बाद कुछ कर्मचारियों ने अकाउंट बनाकर कुछ पैसे जमा की। इलाज पर लगभग 5 लाख से ज्यादा खर्च बताया गया था। दूसरी ओर सदर अस्पताल में कार्यरत अनुबंध कर्मचारियों को 4 महीने से वेतन नहीं मिला है। वेतन नहीं मिलने से कर्मचारी भी खासे नाराज हैं। इन्हें वेतन डीएमएफटी फंड के तहत जिला प्रशासन से मिलना है। लेकिन जिला प्रशासन के उदासीन बना हुआ है