10 को विरोध व 11 को काला दिवस

धनबाद कॉमर्शियल माइनिंग के खिलाफ यूनियनों का संघर्ष तेज होता जा रहा है। बुधवार को एटक इंटक एचएमएस व सीटू ने एक स्वर से कोयला खदानों के निजीकरण के पुरजोर विरोध का आह्वान किया। एटक के रमेंद्र कुमार इंटक के एसक्यू जामा एचएमएस के नाथूलाल पाडेय व सीटू के डीडी रामानंदन ने 10 जून को विरोध दिवस व 11 को काला दिवस मनाने की घोषणा की।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 04 Jun 2020 03:35 AM (IST) Updated:Thu, 04 Jun 2020 06:15 AM (IST)
10 को विरोध व 11 को काला दिवस
10 को विरोध व 11 को काला दिवस

धनबाद: कॉमर्शियल माइनिंग के खिलाफ यूनियनों का संघर्ष तेज होता जा रहा है। बुधवार को एटक, इंटक, एचएमएस व सीटू ने एक स्वर से कोयला खदानों के निजीकरण के पुरजोर विरोध का आह्वान किया। एटक के रमेंद्र कुमार, इंटक के एसक्यू जामा, एचएमएस के नाथूलाल पाडेय व सीटू के डीडी रामानंदन ने 10 जून को विरोध दिवस व 11 को काला दिवस मनाने की घोषणा की। संयुक्त प्रेस वक्तव्य में नेताओं ने कहा कि कोरोना संकट के कारण लगे लॉकडाउन का सरकार ने गलत फायदा उठाया है। उसने इस विषम परिस्थिति में कोयला उद्योग का निजीकरण करने का निर्णय लिया है। इसे कारपोरेट घरानों के हाथों में सौंपने के लिए 11 जून से निजी क्षेत्रों के लिए खोल दिया है। हम इसका विरोध करते हैं। देश के कोयला कामगार सरकार के इस प्रयास को कभी सफल नहीं होने देंगे।

नेताओं ने तमाम ट्रेड यूनियनों से एकजुट होकर इस लड़ाई में साथ देने की अपील की है। कहा है कि वे 10 व 11 जून को शारीरिक दूरी का ध्यान रखते हुए धरना, प्रदर्शन करें, काला बिल्ला लगाएं, पिट मीटिंग करें और सरकार का पुतला फूकें। यूनियनों ने केंद्र सरकार से कोल इंडिया से सीएमपीडीआइ को अलग करने व कोयला उद्योग के निजीकरण के निर्णय को वापस लेने की माग की है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान जैसे राज्यों में श्रम कानून के संशोधन का भी विरोध किया है। कहा है कि कारपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए श्रम कानून खत्म किए गए हैं। मजदूरों के काम के घटे 12 कर दिए गए हैं यह अमानवीय है। इन्हें ये संशोधन वापस लेना होगा।

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