Weekly News Roundup Dhanbad: सीबीआइ के पीछे-पीछे कोयला चोर... जानें कोयलांचल में कैसे हो रहा खेला

कोरोना का आपदा होगा किसी के लिए। इनकी बला से। यहां उत्पादन-डिस्पैच हमेशा एक सा बना रहता है। गोधर कोलियरी से शताब्दी की ओर का रास्ता पकड़िये। रास्ते में कई जगह कोयले के छोटे-छोटे ढेरों के समूह मिल जाएंगे। बेखौफ महिला पुरुष टोकरी और बोरे से कोयला ढोते मिलेंगे।

By MritunjayEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 02:51 PM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 02:51 PM (IST)
Weekly News Roundup Dhanbad: सीबीआइ के पीछे-पीछे कोयला चोर... जानें कोयलांचल में कैसे हो रहा खेला
सीबीआइ अधिकारी और कोयला ( फाइल फोटो)।

धनबाद [ रोहित कर्ण ]। लाला प्रकरण याद है न आपको। वही लाला जिसे सीबीआइ अभी तक शिकंजे में नहीं ले सकी है। जो ईसीएल की कोलियरियों से ऐसे कोयला खनन करता था मानों उसकी पैतृक जागीर हो। जब सीबीआइ ने दबिश दी तो ईसीएल प्रबंधन ने हर उस जगह जहां से अवैध खनन हो रहा था डोजरिंग करा दी थी। वह खुदिया नदी किनारे जंगल के बीच का इलाका हो या मुगमा रेलवे स्टेशन के सामने की अवैध खदान। कोयला चोरी एकदम बंद। बंद मतलब पूरी तरह बंद। सीबीआइ वाले आए और देखकर खुश होकर चले गए। मानों उन्होंने बड़ा तीर मार लिया हो। इस बात से बेखबर कि चोर उनके पीछे ही हैं। उधर वो गए और इधर लोकल ट्रेन से पश्चिम बंगाल से खनिक आ धमके। खनन चालू। अवैध कोलियरी की बोरियां अभी भी साइकिल व बाइक से बेधड़क सांगामहल, निरसा के हार्डकोक भट्ठों में पहुंच रहा है। अब रोकिये।

आपदा इनकी बला से

कोरोना का आपदा होगा किसी के लिए। इनकी बला से। यहां उत्पादन-डिस्पैच हमेशा एक सा बना रहता है। गोधर कोलियरी से शताब्दी की ओर का रास्ता पकड़िये। रास्ते में कई जगह कोयले के छोटे-छोटे ढेरों के समूह मिल जाएंगे। सीआइएसएफ व पुलिस से बेखौफ महिला, पुरुष टोकरी और बोरे से कोयला ढोते मिलेंगे। सड़क किनारे बेखौफ चल रहे इस अवैध धंधे की व्यापकता देख कर कभी-कभी तो लगता है कि यही वैध कारोबार है। कोयला कंपनियों के वास्तविक कर्मी ही इन दिनों मुंह ढककर काम कर रहे हैं। भले कोरोना के भय से सही। अवैध कोयला चोरों को तो इसका भी झंझट नहीं। बेखौफ बिना मुंह ढके, शारीरिक दूरी का ख्याल रखे या सैनिटाइजिंग की चिंता किए ये अपने काम में मशगुल हैं। बाकी का महकमा या तो आंख मूंदे है या निगाह फेरे हुए है कहना मुश्किल है। गोधर तो बानगी है। यह धंधा हर कहीं चालू है। 

कहां गया टास्क फोर्स

महामारी वाकई जरायम की दुनिया के लिए आपदा में अवसर लेकर आया है। पहले रस्म अदायगी ही सही महीने में एक दिन टास्क फोर्स की बैठक तो होती थी। बैठक में दिखाने को कुछ अवैध खदानों में डोजरिंग का डाटा कलेक्ट किया जाता था। यह महामारी क्या आई कि यह रस्म अदायगी भी ठप पड़ी है। मानो टास्क फोर्स की बैठक न हुई किसी की शादी का समारोह हो गया। अमूमन महीने की 25 तारीख को होने वाली यह बैठक पिछले महीने से बंद है। वजह कि खनन विभाग समेत अधिकांश कार्यालय बंद हैं। वर्क फ्राम होम लागू है। सारा फोर्स, कंपनियों के साहिबान और जिला प्रशासन या तो कोरोना से निपटने में लगे हैं या उससे बचने में। इधर अवैध खनन वालों को खुला मैदान मिल गया है। निरसा से कतरास और झरिया से कुसुंडा तक खदानें कंपनी चला रहीं या तस्कर समझना मुश्किल हो जाएगा।

डिस्पेंसरी में एनेस्थिसिस्ट

पिछले दिनों एक अजीब वाकया हुआ। निदेशक साहब ने डॉक्टरों की बैठक बुलाई। एक वरीय चिकित्सक नदारद रहे। फिर क्या था, चंद लम्हों में तबादला आदेश जारी हो गया। तबादला भी कहां तो मुख्यालय के डिस्पेंसरी में। अब इसमें क्या खास है। खास यह है कि डॉक्टर साहब एनेस्थीसिया (निश्चेतना विभाग) के प्रमुख थे। इनका काम आपरेशन से पहले मरीज को बेहोश करना है ताकि दर्द न हो। अब जहां साहब को भेजा गया है वहां तो ऑपरेशन होता ही नहीं। तो जनाब बेहोश किसे करें। दवा तो लिखने से रहे। बेहोशी के डॉक्टर दवा तो लिखने से रहे। लिखवाएगा भी कैन भला। अब मुख्यालय में चर्चा यह कि कहीं तबादला आदेश निकालने वाले को तो कुछ नहीं सुंघा दिया था। होश में ऐसा होता नहीं। वह भी तब जबकि केंद्रीय अस्पताल में उसी विभाग के लिए नियुक्ति जारी की गई है। जो हो लेकिन पहली बार एनेस्थीसिस्ट दर्द बढ़ा रहे हैं। प्रबंधन का।

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