Maithon Power Limited: नियोजन के लिए विस्थापियों ने दिखाए तल्ख तेवर, सीओ-एसडीपीओ से नोक-झोंक

Maithon Power Limited विस्थापित व स्थानीय समिति के अध्यक्ष अशोक मंडल ने बताया कि एमपीएल को बिजली उत्पादन करते 10 साल से ज्यादा समय हो गया। लेकिन जिनकी जमीन प्लांट में गई है आज तक सभी विस्थापितों को नियोजन नहीं मिला।

By MritunjayEdited By: Publish:Thu, 21 Jan 2021 05:43 PM (IST) Updated:Thu, 21 Jan 2021 06:53 PM (IST)
Maithon Power Limited: नियोजन के लिए विस्थापियों ने दिखाए तल्ख तेवर, सीओ-एसडीपीओ से नोक-झोंक
विस्थापितों को संबोधित करते झामुमो नेता अशोक मंडल।

निरसा , जेएनएन। बचे हुए विस्थापितों को नियोजन देने , एमपीएल में कार्यरत कर्मियों के वेतन वृद्धि, पदोन्नति, बर्खास्त किए गए कर्मी की बहाली, मृत कर्मियों के आश्रितों को नियोजन देने और सीएचपी में चल रहे नौ विस्थापितों के हाइवा को पुन: बहाल किए जाने की मांग को लेकर एमपीएल विस्थापित व स्थानीय समिति ( अशोक मंडल गुट) के बैनर तले गुरुवार की सुबह ग्रामीण  एमपीएल गेट के  समक्ष  प्रदर्शन करते हुए धरना पर बैठ गए। इस दौरान उन्होंने  एमपीएल की कोयला व छाई ट्रांसपोर्टिंग ठप कर दी। जिसके कारण  निरसा जामताड़ा रोड में हाइवा की लंबी लाइन लग गई है। धरना हटाने को लेकर निरसा सीओ एमएन मंसूरी व एसडीपीओ विजय कुशवाहा के साथ विस्थापितों की नोकझोंक भी हुई।

एसडीएम से फोन पर बात के बाद बनी सहमति

बाद में अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा दूरभाष पर अशोक मंडल से  बातचीत में 25 जनवरी को वार्ता करवा मामले का समाधान करवाने के आश्वासन दिया गया। इसके  विस्थापितों ने लगभग दो बजे आंदोलन समाप्त किया।  विस्थापित व स्थानीय समिति के  अध्यक्ष अशोक मंडल ने बताया कि एमपीएल को बिजली उत्पादन करते 10 साल से ज्यादा समय हो गया। लेकिन जिनकी जमीन  प्लांट में गई है आज तक सभी विस्थापितों को नियोजन नहीं मिला। एमपीएल प्रबंधन ने कहा था कि जब तक बचे हुए विस्थापितों को नियोजन नहीं मिलेगा तब तक सभी को 2250 रुपए प्रतिमाह भुगतान किया जाएगा। ऐसे  विस्थापितों को दो वर्ष तक ही पैसे का भुगतान किया गया । यही नहीं एमपीएल में काम कर रहे मजदूरों के वेतन में वृद्धि नहीं की जा रही है। विस्थापितों व प्रबंधन के साथ हुए करार में तीन वर्ष के बाद मजदूरों को पदोन्नति देने पर सहमति बनी थी। प्रबंधन उस पर अमल नहीं कर रहा। मौके पर रामरंजन मिश्रा,कामाख्या चौधरी, सच्चिदानंद तिवारी, जितेन तिवारी, मनोहर मंडल, लंकेश्वर लोहार, बगाल मरांडी, मकसूद शेख, शांति लोहार, सुहागी लोहार,पूर्णिमा देवी, सोनामुनी हेंब्रम, अलादी सोरेन, रासमुनी किस्कू, संध्या रानी, चंदना मंझियाईन आदि मौजूद थे।

सीएचपी में विस्थापितों के चल रहे हाइवा बंद करने से नाराजगी

कामाख्या चौधरी ने कहा कि सीएचपी ( कोल हैंडलिंग प्लांट) में बरसों से विस्थापितों का हाइवा का परिचालन होता आ रहा है। जनवरी से सैंडोज कंपनी को सीएचपी में काम मिला है। उसने विस्थापितों के हाइवा के परिचालन बंद कर दिया  है। दूसरे ठेकेदार से डोजर, जेसीबी मशीन आदि लाकर काम करवाया जा  रहा है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। 25 जनवरी की वार्ता में यदि प्रबंधन हमारी मांगों पर सकारात्मक रुख नहीं अपनाता है तो हम लोग फिर आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।

सीओ व एसडीपीओ से आंदोलनकारियों की हुई नोकझोंक

दोपहर एक  बजे सीओ एम एल मंसूरी व एसडीपीओ विजय कुशवाहा ने धरना स्थल पर पहुंचकर  विस्थापितों व ग्रामीणों से कहा कि बगैर पूर्व सूचना के आप लोगों ने गेट जाम कर दिया है। जल्द से जल्द जाम समाप्त करें वरना कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसपर विस्थापित व ग्रामीण आक्रोशित हो गए। विस्थापितों ने प्रशासनिक अधिकारियों से कहा कि पहले केस कीजिए और जेल भेजिए। उसके बाद ही प्रबंधन से बातचीत होगी। इस दौरान एसडीपीओ व सीओ के साथ इनकी जमकर नोकझोंक हुई।

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