पिछली बार का डेढ़ लाख बकाया भुगतान करें तभी बनाएं क्वारंटाइन सेंटर Dhanbad News
दूसरे राज्यों से अपने घर लौट रहे प्रवासी मजदूरों को ठहराने के लिए दामोदरपुर प्राथमिक विद्यालय में भी क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया है। यहां मजदूर 1 सप्ताह रहेंगे। उनकी कोरोना जांच करायी जाएगी। वह नेगेटिव मिले तभी उन्हें घर भेजा जाएगा।
धनबाद, जेएनएन: दूसरे राज्यों से अपने घर लौट रहे प्रवासी मजदूरों को ठहराने के लिए दामोदरपुर प्राथमिक विद्यालय में भी क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया है। यहां मजदूर 1 सप्ताह रहेंगे। उनकी कोरोना जांच करायी जाएगी। वह नेगेटिव मिले तभी उन्हें घर भेजा जाएगा।
यह व्यवस्था कोरोना की पहली लहर के दौरान भी की गई थी। तब दामोदरपुर के पंचायत भवन में उन्हें ठहराया गया था। हालांकि 3 महीने तक वहां क्वारंटाइन सेंटर बनाए रखा गया पर एक भी मजदूर को ठहराने की नौबत नहीं आई। क्वारंटीन सेंटर सजा धजा रह गया और उसके एवज में डेढ़ लाख रुपए का बिल बन गया। उसका भुगतान आज तक नहीं हो पाया है।
अब जबकि फिर से उसी परिसर में स्थित प्राथमिक विद्यालय को क्वारंटाइन सेंटर घोषित किया गया है तो मुखिया हीरालाल हंसदा ने प्रखंड विकास पदाधिकारी से मांग कर दी है कि वह पहले पुराना बकाया भुगतान करें फिर नया क्वारंटाइन सेंटर बनाएं।
मुखिया हीरालाल हंसदा का कहना है कि पिछली बार 20 बेड का क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया था। इसके लिए बिस्तर, चादर, तकिया, पेयजल, सैनिटाइजर, मास्क इत्यादि की व्यवस्था की गई। तकरीबन 3 महीने तक हम लोग क्वारंटीन सेंटर बनाकर इंतजार करते रहे लेकिन कोई मजदूर यहां नहीं आया। अब डेकोरेटर बार-बार दौड़ रहा है। हम लोग प्रखंड विकास पदाधिकारी धनबाद को बार-बार चिट्ठी लिख रहे हैं।
लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हो रही। बिल का भुगतान नहीं किया जा रहा है। अब जबकि दूसरी लहर आई तो ब्लॉक के कर्मचारी ने फोन करके फरमान सुना दिया कि यहां क्वारंटीन सेंटर बनाया जाएगा। सवाल उठता है कहां से हम लोग सामग्री लाएंगे और तैयारी करेंगे। जब तक भुगतान नहीं हो जाता, नया सेंटर नहीं बनेगा।
इस बीच ग्रामीण विकास श्रमिक संघ के सचिव प्रवीण झा ने कहा है कि यह परिसर मजदूरों को क्वारंटीन करने के लिए उपयुक्त नहीं है। प्रशासन ने यहां कोई तैयारी नहीं की है। ना तो यहां शौचालय की व्यवस्था है ना ही पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था। एक नल है और शौचालय टूटा फूटा बदहाल है। परिसर भी बीच बस्ती में है। जबकि बताया गया कि यह बस्ती से दूर है। परिसर की चार दिवारी से सटे हुए लोगों के घर हैं। ऐसे में गांव में भी संक्रमण फैलने का खतरा है। झा को भारतीय मजदूर संघ ने मजदूरों के ठहरने की उचित व्यवस्था की देखभाल के लिए संयोजक नामित किया है।