First 8 lane road of Jharkhand: झारखंड की सेहत के लिए यह विकास विरोधी राजनीति ठीक नहीं

गोल बिल्डिंग से कांकोमठ तक 20 किमी लंबे झारखंड के पहले 8 लेन रोड का 22 फीसद काम हो चुका है। निर्माण कर रही दो एजेंसियों ने पांच करोड़ रुपये भी खर्च कर दिए हैं।

By MritunjayEdited By: Publish:Sun, 12 Jul 2020 09:57 PM (IST) Updated:Sun, 12 Jul 2020 09:57 PM (IST)
First 8 lane road of Jharkhand: झारखंड की सेहत के लिए यह विकास विरोधी राजनीति ठीक नहीं
First 8 lane road of Jharkhand: झारखंड की सेहत के लिए यह विकास विरोधी राजनीति ठीक नहीं

धनबाद [ आशीष सिंह ]। कुछ दिन पहले तक बड़ी-बड़ी मशीनों और कर्मचारियों की चहल-पहल से हीरक रोड गुलजार था। आज यह वीरान है। 120 फीट चौड़ी सड़क तो दिख रही है, लेकिन जगह-जगह गड्ढे, कलवर्ट, मिट्टी-गिट्टी और बाहर की ओर निकले बड़े-बड़े रॉड हादसों को भी दावत दे रहे हैं। इस रोड के बनने से धनबाद से रांची की दूरी कम होती या नहीं, शहरी यातायात का दबाव कम होता या नहीं, आसपास नए धनबाद की परिकल्पना गठित होती या नहीं, यह सड़क बनने के बाद निर्भर होता, लेकिन, फिलहाल तो राजनीति ने इस सड़क की बलि ले ली।

गोल बिल्डिंग से कांकोमठ तक 20 किमी लंबे झारखंड के पहले 8 लेन रोड  का 22 फीसद काम हो चुका है। निर्माण कर रही दो एजेंसियों ने पांच करोड़ रुपये भी खर्च कर दिए। वल्र्ड बैंक की ओर से जारी 215 करोड़ रुपये धनबाद के फंड में रिजर्व हैं। अगले छह माह 75 फीसद काम करने का लक्ष्य रखा गया था। यह सब अदूरदर्शिता की वजह से लटक गया। ले देकर एक बेहतर सड़क धनबाद को मिलने वाली थी, वह भी राजनीति की भेंट चढ़ गई। इस मामले में दो बड़े राजनीति दलों के प्रतिनिधि आमने-सामने हैं। एक दल सड़क की योजना लेकर आए तो दूसरे ने आर्थिक संकट का हवाला देते हुए काम रोक दिया। दो पार्टियों की आपसी लड़ाई में आखिरकार खामियाजा आम लोगों को उठाना पड़ रहा है।

20 किमी की सड़क पुरानी सड़क जर्जर हो चुकी है, निर्माणाधीन होने की वजह से इसकी हालत पहले से अधिक खस्ता हो चुकी है। 20 किमी की सड़क में 85 गड्ढे हो चुके हैं।सड़क के दोनों किनारे बड़े-बड़े गड्ढे, नाला निर्माण में प्रयोग किया जाने वाला सरिया, कहीं मिट्टी तो कहीं कंक्रीट बिछी 120 फीट चौड़ी अधूरी सड़क, तो कहीं-कहीं सड़क के दोनों किनारे चार से छह फीट नीची निर्माणाधीन सड़क। गाड़ी तो छोडि़ए जरा सा कदम लड़खड़ाने पर सीधे पांच फीट नीचे। हाथ और पैर फ्रैक्चर होने से कोई नहीं बचा सकता। जगह-जगह निकला लोहे का सरिया आपकी गाड़ी से भी आरपार हो सकता है। मुख्य सड़क से एक फीट भी दाएं या बाएं गए तो समझिए सरिया सीधे आपके आरपार। पुल बनाने के लिए इतने बड़े गड्ढे खोदे गए हैं कि अगर गलती से चले गए तो बिना चार आदमी कोई निकाल भी न पाएगा। आम लोग परेशान हो रहे हैं और जनप्रतिनिधि चुप्पी साधे हुए हैं। दो-दो सांसद और छह विधायक होने के बाद भी हर कोई इस मुद्दे पर बोलने से बच रहा है। जो कुछ बोल भी रहे हैं तो बस नपा तुला बयान।

आठ लेन सड़क : फैक्ट फाइल
- 416 करोड़ रुपए में 337 करोड़ रुपये सड़क निर्माण पर खर्च
- 42 करोड़ रुपये पानी पाइप, बिजली, टेलीफोन व अन्य पाइप की शिफ्टिंग में खर्च
- ट्री प्लांटेशन में 5.91 करोड़ रुपये खर्च
- भूली व आगे डिनोबिली स्कूल के समीप दो फुट ओवरब्रिज
- एक बड़ा पुल, चार छोटा पुल व 41 कलवर्ट
- 20 किमी तक 45 मीटर चौड़ी आठ लेन सड़क बनाने की योजना
- गोल बिल्डिंग से बिनोद बिहारी चौक (11.70 किमी) तक शिवालय कंस्ट्रक्शन कंपनी कर रही निर्माण
- त्रिवेणी कंस्ट्रक्शन बिनोद बिहारी चौक से कांको मठ (11.70 से 20 किमी) तक कर रही निर्माण

हादसों को दावत देते प्वाइंट
- मेमको मोड़ से हीरक रोड की तरफ पानी की टंकी।
- मिशनरी ऑफ चैरिटी के पास बन रहे पुल का बड़ा सा गड्ढा
- बिरसा मुंडा पार्क के पास कुर्मीडीह मोड़ के तीखे मोड़ पर निकला सरिया
- बिरसा मुंडा पार्क से लेकर बिनोद बिहारी चौक तक सड़क के दोनों ओर चार से पांच फीट गहरी निर्माणाधीन सड़क।
- सेंट जेवियर्स इंटरनेशनल स्कूल और असर्फी अस्पताल के सामने नाला निर्माण।
- बिनोद बिहारी चौक के पास निर्माणधीन पाइपलाइन और जगह-जगह पड़ा साइफन पाइप।
- मेमको मोड़ से गोल बिल्डिंग की ओर जाने वाली सड़क पर रिलायबल सर्विस सेंटर के समीप बने गड्ढे।
- सुगियाडीह के पास बने गड्ढे में हमेशा होती है दुर्घटना।
- बिरसा मुंडा पार्क, बिनोद बिहारी चौक, ओमकार सिटी के सामने, नवाडीह मोड़ के सामने बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं।

सड़क के लिए काटे जा चुके 8322 पेड़
आठ लेन सड़क की महत्ता का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि गोल बिल्डिंग से कांको चौक 8322 पेड़ काटे जा चुके हैं। इनमें से कई पेड़ों का री-प्लांटेशन किया जाना था। हालांकि ऐसा हुआ नहीं। पिछले कुछ वर्षों में (2016 से 2019 तक) विकास के नाम जिले में आधिकारिक रूप से 18972 पेड़ काट डाले गए। इन पेड़ों में 80 फीसदी से अधिक 60 वर्ष से 100 वर्ष पुराने थे। शेष 20 प्रतिशत पेड़ 30 वर्ष से अधिक के थे। इन पेड़ों को अलग-अलग सड़क चौड़ीकरण योजना के लिए काटा गया है। सिटी सेंटर से बरवाअड्डा फोरलेन सड़क के लिए 416 पेड़, कांको चौक से गोल बिल्डिंग तक आठ लेन सड़क के लिए 8322 पेड़ काटे गए। इनमें से करीब 450 अधिक उम्र के पेड़ों को दूसरे स्थान पर ट्रांसप्लांट करने का निर्णय लिया गया था। इन पेड़ों के तने की मोटाई शिफ्टिंग के लिए अनुपयुक्त बता कर उन्हेंं काट दिया गया। इसी तरह गोविंदपुर-महुदा फोरलेन सड़क के लिए 3142 पेड़ काटे गए। गोविंदपुर-गिरिडीह सड़क चौड़ीकरण के दौरान 7097 पेड़ों की बलि ली गई। इनमें से 50 प्रतिशत से अधिक पेड़ों की आयु 100 वर्ष से अधिक थी। इनके साथ ही एनएच दो को सिक्स लेन बनाने के लिए बरवाअड्डा से चिरकुंडा तक छह हजार से अधिक पेड़ काट डाले गए। यह उन कटे हुए पेड़ों के अधिकारिक आंकड़ें हैं जिन्हेंं केवल सड़कों के चौड़ीकरण के लिए काटा गया है।

कोरोना और आॢथक संकट के कारण  निर्माण को किया गया स्थगित : पूर्णिमा
झरिया की कांग्रेस विधायक पूर्णिमा नीरज  सिंह ने कहा कि आठ लेन की सड़क को राज्य में कोरोना और आर्थिक संकट के कारण फिलहाल स्थगित किया गया है। सड़क निर्माण को बंद नहीं किया गया है। स्थिति में सुधार होने के बाद सड़क निर्माण शुरू किया जाएगा। धनबाद में आठ लेन सड़क निर्माण कार्य को बंद करने की अफवाह फैलाई जा रही है, जबकि ऐसा नहीं है। निर्माण कार्य अभी स्थगित है। सड़क निर्माण में 70 प्रतिशत राशि विश्व बैंक से मिली है, 30 प्रतिशत राशि सरकार दे रही है। अभी सरकार लोन लेकर सड़क निर्माण की हालत में नहीं है। विश्व बैंक से मिलनेवाली लोन की राशि का ब्याज भी सरकार को चुकाना होगा। राज्य की वर्तमान स्थिति को देखकर फिलहाल सड़क निर्माण कार्य को स्थगित किया गया है। इस संबंध में राज्य के मुख्य सचिव से भी बात हुई है। आठ लेन सड़क निर्माण की डेडलाइन भी नहीं दी गई है। योजना जब पारित हुई है तो देर सवेर इसका निर्माण भी होगा। इसमें यह भी देखना जरूरी है कि राज्य में नई सड़क के हो रहे निर्माण में लूटखसोट मची है। सड़क निर्माण की राशि को  बढ़ा चढ़ाकर दिखा दिया जाता है। इसकी भी जांच जरूरी है। धनबाद में फ्लाईओवर का निर्माण पहले होना चाहिए। धनबाद में सड़क जाम की समस्या के स्थाई समाधान को लेकर यहां फ्लाईओवर का निर्माण पहले होना चाहिए। इस दिशा में प्रयासरत हैं।

धनबाद की लाइफलाइन है, काम रोककर रिव्यू नहीं होता : मेयर
धनबाद नगर निगम के मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल का कहना है कि आठ लेन धनबाद की लाइफलाइन बनेगी। इस सड़क के बनने से धनबाद शहर के अंदर यातायात का दबाव कम होता। साथ ही, रांची जाना आसान होगा। किसी भी कार्य का रिव्यू करना अच्छी बात है, लेकिन काम रोककर रिव्यू नहीं किया जाना चाहिए। सरकार को कुछ गलतफहमी हुई है। इस निर्णय पर दोबारा विचार किया जाना चाहिए। धनबाद के विकास के लिए सभी दल को आगे आना चाहिए। अभी राजनीति की जरूरत नहीं है। 20 किमी की सड़क पर 416 करोड़ रुपये खर्च होंगे। सड़क के किनारे जमीन का दाम आसमान छू रहा है। सिर्फ रजिस्ट्री से ही सड़क निर्माण लागत का पांच गुना राजस्व प्राप्त होगा। यही नहीं वल्र्ड बैंक को अभी भुगतान भी नहीं करना है। विश्व बैंक को सात साल बाद से री-पेमेंट शुरू होगा। इसके बाद अगले 15 वर्षों तक इंस्टालमेंट में जमा होगा। इसी तरह सड़क निर्माण के लिए सरकार की ओर से 220 करोड़ रुपये जारी हो चुका है। प्रथम किस्त के तौर पर 60 करोड़ रुपये रोड कंस्ट्रक्शन डिवीजन (आरसीडी) के खाते में दिया जा चुका है। इसमें से लगभग पांच करोड़ रुपये खर्च भी हो चुका है। अभी भी खाते में 215 करोड़ रुपये पड़े हैं।

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