पढ़ाई का तनाव कम करने के लिए करती थीं मिथिला पेंटिंग

धनबाद मैंने दो साल तक खुद को सोशल साइट्स से दूर रखा। ना फेसबुक ना वाट्सएप ना इंस्टाग्राम और ना ही ट्विटर पर चैट। 11वीं और 12वीं की पढ़ाई के बीच जब लगता कि पढ़ते-पढ़ते काफी देर हो गई तो मिथिला पेंटिंग करती थी।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 14 Jul 2020 02:15 AM (IST) Updated:Tue, 14 Jul 2020 06:16 AM (IST)
पढ़ाई का तनाव कम करने के लिए करती थीं मिथिला पेंटिंग
पढ़ाई का तनाव कम करने के लिए करती थीं मिथिला पेंटिंग

धनबाद : मैंने दो साल तक खुद को सोशल साइट्स से दूर रखा। ना फेसबुक, ना वाट्सएप, ना इंस्टाग्राम और ना ही ट्विटर पर चैट। 11वीं और 12वीं की पढ़ाई के बीच जब लगता कि पढ़ते-पढ़ते काफी देर हो गई तो मिथिला पेंटिंग करती थी। यह कहना है सीबीएसई 12वीं विज्ञान की थर्ड जिला टॉपर मैथिली शाडिल्य का। दून पब्लिक स्कूल की मैत्री को 12वीं की परीक्षा में 97.2 फीसद अंक मिले हैं। दो साल पहले डीपीएस से दसवीं की परीक्षा में मैत्री ने 99.2 फीसद अंक के साथ स्टेट टॉप किया था। मैत्री जनवरी में आयोजित जेईई की परीक्षा दे चुकी हैं और कंप्यूटर साइंस लेकर इंजीनियर बनने की ख्वाहिश है। सरायढेला की रहने वाली मैत्री के पिता सुधीर कुमार झा बीसीसीएल में वरीय अधिकारी हैं और मा नीलम झा गृहिणी हैं। बोर्ड परीक्षा के समय 12-12 घटे तक पढ़ाई करने वाली मैत्री सभी पेरेंट्स से अनुरोध करती हैं कि दो साल यानी 11वीं 12वीं की पढ़ाई तक अपने बच्चों को मोबाइल से दूर ही रखें। सोशल साइट्स पर अकाउंट ना बनाने दें। यह पूरी तरह से ध्यान भटकाता है। अगर कोर्स के लिए वाट्सएप ग्रुप की जरूरत है तो वह अपने पेरेंट्स के मोबाइल पर भी बनाया जा सकता है। सोशल नेटवर्किंग साइट्स आज के समय की जरूरत भले ही हो, लेकिन फायदे से कहीं अधिक इसका नुकसान है। हम इनसे अच्छी चीजें लेने की जगह दुरुपयोग करने लग जाते हैं। इसीलिए मैंने जून 2017 में ही अपना फेसबुक अकाउंट डिलीट कर दिया था। न्यूट्रीशन से भरपूर टेस्टी खाना पसंद : आइआइटी बाबे से कम्प्यूटर साइंस ब्राच में बीटेक करने की ख्वाहिश रखने वाली मैत्री को न्यूट्रीशन से भरपूर टेस्टी खाना पसंद है। कहती हैं मेरी डाइट का पूरा ध्यान मेरी मा नीलम झा ही रखती हैं। मैत्री के पिता एसके झा आइआइटी खड़गपुर से बीटेक हैं, इसलिए भी मैत्री इंजीनियर बनना चाहती है। मैत्री ने अपनी सफलता का श्रेय मा पिता, नाना यूसी झा, मौजूदा स्कूल और पुराने स्कूल की शिक्षिका अपर्णा व गार्गी को दिया। मम्मी-पापा पढ़ने को सुबह उठाते थे : मैत्री मम्मी-पापा की दुलारी है। सुबह-सुबह पढ़ाई के लिए जब भी उठने की कोशिश करती तो काफी परेशानी होती थी। ऐसे में मम्मी और कभी-कभी पापा आकर उठाते थे। मैत्री ने बताया कि उसने कभी पढ़ाई को समय सीमा में नहीं बाधा। इतना जरूर है कि सुबह छह बजे ही पढ़ने के लिए उठ जाती थी, फिर नौ बजे तक पढ़ती थी।

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