Dhanbad Singh Mansion: कोर्ट से सड़क तक हंगामा हुआ सरेआम...न्‍यायालय के आदेश के बाद भी संजीव स‍िंह दुमका जेल में बरकरार

अदालत के आदेश के बाद भी दुमका जेल में बंद झरिया के पूर्व भाजपा विधायक संजीव सिंह को धनबाद जेल शिफ्ट नहीं किया गया। लिहाजा सोमवार को संजीव की ओर से अधिवक्ता मो जावेद ने अदालत में आवेदन दायर कर अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की प्रार्थना की है ।

By Atul SinghEdited By: Publish:Mon, 01 Mar 2021 01:42 PM (IST) Updated:Mon, 01 Mar 2021 07:09 PM (IST)
Dhanbad Singh Mansion:  कोर्ट से सड़क तक हंगामा हुआ सरेआम...न्‍यायालय के आदेश के बाद भी संजीव स‍िंह दुमका जेल में बरकरार
झरिया के पूर्व भाजपा विधायक संजीव सिंह ने अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की प्रार्थना की है । (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

धनबाद, जेएनएन : अदालत के आदेश के बाद भी दुमका जेल में बंद झरिया के पूर्व भाजपा विधायक संजीव सिंह को धनबाद जेल शिफ्ट नहीं किया गया। लिहाजा सोमवार को संजीव सिंह की ओर से अधिवक्ता मो जावेद ने अदालत में आवेदन दायर कर  (कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट) अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की प्रार्थना की है । नीरज हत्याकांड की सुनवाई मंगलवार को निर्धारित है।

इसके पूर्व अदालत ने संजीव को दुमका से धनबाद जेल शिफ्ट करने का आदेश दिया था। परंतु  संजीव सिंह को अबतक धनबाद नहींं लाया गया। संजीव ने अपने आवेदन में कहा है कि प्रशासन द्वारा अदालत के आदेश की अवहेलना करना गंभीर आपराधिक विषय  है ।

इस कारण दोनों अधिकारियों के विरुद्ध आपराधिक अवमानना का मामला चले। यह भी कहा गया है कि यह मामला न्यायपालिका और न्यायिक प्रशासनिक व्यवस्था पर भी कुठाराघात है।

गौरतलब है क‍ि 21 फरवरी को सुरक्षा कारणों का हवाला देकर संजीव सिंह को धनबाद से दुमका जेलशिफ्ट कर दिया गया था। जिस पर कड़ी नाराजगी दिखाते हुए जिला एवं सत्र न्यायाधीश रवि रंजन की अदालत ने ना उस आदेश को अवैध बताया था।  बल्कि विधि द्वारा स्थापित न्यायिक व्यवस्था और प्रक्रिया पर कुठाराघात भी बताते हुए अधीक्षक को काफी फटकार लगाई थी। कहा था कि जेल अधीक्षक ने सीधे तौर पर न्यायालय के आदेश को अवहेलना की है ।

उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में सत्र न्यायाधीश के आदेश  पर पूर्व में  14 फरवरी 18 को संजीव को रांची से वापस धनबाद जेल लाया गया था । यह जानते हुए भी जेल अधीक्षक ने अतिशीघ्रतापूर्वक, अनुचित, मनमानीपूर्ण  एवं विरोधाभासी कार्य किया है। कोर्ट का कर्तव्य न केवल अधीक्षक  द्वारा किए गए गलती को सुधारना है। बल्कि विधि के शासन को प्रतिस्थापित करना भी है। कोर्ट ने कहा कि कोई भी व्यक्ति खुद को  कानून से ऊपर नहींं समझे।

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