Jharkhand लोक संस्कृति का करम पर्व आज, रात भर बहनें करेंगी नृत्य

झारखंड की लोक संस्कृति व भाई-बहन के स्नेह का प्रमुख प्रकृति करम पर्व आज है। धनबाद जिला के झरिया के विभिन्न गांवों में शुक्रवार को भादो एकादशी के अवसर पर बहनों की ओर से भाई की सुरक्षा व दीर्घायु के लिए करम पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है।

By Atul SinghEdited By: Publish:Fri, 17 Sep 2021 05:42 PM (IST) Updated:Fri, 17 Sep 2021 05:42 PM (IST)
Jharkhand लोक संस्कृति का करम पर्व आज, रात भर बहनें करेंगी नृत्य
झारखंड की लोक संस्कृति व भाई-बहन के स्नेह का प्रमुख प्रकृति करम पर्व आज है। (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

गोविन्द नाथ शर्मा, झरिया: झारखंड की लोक संस्कृति व भाई-बहन के स्नेह का प्रमुख प्रकृति करम पर्व आज है। धनबाद जिला के झरिया, बलियापुर, सिन्दरी के विभिन्न गांवों में शुक्रवार को भादो एकादशी के अवसर पर बहनों की ओर से भाई की सुरक्षा व दीर्घायु के लिए करम पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस अवसर पर खेतों में अच्छे फसल होने की भी कामना की गई। भादो एकादशी करम पर्व के अवसर पर गांवों में बहनें उपवास में रहकर आंगन में जावा डाली के पास गीत, नृत्य की। शाम के बाद शुरू जावा नृत्य, गीत रात भर चलेगा। इस दौरान करम पेड़ की डाली की पूजा भी की जाएगी। आज रे करम गोसाईं घरे दुआरे, काइल रे करम गोसाईं कास नदी किनारे। जाओ-जाओ करम गोसाई एक छोए मास, आओतो भादर मास अनवो घुराय जावा गीत गाकर उत्साह से आंगन के करम अखाड़ा में खूब नृत्य करेंगी। शनिवार को जावा डाली को नदी, तालाब, पोखर व जलाशयों में बहनें विधि-विधान से विसर्जन करेंगी। इसके साथ ही करम पर्व का समापन हो जाएगा।

एक सप्ताह पूर्व जावा डाली की स्थापना करती हैं बहनें 

प्रकृति करम पर्व की शुरुआत एक सप्ताह पूर्व से हो जाती है। बहनें सामूहिक रूप से नदी, तालाब और जलाशयों के पास जाकर छोटी डाली में बालू भरकर उसमें जौ का बीज बोती है। करमा गीत गाती है। फिर इसे सभी अपने घर ले आती है। एक जगह आंगन करम अखाड़ा में इसे रखा जाता है। हर शाम बहनें जावा डाली के पास घंटों गीत गाकर नृत्य करतीं हैं। भादो करम एकादशी के अवसर पर विशेष गीत, नृत्य करती हैं। बहनें अपने करम अखाड़ा के अलावा दूसरे करम अखाड़ा में जाकर भी गीत, नृत्य करती हैं। एक सप्ताह तक गांवों में करम गीत गूंजता रहता है।

जगह-जगह हुआ करम महोत्सव का आयोजन

करम पर्व के अवसर पर इसके पूर्व सामाजिक संस्थाओं की ओर से जगह- जगह करम महोत्सव का आयोजन किया गया। विभिन्न गांव के जावा दल की टीम इस में भाग लेती हैं। झरिया के जोड़ापोखर, लालबंगला, भौंरा, बलियापुर, सिंदरी आदि जगहों पर करम महोत्सव का आयोजन हुआ। महोत्सव में भाग लेने वाली टीम को समिति की ओर से उपहार देकर सम्मानित किया गया। लालबंगला के करम महोत्सव में भाग लेने के बाद झरिया की विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह ने कहा कि लोक संस्कृति और भाई-बहन के स्नेह का करम पर्व, महोत्सव गांव-गांव में होना चाहिए। ऐसे लोक उत्सव को बढ़ावा देना बहुत जरूरी है। तभी हमारी लोक संस्कृति बची रहेगी।

chat bot
आपका साथी