स्कूल बैग की बिक्री पर कोरोना का संक्रमण, स्टेशनरी व्यवसाय हुआ चौपट

एक से बढ़कर एक डिजाइन के बैग लेकर आए थे लेकिन एक भी बैग नहीं बिका। सोचा था कि इस बार स्कूल खुल जाएंगे और बैग की बिक्री होगी पर कोरोना ने सब पर पानी फेर दिया। यह दर्द है स्कूल बैग के कारोबारियों का जिनकी आर्थिक स्थिति अब दयनीय हो चली है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 27 Apr 2021 06:05 AM (IST) Updated:Tue, 27 Apr 2021 06:05 AM (IST)
स्कूल बैग की बिक्री पर कोरोना का संक्रमण, स्टेशनरी व्यवसाय हुआ चौपट
स्कूल बैग की बिक्री पर कोरोना का संक्रमण, स्टेशनरी व्यवसाय हुआ चौपट

जागरण संवाददाता, धनबाद : एक से बढ़कर एक डिजाइन के बैग लेकर आए थे लेकिन एक भी बैग नहीं बिका। सोचा था कि इस बार स्कूल खुल जाएंगे और बैग की बिक्री होगी पर कोरोना ने सब पर पानी फेर दिया। यह दर्द है स्कूल बैग के कारोबारियों का, जिनकी आर्थिक स्थिति अब दयनीय हो चली है। कोरोना के प्रकोप ने तकरीबन सभी कारोबार की हालात खस्ता कर दी है। स्कूल और कॉलेजों के बंद होने से इसका सीधा असर शैक्षणिक व्यवसायों पर भी पड़ा है। स्टेशनरी कारोबार प्रभावित है। कोरोना के करण स्कूल बंद है। ऑनलाइन पढ़ाई के कारण जिले के कारोबारियों को इस वर्ष भी काफी नुकसान उठाना पड़ा है। अप्रैल, मई और जून स्टेशनरी कारोबार का पीक सीजन होता है। इस सीजन में स्कूल और कॉलेज बंद होने से जिले के कारोबारियों के ऊपर महाजन का कर्जा चढ़ गया है। पिछले शैक्षणिक सत्र में स्कूल खुलने में लगभग एक सप्ताह बाकी रहने पर ही लाकडाउन लग गया था। जबकि थोक कारोबारियों ने कागज, किताबें, स्टेशनरी, जूते-मौजे और स्कूली बैग मंगा लिए थे। ऑनलाइन कक्षाएं शुरू भी हुईं तो काफी देर हो चुकी थी। इससे व्यापारियों का लाखों रुपये का माल डंप हो गया। इस शैक्षणिक सत्र में कारोबारियों ने लाखों रुपये लगाकर कापी व किताबें छपवाई। स्टेशनरी, जूते-मौजे और स्कूली बैग मंगवाए। मगर, किताबें, स्टेशनरी की बिक्री महज 20-25 फीसद तक ही हुई।

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पांच करोड़ रुपये का टर्न ओवर

स्टेशनरी कारोबार से जुड़े विजय गुप्ता की मानें तो जिले में हर साल पांच करोड़ रुपये का कारोबार होता है। स्टेशनरी से जुड़े सामान की बिक्री जनवरी से शुरू हो जाती है। दो किश्तों में स्टेशनरी कारोबार का सीजन आता है। पहली बिक्री अप्रैल माह में तो दूसरी बिक्री जून माह में होती है। पिछले साल लाकडाउन की वजह से कारोबार नहीं हो पाया। वहीं इस बार उम्मीद थी लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण स्कूलों ने ऑनलाइन पढ़ाई शुरू कर दी, जिसके बाद स्टेशनरी खपत नहीं हो पाई।

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ये कारोबार हुए ठप

स्कूल बंद होने के कारण जिले स्कूल बैग, वाटर बोतल, यूनिफॉर्म, मौजे, जूते और बेल्ट आदि का कारोबार बंद है। जो कारोबारी हर साल 15 से 20 लाख रुपये का कारोबार करते थे। इस सीजन में दो से तीन लाख ही हो सका है। इस सीजन में महज 20 प्रतिशत ही कारोबार हुआ है।

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