Lockdown News June 24: बाजार, मॉल, ट्रेन सब चल रहे फ‍िर बस का पर‍िचालन ठप क्‍यों? संचालक पूछ रहे सवाल

बाजार खुल गएमॉल भी खुलने लगा ट्रेन चल रही है फिर बसों का परिचालन क्यों बंद रखा गया है। सरकार क्षमता से आधे यात्रियों के साथ बस परिचालन की अनुमति दें। कम से कम बैंक लोन चालक खलासी और कंडक्टर पैसा तो दे पाएंगे।

By Atul SinghEdited By: Publish:Thu, 24 Jun 2021 11:40 AM (IST) Updated:Thu, 24 Jun 2021 11:40 AM (IST)
Lockdown News June 24: बाजार, मॉल, ट्रेन सब चल रहे फ‍िर बस का पर‍िचालन ठप क्‍यों? संचालक पूछ रहे सवाल
मॉल भी खुलने लगा ट्रेन चल रही है, फिर बसों का परिचालन क्यों बंद रखा गया है। (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

धनबाद, जेएनएन : बाजार खुल गए,मॉल भी खुलने लगा ट्रेन चल रही है, फिर बसों का परिचालन क्यों बंद रखा गया है। सरकार क्षमता से आधे यात्रियों के साथ बस परिचालन की अनुमति दें। कम से कम बैंक लोन, चालक, खलासी और कंडक्टर को पैसा तो दे पाएंगे। अभी तो किसी को पैसा देने लायक स्थिति भी नहीं है। या मांग अब बस संचालकों की ओर से उठने लगी है।

एसोसिएशन के संजय सिंह ने कहा की पिछले डेढ़ माह से परिवहन व्यवस्था पर लॉकडाउन लगा हुआ है। कोरोना महामारी के कारण अंतर राज्यीय बस सेवा तथा राज्य के अंदर चलने वाले सार्वजनिक परिवहन पर रोक लगी हुई है। सिर्फ ऑटो को जिले में और टैक्सी को जिले से बाहर परिचालन की अनुमति है। तीन माह से राज्य में लॉक डाउन है। वही 16 मई से जिले भर की बसे बस स्टैंड मैं खड़ी है।

भले ही बसें सड़कों पर नहीं चल रही है, लेकिन बिना चले ही इन बसों का रोड टैक्स चुकाना पड़ेगा। इस बार सरकार रोड टैक्स को लेकर किसी प्रकार की रियायत देने की बात भी नहीं कर रही है। पिछले वर्ष लॉकडाउन में छह माह के लिए रियायत दी गई थी। बस संचालकों को समय मिलने से थोड़ी राहत मिली थी। लेकिन इस वर्ष ऐसी कोई योजना नहीं दिख रही है। संजय सिंह ने बताया कि अधिकांश बसें लोन पर होती है। बैंक की तरफ से भी लोन को लेकर काफी दबाव है। लेकिन जब बसें खड़ी है तो उसके रख रखाव, ड्राइवर, कंडक्टर, खलासी का मेहनताना जोड़कर इतना नहीं बचता है, कि बैंकों को पैसा चुकाया जा सके इसके बाद रोड टैक्स और इंश्योरेंस का कर्ज अलग है। उन्होंने कहा कि हर तिमाही 9 हजार का रोड टैक्स जमा करना पड़ता है। अगर एक तिमाही फेल हुई तो दूसरी तिमाही में 200 प्रतिशत की फाइन के साथ टैक्स जमा करना पड़ता है। इसके अलावा इंश्योरेंस के लिए अलग से प्रति बस कम से कम 24 से 25 हजार रुपए तिमाही जमा करना पड़ता है। बस संचालकों ने सरकार से बसों के परिचालन की मांग की है।

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