Attention: झारखंड के 18 जिलों तक पहुंचा ब्लैक फंगस, धनबाद येलो जोन में; यहां देखें पहचान के लिए चेक लिस्ट

24 में 18 जिलों तक ब्लैक फंगस का संक्रमण पहुंच चुका है। इनमें सात जिले रांची रामगढ़ पलामू हजारीबाग गिरिडीह गढ़वा और पूर्वी सिंहभूम जहां रेड जोन में आ गए हैं वहीं पांच जिले बोकारो चतरा धनबाद गोड्डा और कोडरमा येलो जोन में हैं।

By MritunjayEdited By: Publish:Tue, 15 Jun 2021 08:35 AM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 09:24 AM (IST)
Attention: झारखंड के 18 जिलों तक पहुंचा ब्लैक फंगस, धनबाद येलो जोन में; यहां देखें पहचान के लिए चेक लिस्ट
ब्लैक फंगस का बढ़ रहा संक्रमण ( फाइल फोटो)।

धनबाद, जेएनएन। कोरोना संक्रमण की रफ्तार नियंत्रित होते ही इसका डर लोगों के मन से जाने लगा है। लेकिन ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ रहा है। इससे झारखंड में अब तक 25 लोगों की माैत हो चुकी है। मरने वालों में दो धनबाद के हैं। 80 के करीब मरीज संक्रमित हैं जिनका इलाज चल रहा है। राज्य के 24 में 18 जिलों तक ब्लैक फंगस का संक्रमण पहुंच चुका है। इनमें सात जिले रांची, रामगढ़, पलामू, हजारीबाग, गिरिडीह, गढ़वा और पूर्वी सिंहभूम जहां रेड जोन में आ गए हैं, वहीं पांच जिले बोकारो, चतरा, धनबाद, गोड्डा और कोडरमा येलो जोन में हैं। दूसरी तरफ छह जिले देवघर दुमका, गुमला, जामतारा, लातेहार व साहेबगंज ग्रीन जोन में हैं। रेड जोन में मरीजों की संख्या 5 से अधिक है, वहीं येलोजोन में 3 से 5, जबकि ग्रीन जोन में ३ से कम मरीज हैं। 

केन्द्र ने मरीजों की पहचान लिए जारी की चेक लिस्ट

केंद्र सरकार ने ब्लैक फंगस से संक्रमित मरीजों की पहचान और त्वरित इलाज के लिए चेक लिस्ट जारी की है। इसके अनुसार कुछ ऐसे लक्षण हैं जिन्हें देखकर मरीजों की पहचान की जा सकती है। मरीज की पहचान होने के बाद इलाज कराना आसान हो जाएगा।

ब्लैक फंगस के लक्षण लगातार बुखार सिरदर्द नाक जाम नाक का बहना चेहरे में सूजन व दर्द चेहरे के स्किन का रंग बदलना दांत में ठीलापन आंखों में सूजन/लाली/डबल विजन/दर्द/कम दिखना/पलक ज्यादा झपकना

अस्पतालों को दिशा-निर्देश

ब्लैक फंगस से निपटने के लिए अस्पतालों को हिदायत दी गयी है कि वे मरीजों को इसके बारे मे बतायें। इसके बारे में डिस्चार्ज स्लिप पर अंकित करें ताकि ऐसा लक्षण होने पर वे इसकी जानकारी दे सकें। साथ ही मरीजों को सफाई पर ध्यान देने, साफ मास्क का उपयोग करने की हिदायत दी गयी है। इसके साथ ही मरीजों के रिस्क फैक्टर की भी जानकारी लेने का निर्देश भी दिया गया है। इसके तहत मरीज के डायिबिटीज की मॉनीटरिंग, स्टेरायड थेरेपी, को मॉर्बिडिटी की भी जानकारी लेने को कहा गया है।

वातावरण का पड़ता प्रभाव

केंद्र की गाईडलाईन में कहा गया है कि ब्लैक फंगस के प्रसार में अस्पताल के वातावरण का भी गंभीर प्रभाव पड़ता है। इसके लिए अस्पताल के आसपास कंस्ट्रक्शन साईट नहीं हो, जहां से धूल उड़ती हो। कोरोना मरीजों को अस्पताल में वैसी जगह पर न रखा जाए जहां डैंप हो, सीपेज हो। साथ ही आईसीयू के एयर फिल्टर, वेंटिलेटर के ट्यूब, बोटल आदि को नियमित रूप से बदलने एवं जरूरी पैथोलॉजी जांच (लिस्ट के साथ) की हिदायत दी गयी है।

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