झरिया का अंतरराज्यीय बस स्टैंड बदहाल; यात्रियों को नहीं मिल रही हैं सुविधाएं Dhanbad News
झरिया चार नंबर स्थित अंतरराज्यीय बस स्टैंड अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। यात्री सुविधा के नाम पर यहां कुछ भी नहीं है। आश्चर्य की बात यह है कि लगभग 75 वर्ष पुराने इस बस स्टैंड के विकास के प्रति जिला प्रशासन के अधिकारी गंभीर नहीं हैं।
गोविंद नाथ शर्मा, झरिया : झरिया चार नंबर स्थित अंतरराज्यीय बस स्टैंड अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। यात्री सुविधा के नाम पर यहां कुछ भी नहीं है। आश्चर्य की बात यह है कि लगभग 75 वर्ष पुराने इस बस स्टैंड के विकास के प्रति जिला प्रशासन और नगर निगम के अधिकारी गंभीर नहीं हैं। हर दिन यहां से लगभग दो दर्जन बसें व गाड़ियां झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिलों में जाती हैं। बस के माध्यम से सैकड़ों यात्री सफर करते हैं। सुबह चार बजे से रात के आठ बजे तक बसों का आना-जाना लगा रहता है। यहां के एजेंट बस चालकों से मनमाना एजेंटी लेते हैं। लेकिन वे भी यात्रियों की सुविधा के प्रति गंभीर नहीं हैं। गर्मी के दिनों में यात्रियों को सिर छुपाने के लिए एक शेड तक नहीं है। दशकों पूर्व स्टैंड के सामने पुराने सार्वजनिक नल की स्थिति खराब है। यहां के सुलभ शौचालय में यात्रियों को पैसे देकर इसका उपयोग करना पड़ता है।
बस स्टैंड से इन जगहों के लिए चलती हैं बसें, गाड़ियां :
चार नंबर बस स्टैंड झरिया से धनबाद, सिंदरी, कतरास, बाघमारा, इसरी, बगोदर, सरिया, मरकच्चो, बरही, चौपारण, बोकारो, देवघर, साहिबगंज, गोड्डा, पाकुड़, हजारीबाग, गिरिडीह, पश्चिम बंगाल के पुरुलिया, बिहार के गया, नवादा, बिहारशरीफ, दाउदनगर, शेरघाटी, इमामगंज, औरंगाबाद आदि क्षेत्रों के लिए हर दिन बस व गाड़ियां चलती हैं। सैकड़ों लोग सफर करते हैं। लेकिन यात्री सुविधाओं से वंचित हैं।
यात्रियों का कहना है कि सफर करने के लिए तय भाड़ा से अधिक देना पड़ता है। इसे देखने वाला कोई नहीं है।
अतिक्रमण के कारण छोटा पड़ता जा रहा है बस स्टैंड :
सात दशक पुराना झरिया चार नंबर बस स्टैंड अतिक्रमण छोटा पड़ता जा रहा है। बस चालकों को काफी परेशानी हो रही है। एक समय यहां लगभग 20 बसें लगती थीं। आज हालत यह है कि 10 से अधिक बस नहीं लग पाती हैं। चालकों को स्टैंड से लेकर इंदिरा चौक तक सड़क के किनारे बसों को लगाने के लिए मजबूर होना पड़ता है। इससे सड़क जाम की भी स्थिति हमेशा बनी रहती है। दुर्घटना का भी भय समाया रहता है। लेकिन जिला प्रशासन और नगर निगम के अधिकारी गंभीर नहीं है।