झारखंड के पानी पर ममता गरम, पश्चिम बंगाल में बाढ़ के लिए DVC को ठहराया जिम्मेदार; पीएम से शिकायत

बंगाल की खाड़ी में लो प्रेशकर के कारण 28 जुलाई से कई दिनों तक झारखंड में झमाझम बारिश हुई। बारिश के पानी से बराकर और दामोदर नदी भर गया। इसके बाद डीवीसी को मैथन और पंचेत बांध से पश्चिम बंगाल की तरफ पानी छोड़ना पड़ा।

By MritunjayEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 01:40 PM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 08:37 PM (IST)
झारखंड के पानी पर ममता गरम, पश्चिम बंगाल में बाढ़ के लिए DVC को ठहराया जिम्मेदार; पीएम से शिकायत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ( फाइल फोटो)।

धनबाद/ कोलकाता। झारखंड की दामोदर नदी और बराकर नदी को देश की आजादी से पहले पश्चिम बंगाल का शोक कहा जाता था। बराकर और दामोदर नदी में बाढ़ के पानी से हर साल पश्चिम बंगाल में बड़े पैमाने पर जानमाल का नुकसान होता है। इससे बचाव के लिए धनबाद जिले के मैथन और पंचेत में क्रमशः बराकर नदी और दामोदर नदी पर आजादी के तुरंत बाद डैम का निर्माण किया गया। इसके बाद पश्चिम बंगाल में बराकर और दामोदर नदी के पानी से बाढ़ की विपदा समाप्त हो गई। हालांकि जब-जब अधिक बारिश होती है तो डैम से पश्चिम बंगाल की तरफ पानी छोड़ा जाता है। इससे पश्चिम बंगाल का निचला हिस्सा डूब जाता है। हाल में बंगाल की खाड़ी में लो प्रेशकर के कारण चार दिनों तक झारखंड में झमाझम बारिश हुई। इस पानी को पश्चिम बंगाल की तरफ छोड़ा गया। इससे वहां बाढ़ की स्थिति बन गई। इसे लेकर एक बार फिर केंद्र और पश्चिम बंगाल के बीच टकराव की स्थिति बन आई है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से डीवीसी की शिकायत की है।  

डीवीसी पर आरोप नई बात नहीं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बंगाल में बाढ़ की स्थिति पर बुधवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से टेलीफोन पर बातचीत की और उन्हेंं केंद्र सरकार की तरफ से हर संभव मदद का आश्वासन दिया। बातचीत के दौरान ममता ने बाढ़ को मानव जनित बताते हुए इसके लिए दामोदर वैली कारपोरेशन (डीवीसी) को जिम्मेदार ठहराया और पीएम से उसकी शिकायत की। ममता ने कहा- राज्य सरकार को सूचित किए बिना डीवीसी ने पानी छोड़ा जिसके कारण ऐसे विकट हालात पैदा हुए हैं। हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब ममता ने बंगाल में बाढ़ के लिए डीवीसी को जिम्मेदार ठहराया है। डीवीसी पर बारिश के समय राज्य को सूचित किए बिना पानी छोडऩे का आरोप लगाती रही हैं। भारी बारिश के कारण बांधों पर जल का दबाव काफी बढ़ गया था जिसके कारण मैथन, पंचेत और दुर्गापुर बैरेज से काफी पानी छोड़ा गया था। इस वजह से हुगली के खानाकुल और जंगीपाड़ा और हावड़ा के उदयनारायणपुर और आमता के विभिन्न इलाके जलमग्न हो गए हैं। पश्चिम मेदिनीपुर जिले का घाटाल शहर पानी में डूब गया है। मुख्यमंत्री ने हावड़ा जिले के बाढ़ प्रभावित आमता इलाके का दौरा कर वहां की स्थिति का जायजा लिया।

हेलीकाप्टर के बदले कार से पहुंचीं

ममता का पहले हेलीकाप्टर से हावड़ा व हुगली जिलों के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने का कार्यक्रम था। हुगली के खानाकुल इलाके में इस बाबत अस्थायी हेलीपैड भी तैयार किया गया था लेकिन बुधवार को फिर से बारिश शुरू होने से उसमें पानी भर गया। इसके बाद ममता सड़क मार्ग से आमता पहुंचीं। वह छतरी लेकर पानी में उतर गईं और स्थानीय लोगों से उनकी समस्याएं सुनीं। राज्य सरकार की तरफ से मदद का आश्वासन दिया। तृणमूल सांसद देव ने भी अपने संसदीय क्षेत्र घाटाल का दौरा किया।  गौरतलब है कि घाटाल भी बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इलाके का मुआयना करने के बाद देव ने कहा कि जब तक ममता बनर्जी प्रधानमंत्री नहीं बनेंगी, तब तक घाटाल मास्टर प्लान को क्रियान्वित नहीं किया जा सकेगा। गौरतलब है कि पश्चिम मेदिनीपुर में बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए घाटाल मास्टर प्लान तैयार किया गया था, लेकिन इसे अब तक क्रियान्वित नहीं किया गया है।

बाढ़ की स्थिति के बीच फिर शुरू हुई बारिश

बंगाल के विभिन्न जिलों में बाढ़ की स्थिति के बीच फिर बारिश शुरू हो गई। मौसम विभाग के मुताबिक विभिन्न जिलों में आने वाले दिनों में मूसलधार बारिश के आसार हैं। ऐसा होने पर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्थिति और भयावह रूप धारण कर लेगी। राज्य में अब तक भारी बारिश से छह जिलों में 16 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 2.5 लाख लोग बेघर हुए हैं। पूर्व व पश्चिम बद्र्धमान, पश्चिम मेदिनीपुर, हुगली, हावड़ा और दक्षिण 24 परगना जिलों के विभिन्न स्थानों पर बाढ़ के हालात हैं। राज्य प्रशासन की ओर से उन जगहों पर राहत शिविर खोले गए हैं।

डीवीसी का आरोपों से इनकार

दूसरी तरफ डीवीसी ने आरोपों से इनकार किया है। डीवीसी के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि डैम का पानी रोककर नहीं रखा जा सकता है। अगर रोक कर रखा गया तो डैम टूट जाएगा और उसका पानी अचानक पश्चिम बंगाल की तरफ जाएगा। तब हजारों-हजार की संख्या में लोगों की जान जा सकती है। पानी छोड़ेन से पहले पश्चिम बंगाल सरकार, सीमावर्ती क्षेत्र के जिलाधिकारी को सूचना दी जाती है। इस बार भी दी गई। बाढ़ से राहत एवं बचाव के लिए पश्चिम बंगाल के अधिकारियों ने समय पर काम नहीं किया। और अब डीवीसी को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। 

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